कल मेरे बेटे के मित्र ( voltak) के पुत्र का जन्मदिन था। इमेल से निमंत्रण मिला कि जन्मदिन पर आना है। सेनोजे (san jose) से आधा घण्टे की दूरी पर वर्सोना पार्क है, जहाँ एक झील है और बच्चों के खेलने के लिए बहुत सारे उपकरण भी। रविवार होने के कारण यहाँ मेला लगा हुआ था। पार्किंग मिलेगी या नहीं इसकी चिन्ता थी लेकिन पार्किंग का गेट खुला था और हमने 6 डॉलर पेमेन्ट करने के साथ ही पूछ भी लिया कि भाई पार्किंग नहीं मिलेगी तब क्या करेंगे? छिपा हुआ भाव था कि पैसे वापस मिलेंगे या नहीं? लेकिन गेटकीपर ने कहा कि यदि पार्किंग उपलब्ध नहीं होती तो हम गेट ही बन्द कर देते। चलिए हम पार्किंग-लोट की ओर बढ़ने लगे तभी एक व्यक्ति ने इशारा करके बताया कि मैं अपनी गाड़ी हटा रहा हूँ तो हम खुश हुए कि इतनी जल्दी पार्किंग मिल गयी। तभी वहाँ पुलिस वर्दी में खड़ी महिला दिखायी दी और बेटे ने बताया कि यह पास की जगह पार्किंग के लिए नहीं है और यहाँ जो गाडी खड़ी है उस पर आज 80 डॉलर की पेनेल्टी लग जाएगी।
चलिए हम तो बर्थडे सेलेब्रेट करने आए थे और कहाँ पार्किंग की रामायण में उलझ गए। कई बार फोन करने के बाद और कई देर तक भटकने के बाद बेटे का मित्र मिला। मित्र पोलेण्ड का है और उसके दो बच्चे हैं एक तीन साल का जिसकी बर्थ डे थी और दूसरा पाँच साल का। पत्नी से अलगाव हो चुका है और बच्चे नैनी के सहारे पल रहे हैं तो उस बेचारे का सारा पैसा ही नैनी में खर्च हो जाता है। लेकिन आज उसकी एक्स वाइफ भी आयी थी। वहाँ पार्क में कुछ बेंचों का सेट रखा हुआ था जिन्हें लोगों ने समय पर आकर रोक लिया था। आज गर्मी भी बहुत थी और बस धूप से बचाव का एकमात्र सहारा कहीं कहीं लगे हुए पेड़ ही थे। वाल्टेहक अपने साथ खाने को स्ट्राबेरी, चेरीज, तरबूज, ब्रेड, ज्यूस आदि लेकर आया था। साथ में एक ऑवन भी था। मुझे पता था कि खाने में ये ही सब होगा तो मैं घर से खाना खाकर निकली थी।
पार्क में झील से एक नहर भी निकाली गयी थी जो नदी के स्वरूप की थी। आपने हरिद्वार में दीप विसर्जन तो अवश्यक ही देखा होगा। कि कैसे शाम के समय हजारों लोग गंगा के किनारे खड़े हो जाते हैं और दीप विसर्जन करते हैं। कल्पना कीजिए कि इसे व्यावसायिक बना दिया जाए कि सारे ही दीपक एक जगह से बेचे जाएंगे और उनका विसर्जन एक साथ होगा और जो भी दीपक अपने गंतव्य तक पहले पहुंचेगा उसे भारी भरकम इनाम दिया जाएगा और यह चैरिटी का पैसा किसी अच्छे काम में लगाया जाएगा। खैर यह अलग विषय है, तो हरकी पेडी की तरह ही वहाँ का नजारा था, नहर के किनारे सैकड़ों लोग आ डटे थे और वे इंतजार कर रहे थे बतखों का। यहाँ दीपक की जगह छोटी-छोटी बतखे प्लास्टिक की बनी हुई थी उन पर नम्बर लगे थे। एक बतख की कीमत 5 डॉलर थी और उन्हें