खेतड़ी नरेश राजा अजीत सिंह को पुत्र प्राप्ति हुई और
तब उन्हें स्वामीजी का ध्यान आया। वे बेचैन हो गए, उन्होंने दीवान जी को कहा
कि दीवान जी बहुत बड़ी भूल हो गयी है। मैं स्वामी जी को ही विस्मृत कर बैठा।
लेकिन अब पुत्र जन्मोत्सव तभी मनाऊँगा जब स्वामी यहाँ आएंगे।
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