Saturday, July 16, 2011

अभी ब्‍लाग जगत से छुट्टियों के दिन चल रहे हैं - अजित गुप्‍ता

आज-कल में  आप सभी ने बहुत अच्‍छी पोस्‍ट लिखी होगी, नए विचारों से सभी को अवगत कराया होगा। एक सार्थक विचार विमर्श हो इसका भी मन होगा। टिप्‍पणियां भी आ ही रही होगी,  अधिकतर स्‍थापित पाठकों की और कुछ नवीन पाठकों की। स्‍थापित पाठकों में एक नाम का अभाव आपको खटक रहा होगा। मन ही मन ना जाने क्‍या क्‍या कयास भी लगाए जा रहे होंगे। लेकिन ज्‍यादा कुछ मत सोचिए, मैं भी आप सभी के विचारों का अभाव
अनुभव कर रही हूँ। इन दिनों पारिवारिक व्‍यस्‍तता अधिक है, बच्‍चे आए हुए हैं। और आप जानते ही हैं कि जब बच्‍चे घर आए हों तब सारी दुनिया भूली सी लगती है। अभी वे सब सो रहे हैं इसलिए इतना सा भी लिख पा रही हूँ। लेकिन शीघ्र ही अपने नए अनुभवों के साथ आपके समक्ष आती हूँ। आप सभी की पोस्‍ट बाद में पढ़ती हूँ। तब तक के लिए विदा।

30 comments:

  1. ब्लॉगजगत तो यूंही चलता रहेगा।

    आप जो क्वालिटी का टाइम एन्ज्वॉय कर रहीं हैं, उसे जी भर कर जिएं ... हम तो यहीं हैं!

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  2. बहुत अच्छा लगा आपने उपस्थिति दर्ज कराई ||
    आजा वापस प्यारे बचपन,
    पचपन बड़ा सताए रे |
    गठिया की पीड़ा से ज्यादा
    मन-गठिया तडपाये रे |
    भटक-भटक के अटक रहा ये-
    जिधर इसे कुछ भाये रे |
    आजा वापस प्यारे बचपन,
    पचपन बड़ा सताए रे ||1||
    (2)
    बच्चों के संग अपना जीवन,
    मस्ती भरा बिताया रे |
    रोज साथ में खेलकूद कर
    नीति-नियम सिखलाया रे |
    माता वैरी, शत्रु पिता जो
    बच्चे नहीं पढाया रे |
    तन्मयता से एक-एक को
    डिग्री बड़ी दिलाया रे ||2||
    (3)
    गये सभी परदेस कमाने
    विरह-गीत मन गाये रे |
    रूप बदल के आजा बचपन
    बाबा बहुत बुलाये रे |
    गठिया की पीड़ा से ज्यादा
    मन-गठिया तडपाये रे |
    आजा वापस प्यारे बचपन,
    पचपन बड़ा सताए रे ||3||

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  3. हर-हर बम-बम, बम-बम धम-धम |
    तड-पत हम-हम, हर पल नम-नम ||

    अक्सर गम-गम, थम-थम, अब थम |
    शठ-शम शठ-शम, व्यर्थम - व्यर्थम ||

    दम-ख़म, बम-बम, चट-पट हट तम |
    तन तन हर-दम *समदन सम-सम || *युद्ध

    *करवर पर हम, समरथ सक्षम | *विपत्ति
    अनरथ कर कम, झट-पट भर दम ||

    भकभक जल यम, मरदन मरहम |
    हर-हर बम-बम, हर-हर बम-बम ||

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  4. जब तक आप बिज़ी हैं, एक काम करिए- सपनों में ही पोस्ट लिख दिया कीजिए, हम सब तक पहुंच जाएगी...

    जय हिंद...

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  5. जल्‍द लौटिए .. वैसे मेरे यहां भी यही हाल है !!

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  6. आपकी सारगर्भित पोस्ट की प्रतीक्षा रहती है!
    मगर अभी घर-परिवार के साथ छुट्टियाँ मनाना बहुत जरूरी है!
    शुभकामनाएँ!