एक साथ ही नहर में छोड़ दिया गया। गंतव्य स्थल तक जो duck पहले पहुंचेगी उसे ढाई हजार डॉलर का इनाम था, दूसरा इनाम कुछ कम था और ऐसे कुल दस इनाम थे। मेरे सामने ही एक लड़की खड़ी थी जिसने सर पर ताज पहन रखा था। मुझे लगा कि कोई मिस अमेरिका जैसी शख्सियत तो नहीं है लेकिन वह एक लड़के के साथ खड़ी थी तो सोचा कि यदि कोई हस्ती होती तो भीड़-भाड़ होती। बाद में घर पर आकर कम्प्यूटर पर देखने पर मालूम पड़ा कि वह मिस सांता क्लारा ( Santa clara – city) थी और आज की मुख्यिअतिथि। उसके साथ में एक फुटबाल प्लेयर था। हमारे यहाँ तो ऐसे नहीं होता किसी सेलेब्रिटी के साथ, हम तो उसे घेरकर रखते हैं।
अरे मैं फिर डक फेस्टिवल में उलझ गयी। इतना होने के बाद बर्थडे भी सेलिब्रेट कर ही लें। हम कुछ मिलाकर 10 से 15 लोग थे। पीटर के हाथ में एक छोटा सा केक था, उसमें तीन मोमबत्तियां लगी थी। उसकी पूर्व पत्नी ने बच्चे को गोद में उठा रखा था और बस बिना शोर-शराबे के केक कट गया और बच्चे ने दोनों हाथों में केक लेकर खाना शुरू कर दिया। फोटो पर निगाह दौड़ा लीजिए और देख लीजिए बर्थ डे ब्वाय की ड्रेस। फिर याद कीजिए हमारे यहाँ की तड़क-भड़क। मजेदार बात तो यह है कि अमेरिका में बसे हुए लोग भी जब भारत आकर बच्चे की बर्थडे मनाते हैं तब ऐसा दिखाते हैं जैसे पता नहीं कितनी भव्यता से अमेरिका में बर्थडे मनती हो। घरवालों के प्रति एक असंतुष्टि का सा व्यवहार बना रहता है जिससे अन्य किशोर वय के बच्चे समझते हैं कि इन देसी दादा-दादी के कारण आज पता नहीं हमें किन-किन चीजों से वंचित होना पड़ा और वे लालायित हो जाते है अपना जीवन अमेरिका में बसाने को। पोस्टी बड़ी होने के डर से बहुत छोटे में ही अपनी बात लिख रही हूँ।
इतनी विस्तृत रपट पढ़कर आनंद आ गया.
ReplyDeleteडक फेस्टिवल अच्छा लगा...
ReplyDeleteऔर बर्थ डे बॉय को देख कर और भी ज्यादा ख़ुशी हुई...
तड़क-भड़क, आडम्बर से दूर...अपने में मस्त..बहुत खूब...
यहाँ भी हिन्दुस्तानी मानते हैं बर्थडे, अनिवेर्सरी, 16th , 18th बर्थडे, या फिर और कुछ टीम-टाम से...लेकिन यहाँ के लोग या फिर जो सफ़ेद हैं वो सादगी से ही मनाते हैं....
सच पूछिए तो ये सही भी लगता है...
वारेन बफेट के बारे में पढ़ा था खुशदीप जी के ब्लॉग पर...दुनिया का सबसे अमीर इंसान कितनी सादगी से रहता है कोई देखे जाकर....
बहुत सुन्दर पोस्ट ...अच्छा लगा देख कर कि आप एन्जॉय कर रही हैं...मौसम भी अच्छा है...घूम लीजिये खूब...
आभार...
बढ़िया तस्वीरों के साथ शानदार विवरण दिया.. पार्किंग फाइन बच गया ना?
ReplyDeleteवैसे ये पोलैंड के लोग होते अच्छे हैं.. आपने ये नहीं बताया कि इनमे से आपकी बत्तख कौन सी है? :)
डक फेस्टीवल के बारे में जानकर अच्छा लगा.
