श्रीराम और श्रीकृष्ण का जीवन देखिए, उनके जीवन का
कृतित्व समझिए। उन्होंने राष्ट्र-सुरक्षा को ही सर्वोपरी माना और आततायियों का
संहार ही उनका लक्ष्य रहा। रामायण और महाभारत काल इसी बात के साक्षी हैं कि
सृष्टि पर श्रेष्ठ विचार पनपने चाहिए और निकृष्ट विचारों का नाश होना चाहिए। ना
राम और ना ही कृष्ण ने कभी किसी कर्मकाण्ड या पूजा पद्धति को स्थापित किया, बस
वे राष्ट्र की सुरक्षा के लिए ही संकल्पित रहे। इस पोस्ट को पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें - http://sahityakar.com/wordpress/%E0%A4%95%E0%A4%B2-%E0%A4%A4%E0%A4%95-%E0%A4%A5%E0%A5%87-%E0%A4%9A%E0%A4%BE%E0%A4%B0-%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A5%81%E0%A4%B7%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A5-%E0%A4%B2%E0%A5%87%E0%A4%95/
आभार शास्त्रीजी।
ReplyDeleteप्रेरक प्रस्तुति हेतु आभार!
ReplyDeleteबढ़िया
ReplyDelete