भारत में छोटी-छोटी खुशियों को लेकर हम नाच उठते हैं, दूसरों को बताने के लिए धड़ाधड़ फोन मिलाते हैं। यह भी नहीं देखते कि इस समय फोन करना उचित नहीं है। लेकिन हमारे यहाँ खुशियां छोटी-छोटी ही हैं तो हम खुश होने का मौका छोड़ते नहीं। एक मेरी मित्र हैं, अमेरिका गयी थी। वे बता रही थीं कि मैंने अपनी बिटिया से कहा कि हम भारत वाले छोटी-छोटी खुशियों में भी खूब खुश होते हैं लेकिन यहाँ अमेरिका में ऐसी खुशियां का कोई स्कोप ही नहीं है। बिटिया ने पूछा क्या मतलब? वे बोली की अब देखो, भारत में कभी भी लाइट चले जाती है, सारा घर अंधकार में डूब जाता है। सब तरफ हड़बड़ी सी मच जाती है। कोई कहता है माचिस लाओ, कोई कहता है इमरजेन्सी लाइट जलाओ। अभी ढूंढा-ढूंढी चल ही रही होती है कि भक से लाइट आ जाती है। पूरा घर रोशन हो जाता है, हाथ की माचिस और मोमबत्ती हाथ में ही रह जाती है और पूरा घर खुशी से नाच उठता है – लाइट आ गयी, लाइट आ गयी। ऐसा सुख अमेरिका में नहीं है। जीवन एक सा चलता रहता है।
आज सुबह की ही बात बताती हूँ, बता भी इसलिए रही हूँ कि हम जब तक अपनी खुशियां बाँट ना ले चैन नहीं आता है। मुझे अभी दो-चार दिन पहले ही बिटिया का फरमान मिला कि आपको पुणे आना है। मैंने कहा कि इतनी जल्दी में आरक्षण कहाँ मिलेगा? लेकिन फिर वीआईपी कोटे के सहारे आश्वस्त हो गए। लेकिन मैंने उससे पूछा कि एक तत्काल कोटा भी तो होता है, उसमें नहीं हो सकेगा क्या? वह बोली कि आजकल एजेन्टों के चक्कर में नेट पर विण्डो ही बन्द रहती है। आप रेलवे स्टेशन जाओ तो हो सकता है, वो लम्बी लाइन के बाद में। एक और से पूछा, उसने भी यही कहा। मैंने प्रयोग करने की ठान ली। आज सुबह 8 बजे नेट की विण्डो खुलने वाली थी और मैं 10 मिनट पहले ही एकदम तैयार। लेकिन यह क्या जैसे ही 8 बजे मैंन क्लिक किया, नेट ने सॉरी बोल दिया। मैं पंद्रह मिनट तक कोशिश करती रही और नेट से सॉरी आता रहा। मैंने उपलब्धता जाँचने के लिए क्लिक किया तो कम्प्यूटर जी बोले कि आपका सेशन एक्सपायर हो गया है, रि-लोगिन करे। मैंने दुबारा लोगिन किया तो 2 एसी में आरक्षण पूरा हो चुका था। लेकिन पता नहीं मुझे क्या जँचा कि चलते-चलते 3एसी का ही देख लूं। तो देखा कि उसमें अभी आरक्षण हैं। मैंने फटाफट क्लिक किया और मुझे आरक्षण मिल गया। हुर्रे -------। मैं खुशी के मारे उछल पड़ी, पतिदेव ने पूछा कि क्या हुआ? मैंने कहा कि मिल गया। मैंने फटाफट बिटिया को फोन लगाया जब कि मुझे मालूम था कि सुबह का समय उसके ऑफिस निकलने का होता है लेकिन अपनी खुशी बाँटनी जो थी। मैं यदि सावधानी रखती तो मुझे 2एसी का भी मिल जाता, जल्दी के चक्कर में मेरा सेशन एक्सपायर हो गया था। तो यह है हमारे देश की छोटी-छोटी खुशियां। इन्हें पाकर हमें लगने लगता है कि पता नहीं कौन सा तीर मार लिया है!
