सुन्दरता के ही सपने होते हैं। न जाने सुन्दरता में
ऐसी क्या बात है जो सपने देखने लगती है और जो सुन्दर नहीं है वे तो सपने भी नहीं
देखते। उन्हें लगता है कि जो भगवान प्रसाद स्वरूप दे देगा वही श्रेष्ठ होगा। पोस्ट को पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें - http://sahityakar.com/wordpress/%E0%A4%B8%E0%A5%81%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E2%80%8D%E0%A4%A6%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A4%BE-%E0%A4%A4%E0%A5%82-%E0%A4%A6%E0%A5%81%E0%A4%96%E0%A5%80-%E0%A4%95%E0%A5%8D%E2%80%8D%E0%A4%AF%E0%A5%82%E0%A4%82/
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (17-05-2015) को "धूप छाँव का मेल जिन्दगी" {चर्चा अंक - 1978} पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
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आभार ॠषभ शुक्ला जी। मैं जरूर आपका ब्लाग देखूंगी।
ReplyDeleteशास्त्रीजी आभार आपका।
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