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  7. आपके लेख पढने को नहीं मिलते तो कुछ कमी तो महसूस होती। लेकिन बच्चों के समय में कटौती नहीं होनी चाहिये।

    प्रणाम

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  8. चिंता तो हो रही थी। आचानक ब्लॉगजगत में आपका मौन देखकर!! और वह भी एक विमर्श-युक्त पोस्ट के बाद!!
    संतोष हुआ आप पारिवारिक स्नेहानंद में व्यस्त है। वे पल अधिक मूल्यवान है। परिवार में भरपूर समय दिजिए ब्लॉगिंग तो होती रहेगी।

    इन्ही अनुभवों से 'पारिवारिक समर्पण और उत्तरदायित्व' पर आलेख से छुट्टियां खत्म किजिएगा।

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  9. इस पोस्ट के लिए धन्यवाद जैसा की सुज्ञ जी ने कहा की एक विमर्स वाली पोस्ट के बाद आप की ख़ामोशी थोड़ी अजीब लग रहा था |

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  10. मिठाई कितनी भी बढ़िया हो चौबीसों घंटे नहीं ही खाई जा सकती... छुट्टी लेना भी ज़रूरी है

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  11. ब्‍लाग-माया से दूर रहने का भी अपना सुख है, मुबारक आपको.

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  12. आप ने मेरी बात की पुष्टि कर दी की आभासी दुनिया में लोग तभी आते हैं जब रियल दुनिया में हलचल नहीं होती हैं यानी अपना खली पन भरने

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  13. ब्लांग से पहले परिवार है..उसे अनदेखा नही कर सकते

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  14. आप परिवार के साथ आनन्दमग्न रहिये, हमें प्रतीक्षा रहेगी।

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  15. छुट्टियाँ भी ज़रूरी हैं जी .
    शुभकामनायें .

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  16. आपकी पोस्ट पढ़कर लगा जैसे आपने मेरी बात कह दी.. अपना भी यही हाल है.....चलता है . ..ब्लॉग पर अपनी बात देर सवेर पोस्ट द्वारा बताकर सबकी समझ में आ ही जाती है.... घर परिवार को तो पहले देखना ही पड़ता है बाद में ब्लॉग परिवार तो अपना है ही जो यह बात समझ ही लेता है...

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  17. बच्चों के साथ छुट्टियों का आनंद लिजिये, बहुत शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  18. लगता है सीजन चल रहा है छुट्टियों का.आपका ब्लॉग हाजिर है और आप छुट्टी पर है कहीं कहीं तो ब्लॉगर हाजिर है पर ब्लॉग ही छुट्टी पर है बिना बताएँ.
    आपका इंतजार रहेगा.

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  19. ओह, आखिरकार पुन: आपके दर्शन हो ही गए...
    हाँ अपने एक सम्माननीय ब्लॉगर साथी के लिए एक प्रकार की चिंता तो होती ही है|
    अभी आपका परिवार आपके साथ है, अत: पारिवारिक सुखों का आनंद लेना भी आवश्यक है| आप अपने जीवन के इन बहुमूल्य क्षणों को अपने परिवार के साथ बिताइए|

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  20. छुट्टियों का पूर्ण आनंद लीजिये!

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  21. हम इंतज़ार करेंगे…

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  22. बच्चों के साथ वक्त बिताने का आनन्द ही कुछ और है......

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  23. इसका अर्थ यह है कि महिला होने का दंश भुगत रहीं हैं :)

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  24. मैं तो समझ रहा था कि मैं ही छुट्टियां मना रहा हूँ ।

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  25. accha ajit aunty to aapki kanupriya aapke pass hai abhi.apna poora time unhe dijie.aapki wapasi ka intejaar rahega

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  26. कनु सही कह रही हो कनुप्रिया के साथ ही थी लेकिन अब वह चले गयी है बस बेटा पुनीत है। इसलिए कुछ समय मिला है। लेकिन जल्‍दी ही आती हूं।

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  27. परिवार के साथ आप अपना समय एंजाय करें| हम सब यहीं हैं|

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  28. ांअपनी छुट्टियों के दिन भी अभी खत्म हुये हैं। खूब एन्ज्वाय कीजिये छुट्टियों के ये छोटे छोते पल बच्चों के साथ। उन्हें मेरा भी आशीर्वाद कहें। शुभकामनायें।

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