सामाजिक कार्यों में जहाँ महिला कार्य की नितान्त
आवश्यकता है वहाँ भी यदि प्रबुद्धता को स्थान ना मिले तो निराशा होती है। अपना
आत्मसम्मान बनाये रखना स्वयं का ही उत्तरदायित्व होता है। हमें थोड़ा सा पाने के
लिये अपने जीवन की नींव को ही उखाड़ने का कभी प्रयास नहीं करना चाहिये। आपके
माता-पिता ने आपका जिस सोच के साथ निर्माण किया है, अपनी तुच्छ सी महत्वाकांक्षाओं
में उन्हें बर्बाद ना होने दें।
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प्रेरक प्रस्तुति।
ReplyDeleteआभार कविता जी
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