हम बगीचा भूल गए, बगीचे के फूल भूल गए, फूलों की
सुगंध भूल गए, बस स्मरण रहा कि मकरंद कैसे बनता है। हम सभी इसी मकरंद की तलाश में
लगे रहे, कुछ बच्चों ने बनाया, कुछ हमने बनाया और बस प्याला भर लाए।
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बहुत सुंदर ..रक्षाबंधन की शुभकामनायें
ReplyDeleteआभार सुमन कपूर जी।
ReplyDeleteआपका ब्लॉग देखकर अच्छा लगा. अंतरजाल पर हिंदी समृधि के लिए किया जा रहा आपका प्रयास सराहनीय है. कृपया अपने ब्लॉग को “ब्लॉगप्रहरी:एग्रीगेटर व हिंदी सोशल नेटवर्क” से जोड़ कर अधिक से अधिक पाठकों तक पहुचाएं. ब्लॉगप्रहरी भारत का सबसे आधुनिक और सम्पूर्ण ब्लॉग मंच है. ब्लॉगप्रहरी ब्लॉग डायरेक्टरी, माइक्रो ब्लॉग, सोशल नेटवर्क, ब्लॉग रैंकिंग, एग्रीगेटर और ब्लॉग से आमदनी की सुविधाओं के साथ एक
ReplyDeleteसम्पूर्ण मंच प्रदान करता है.
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बहुत सुंदर
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