ReplyDeleteदीपक भाई, पार्किंग फाइन तो पास वाली गाडी के लगा था, हम तो सेफ थे। बत्तखों पर कम्प्यूटर से नम्बर डले थे तो पता ही नहीं कौन सी किसकी थी।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर पोस्ट ...अच्छा लगा देख कर कि आप एन्जॉय कर रही हैं...मौसम भी अच्छा है
ReplyDeleteमजा आ गया सब कुछ पढ़कर ...अभी नैपर विल जहाँ में रहता हूँ ..वहां पर भी डक फेस्टिवल था...बच्चो को बहुत मजा आता है. आपने जो तुलना की भारत से ..वो मजेदार रही :)
ReplyDeleteरोचक प्रस्तुति आपकी।
ReplyDeleteसादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
जन्मदिन मनाना तो यंत्रवत सा लगा । यही तो अफ़सोस होता है कि वहां माएं भी जन्मदिन के दिन ही दिखाई देती हैं । प्लास्टिक की बतखें । हरिद्वार के दीपों से क्या मुकाबला करेंगी जी । इसीलिए तो हमारा देश कई बातों में अच्छा है ।
ReplyDeleteलेकिन पढ़कर मज़ा आया । कुछ और तस्वीरें भी छापें ।
आपकी रिपोर्ट के साथ हम भी शामिल हो गए बर्थडे ,में ...अच्छी जानकारी...आपने यह अच्छा किया कि खाना खा कर गयीं थीं :) :)
ReplyDeleteडक फेस्टिवल के बारे में जानना अच्छा लगा ...
ReplyDeleteतस्वीरें और विवरण भी बहुत भय ...
आभार ...!!
सुंदर सचित्र विवरण ।
ReplyDeleteबहुत ही अच्छा रहा जन्मदिन पर यह डक-फैस्टीवल!
ReplyDeleteकभी न कभी तो हमें भी यहाँ जाने का
अवसर मिलेगा!
अजित जी असली आन्नद तो आप ले रही हैं अमेरिका प्रवास का बहुत सुन्दर और विस्त्रित जानकारी है
ReplyDeleteआगली पोस्ट का इन्तज़ार रहेगा
नंगू-फंगू बर्थडे बॉय बड़ा प्यारा है...
ReplyDeleteवर्सोना पार्क में डक्स से मिलकर भी बड़ा आनंद आया...
आभार...
जय हिंद...
hamare gaon me bhi same ox fastible hota hai.kabhi waha gaya to jarur likhunga
ReplyDeleteबढ़िया तस्वीरों के साथ शानदार विवरण दिया
ReplyDeleterochak ghatna.......:)
ReplyDeleteबढ़िया तस्वीरों के साथ शानदार विवरण. डक फेस्टीवल के बारे में जानकर अच्छा लगा.
ReplyDeleteduck festival...mast ...
ReplyDeletebahut shaandaar bday
बहुत अच्छा लगा ये .....संस्मरण पढ़ कर ....बहुत बढ़िया .
ReplyDeleteअजीत मेम ,
ReplyDeleteप्रणाम !
सुंदर चित्रों के साथ सुंदर जानकारी मिली , लगा हम भी आप के साथ भ्रमण पे थे ,
सुंदर ,
साधुवाद
डक फेस्टिवल के चित्र अच्छे लगे ! अच्छे वर्णन किया है आपने !
ReplyDeleteसादर
achha lg raha hai apke snsmarn pdhna
ReplyDeleteआप मेरे ब्लॉग पर आई। काफी अच्छा लगा। मुझे तो बर्थडे वाले बच्चे की ड्रेस काफी पंसद आई। हीहीहीही....अपन तो कभी जन्मदिन मनाते नहीं। जैसे इस बार चुपचाप ऑफिस में काम किया। दूसरों को ऑब्जर्व किया। .हां अगले सप्ताहंत में जमकर घूमा अकेले ही।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर और जीवंत विवरण...बहुत मजा आया ,पढ़कर..
ReplyDeleteरोचक संस्मरण!
ReplyDeleteबदिय चित्र और विस्त्रात रिपोर्ट ... मज़ा आ गया ...
ReplyDeleteआदरणीय डा० साहब।
ReplyDeleteअमेरिका प्रवास के संस्मरणों को पढ़ कर बड़ा आनन्द आया। वर्णन बड़ा सजीव है।
@ मैंने अपने ब्लाग में आपके द्वारा संकेत की गई त्रुटियों को दूर करने का प्रयास किया है। परिष्कार अनवरत चलने वाली प्रकिया है। आपके सुझावों की प्रतीक्षा रहेगी।
सद्भावी - डॉ० डंडा लखनवी
बहुत अच्छा और सचित्र विवरण तथा डक फेस्टिवल के बारे में अच्छी जानकारी. बहुत खूब!
ReplyDeleteअमेरिकी जीवन की झलक बड़े सहज रूप में दिखलाई आपने। सुन्दर पोस्ट!
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