श्रीमती अजित गुप्ता प्रकाशित पुस्तकें - शब्द जो मकरंद बने, सांझ की झंकार (कविता संग्रह), अहम् से वयम् तक (निबन्ध संग्रह) सैलाबी तटबन्ध (उपन्यास), अरण्य में सूरज (उपन्यास) हम गुलेलची (व्यंग्य संग्रह), बौर तो आए (निबन्ध संग्रह), सोने का पिंजर---अमेरिका और मैं (संस्मरणात्मक यात्रा वृतान्त), प्रेम का पाठ (लघु कथा संग्रह) आदि।
Saturday, February 28, 2009
बिटिया ने उपहार दिया, मैं नानी बन गयी
अभी 28 फरवरी का प्रारम्भ होने जा ही रहा था कि मेरी बिटिया ने मुझे बहुत ही सुन्दर उपहार दिया, एक नाजुक सी बिटिया और मैं यकायक माँ से नानी बन गयी। उसके आगमन के साथ ही डॉक्टर ने मुझे उसे दिखाया, उस नन्हीं परी ने मुस्करा कर, पूरी आँखों को खोल कर मेरा स्वागत किया। मानो कह रही हो कि नानी मैं आपके जीवन में एक नया सवेरा लेकर आ रही हूँ। बिटियाएं कितनी प्यारी होती हैं, उसे छूते ही मुझे लगा की मेरे अन्दर भी एक नव अंकुर फूट गया है। अपनी खुशियाँ, अपनों में ही वितरित की जाती हैं, अत: आप सबसे अपनी खुशियाँ बाँट रही हूँ। क्योंकि नानी बनना बहुत ही प्यारा सा अहसास होता है।
ऐसा नहीं है कि
ReplyDeleteअब आप माँ नहीं रहीं!
अब आप माँ भी हैं
और
माँ की माँ भी!
वाह..... ये तो बहुत अच्छी खबर है.. बधाई स्वीकारें..... बिटिया की बिटिया के लिये ढेर सारी शुभकामनाएं आपका आग्रह रहेगा तो एक कविता भी सुना दूंगा फिलहाल तो मन से आशीष झर रहे हैं...
ReplyDeleteबधाई।
ReplyDeleteआदरणीया,
ReplyDeleteआपको बहुत बधाई. आपके यहाँ बिटिया अवतरित हुई, बिटिया यानी संस्कृति की सरिता, ना जाने कितने ईश्वरीय वरदानों एवम चमत्कारों की वाहक.
पुनः बधाई, अभी तो आप व्यस्त होंगी शीघ्र ही आपसे मुलाकात करूंगा,
सादर,
विनय के जोशी
बधाई हो...
ReplyDeletebitiya ki nani.waah... ab khoob anand hoga.
ReplyDeletekhali panne
बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteबधाई!
ReplyDeleteदादी नानी बनना एक अवर्णनीय सुख है।
किरण
बधाई हो
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