Friday, November 18, 2016

बस तैल देखिये और तैल की धार देखिये


दीवारों के पार की बाते सुनने की चाह भला किसे नहीं होती?  क्या कहा जा रहा है  इसकी जिज्ञासा हमें दीवारों पर कान लगाने को मजबूर करती हैं। रामचन्द्र जी ने भी यही कोशिश की थी और अपनी पत्नी को ही खो बैठे थे। दीवारों के भी कान होते हैं. यह कहावत शायद तभी से बनी होगी। इमामबाड़ा तो बना ही इसलिये था, दीवारे भी बोलती थी और दीवारों के पार क्या हो रहा है दिखायी भी देता था। कितने ही राजा इस रोग के मरीज रहे हैं, बस रात हुई नहीं कि निकल पड़े वेश बदलकर, प्रजा मेरे बारे में क्या कहती है? प्रजा आपके बारे में सबकुछ कहेगी, अच्छा भी कहेगी और बुरा भी कहेगी। ऐसा कोई भी कार्य नहीं है जिसके लिये सारी प्रजा आपको अच्छा ही कहेगी। इसलिये कान अनावश्यक बातों के सुनने के लिये मत लगाइए। लेकिन आज के युग  की कठिनाई है कि आप दीवार पर कान नहीं सटाते तो क्या, आपको सारा दिन चीखने वाले न्यूज चैनल उनकी बतकही कानों में ठूंसकर ही दम लेते हैं। बातों का अम्बार लग गया है, खोज-खोजकर तर्क घड़ने की होड़ मची है। यदि आपने सबकुछ सुन लिया तो आप विक्षिप्त भी हो सकते हैं।
अपने सत्य की खोज आप स्वयं कीजिए, किसी को सुने बगैर। सूरज आपको रोशनी देता है तो आप खुश हो लीजिए, दूसरा यदि कह रहा है कि सूरज मेरी त्वचा को जला  रहा है, तो यह उसका सत्य है। आप उसके और अपने सत्य को मिलाने लगेंगे तो भ्रमित हो जाएंगे। आज यही हो रहा है,  कुछ  लोगों ने भ्रमित करने का ठेका ले रखा है। सारा दिन टीवी पर बैठकर लोगों को भ्रमित करते हैं, इसलिये मत दीजिये उन पर कान। नहीं तो आप भी कुछ न कुछ आपका प्रिय खो बैठेंगे। अपने दीमाग का रिमोट अपने पास ही रखें, दूसरों के  हाथों में नहीं सौंपे। आज विज्ञान का युग है, मेरा कम्प्यूटर जब खराब होता है तो दूर अमेरिका में बैठा मेरा बेटा उसे अपने कंट्रोल में लेकर वहीं से ठीक कर देता है। इसी प्रकार इन टीवी वालों को भी आप अपने दीमाग का कम्प्यूटर ना सौंपे, ये दिल्ली में बैठकर ही आपकी सेटिंग बदल देंगे।

सदियों पहले साहित्यकार आपको बदलता था,  फिर समाचार पत्र आये, रेडियो से आप बदलने लगे और अब आप टीवी से बदल रहे हैं। कानों को आप दीवार पर नहीं लगाते तब भी आपको अनर्गल बकवास सुनायी पड़ ही जाती है। सतर्क रहें, आपके दीमाग का बदलीकरण हो रहा है और यह बदलीकरण अपको कहीं आपसे ही ना छीन ले। आप हर अच्छे काम में नुक्स निकालने वाले बन जाएंगे और स्वच्छ पानी में भी कीड़े कुलबुलाते हुए दिखायी देंगे। जैसे भगवान पर भरोसा करते हैं, प्रकृति पर भरोसा करते हैं वैसे ही अपने परिक्षित नेता पर भी करिये। ये कुतर्क घड़ने वाले लोग आपके दीमाग की चूलें तक हिला देंगे, इसलिये इनपर कान देकर अपना समय बर्बाद मत कीजिये। जो काम आपके वश का नहीं है उस पर सर क्यों खुजाना? बस तैल देखिये और तैल की धार देखिये।

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