पिछोला झील में नाव उतारी - अब कचरा नहीं बचेगा
रात को कुछ मनचले भी यहाँ चले आते हैं, मदहोश होने का इंतजाम भी साथ लाते हैं और मदहोशी में भूल जाते हैं बोतलें, प्लास्टिक की थैलियां और भी ना जाने क्या क्या। ये सब हमारी झीलों में लाश की तरह तैरता दिखायी देने लगता है। राह चलते लोग भी अपनी आदत से मजबूर, इन झीलों में कचरा डाल देते हैं।
पोस्ट को पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें - http://sahityakar.com/wordpress/
रात को कुछ मनचले भी यहाँ चले आते हैं, मदहोश होने का इंतजाम भी साथ लाते हैं और मदहोशी में भूल जाते हैं बोतलें, प्लास्टिक की थैलियां और भी ना जाने क्या क्या। ये सब हमारी झीलों में लाश की तरह तैरता दिखायी देने लगता है। राह चलते लोग भी अपनी आदत से मजबूर, इन झीलों में कचरा डाल देते हैं।
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3 comments:
बेहद गहन व सार्थक प्रस्तुति।।।
आभार अंकुर जी।
लोग आईना देखना पसंद नहीं करते,आपका लेख हमें वही दिखाता है....
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