कल माँ और बेटे के बीच हुई रोचक बात सुनिये। परिवार की बात नहीं है ना ही सामाजिक है, विज्ञान की बात है। लेकिन आप सभी को पढ़ लेनी चाहिये और अपनी राय भी देनी चाहिये जिससे यह बात आगे बढ़े। तो सुनिये – कल ही समाचार पत्र में एक समाचार प्रकाशित हुआ था कि धरती पर भार बढ़ रहा है इस कारण चुम्बकीय क्षेत्र में परिवर्तन हो रहा है और यदि ऐसा ही रहा तो धरती दो भागों में विभक्त हो जाएगी!
मैंने बेटे को बताया कि यह क्या है? अब वह
इंजीनियर है तो विज्ञान क्षेत्र में कुशल ही है। वह बोला कि मैंने भी पढ़ा था।
प्रश्न यह है कि भार कैसे बढ़ रहा है? पृथ्वी की ऊर्जा से ही सब कुछ बनता है, यहाँ
की ऊर्जा यहाँ ही लगती है तो भार कैसे बढा?
मैंने कहा कि पृथ्वी तो कण पैदा करती है लेकिन हम
मण हो जाते हैं!
उसने कहा यह सब इसी ऊर्जा से होता है। यदि किसी
की मृत्यु होती है तो इसी उर्जा में समा जाती है। मेरी जिज्ञासा बढ़ रही थी, पूछा
कि मतलब पंचतत्व में विलीन हो जाती है? लेकिन हम तो जलकर शीघ्र ही पंचतत्व में विलीन
हो जाते हैं और वे जो दफन होते हैं?
वे भी कभी ना कभी पंचतत्व में विलीन होते ही हैं।
मतलब यहीं की ऊर्जा यहीं पर काम आ गयी।
अब मेरा जो प्रश्न था वह ही धमाका था, मैंने पूछा
कि हम तो ऊर्जा सूर्य से भी लेते हैं और सारे ही जीव जगत सूर्य के कारण ही बढ़ते
हैं, तो यह तो पृथ्वी के अतिरिक्त हुआ ना! फिर हमारे इतने ग्रह हैं जिनकी ऊर्जा भी
हम लेते ही हैं! हमारे यहाँ ज्योतिष विज्ञान है जो कहता है कि हमारे जीवन में ग्रहों का प्रभाव होता है, तो
सत्य ही है। हम सभी से ऊर्जा लेते हैं तो सभी से प्रभावित भी होते हैं। इसलिये
ज्योतिष एक बहुत बड़ा विज्ञान है, जिसे समझना अति आवश्यक है।
इस एनर्जी याने की ऊर्जा के सिद्धान्त ने हम
दोनों को ही अवाक कर दिया, उसने कहा इसे मैं विस्तार से पढ़ूंगा। विज्ञान कुछ भी
कहे लेकिन मुझे तो समझ यही आया है कि ज्योतिष ज्ञान है और अब इसे बिन्दू-बिन्दू के
रूप में समझकर विज्ञान की तरह सिद्ध करना होगा। कब मंगल से हम उर्जा लेते हैं, कब
बृहस्पति से और कब बुद्ध से! इसी के अनुरूप
हमारा जीवन बनता है। बस यह विज्ञान
समझने की जरूरत है, फिर बहुत सारी गुत्थियाँ सुलझ जाएंगी। शायद यह भी पता लगे कि
कौन सा वायरस किससे ऊर्जा ले रहा है!
अपने बच्चों से ऐसी रोचक बातें करते रहिये, बहुत
नवीनता मिलती है। वैसे आप सब करते ही होंगे लेकिन थोड़ा कुरदेकर सीखने की दृष्टि
से करेंगे तो सार्थक परिणाम मिलेंगे।
सही कहा
ReplyDeleteआभार ओंकार जी।
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