लेकिन जैसी हमारी छोटी खुशियां हैं वैसे ही हमारे गम बहुत बड़े हैं। एक उदाहरण देती हूँ। सरकारी नौकरी में व्यक्ति नेताओं और अधिकारियों के रात-दिन चक्कर लगाता है। क्यों लगाता है? इसलिए लगाता है कि मेरा स्थानान्तरण ना हो जाए। यदि उदयपुर से चित्तौड़ भी जाना पड़े तो कष्ट का विषय है। वो भी बहुत बड़े कष्ट का। जबकि आजकल प्राइवेट कम्पनियों में बेचारे व्यक्ति को यह नहीं मालूम होता है कि उसे कल दुनिया के किस कोने में जाना पड़ जाएगा? कितने दिन के लिए और कब? वे इसे बड़ा कष्ट नहीं मानते लेकिन हम 100-50 किमी जाने को ही बड़ा कष्ट मानते हैं। अब मेरे दामाद है, उन्हें दस दिन पहले फरमान सुनाया गया कि आपको तीन सप्ताह के लिए लन्दन जाना है। जाना है तो जाना है। कोई आगे-पीछे नहीं। यही फरमान मेरे पास पलटकर आ गया कि आपको पुणे आना पड़ेगा। अब जा रहे हैं 24 तारीख को पुणे। पूरे एक महिने के लिए। अब इसे कष्ट कहो या पारिवारिक सुख! एक-दूसरे के लिए तैयार। तो अपना मुकाम अब पुणे रहेगा, पूरा एक महिना। वही से दुआ-सलाम होगी। लेकिन शायद इतनी नियमितता नहीं रहे जितनी यहाँ रहती है। परायी जगह, सौ काम। तो अगली पोस्ट पुणे से।
41 comments:
सही कहा आपने। हम छोटी छोटी बात पर खुश हो जाते हैं। इस से तो जिंदगी का मजा भी है।
अजीत जी आपको बधाई हो आप बिटिया के पास जा रही हैं। वहां आपकी नातिन भी होगी, नाती भी होगा। उनके साथ भी खुशियां बांटें और फिर अपने अनुभव हमें बताकर हमें भी अपनी खुशियों में शामिल होने का अवसर दें।
आपको यात्रा की अग्रिम शुभकामनाएं।
अतुल जी केवल नातिन है और उसका जन्मदिन 28 फरवरी को है। मेरे दामाद को 28 फरवरी को ही लन्दन में जोइन करना है। अब जन्मदिन 26 को ही मनाएंगे।
छोटी-छोटी खुशियों को बाँटकर हम और ज्यादा उल्लासित हो जाते हैं।
जीवन को वही ज्यादा आनन्दमय व्यतीत करता है जो छोटी-छोटी बातों पर भी खुश होना जानता है।
अब हमें पूना के बारे में जानकारियों का इंतजार रहेगा।
प्रणाम
sahi kaha aapne
:) :) यही छोटी छोटी खुशियाँ जीवंतता बनाये रखती हैं ...पुणे से आपकी दुआ सलाम का इंतज़ार रहेगा ..नातिन के जन्मदिन पर अग्रिम बधाई और शुभकामनायें
ऐसा भी तो कहा जाता है ना कि खुशियां बांटने से बढती हैं और गम बांटने से हल्के होते हैं । शायद विदेशों में ये विचार ना चलते हों ।
.
जब खोया हुआ फिर मिल जाता है.
जब प्रिय गया हुआ लौट आता है.
जब अटका हुआ सुलझ जाता है.
जब रुका हुआ फिर चल पड़ता है.
जब छिपा हुआ फिर दिख जाता है.
......... तब तब तन और मन मुस्काता है.
.
नातिन के जन्मदिन पर अग्रिम बधाई और शुभकामनायें………यही तो भारतीयो की खूबीहै छोटी छोटी खुशियो मे ही ज़िन्दगी जी लेते हैं और नयी ऊर्जा के साथ आगे बढते हैं…………बहुत सु्न्दर आलेख्।
जो छोटी खुशियों में बड़ी खुशी की अनुभूति कर लेता है वही सिद्ध पुरुष है -औरतों के बारे में मेरी विशेषज्ञता नहीं है!:)
आप हिन्दी ब्लागजगत की प्रवचन अम्बेसडर हो सकती हैं -ज़रा इसी को फुरसत से पोडकास्ट पर तो लगाएं -मैं तो पढ़कर ही प्रशांति का अनुभव कर रहा हूँ !
आप ने पुणे से वापसी का टिकट लिया की नहीं क्योकि फ़रवरी में मुंबई पुणे रुट पर तो आप को टिकट मिल सकता है पर मार्च से जून तक आप को टिकट नहीं मिलेगा | मैंने मार्च का का दो महीने पहले कराया था वेटिंग मिला और मम्मी पापा का अप्रैल का तीन महीने पहले कराया आरक्षण शुरू होने के दुसरे दिन ही हमें आ रे सी टिकट मिला है वापसी में आप को वी आई पी कोटे से ही टिकट करना होगा | जी हा जिस साल हमें टिकट कन्फर्म मिला जाता है हम भी उतने ही खुश हो जाते है और पुरे बनारसी रिश्तेदारों को खबर कर देते है की इस बार आराम से आउंगी कन्फर्म टिकट मिल गया है |
.
ये छोटी छोटी खुशियाँ ही तो हैं हमारे जीवन का सार । ये न हों तो फिर शेष क्या बचेगा ? सिर्फ एक संघर्ष भरा जीवन । जिसने इन छोटी छोटी खुशियों में जीना सीख लिया , वही खुशहाल है और उसी का जीवन सफल है ।
नन्ही गुडिया कों जन्मदिन की अग्रिम शुभ कामनाएं।
.
वैसे भारतीय, स्थितिप्रज्ञ और सब नियति का लेखा मानते हुए अक्सर तटस्थ बने रहने के लिए जाने जाते हैं.
खुश होने के लिए...निश्छल मन होना चाहिए....जो छोटी-छोटी खुशियों पर झूम उठता है..वरना कुछ चेहरों पर ,एक अदद मुस्कराहट भी बड़ी मुश्किल से आती है...
पुणे यात्रा की शुभकामनाएं!
नातिन के जन्मदिन पर अग्रिम बधाई और शुभकामनायें!!
बहुत सही कहा है की हम छोटी छोटी खुशियों से ही खुश हो लेते हैं, लेकिन इसका परिणाम यह भी होता है की हम दुखों का मुकाबला करने में अपने को असमर्थ बना लेते हैं..सार्थक पोस्ट.
प्यारी नातिन को जन्मदिन की अग्रिम शुभकामनाएं..
इस अतिव्यस्त युग में छोटे छोटे अवसरो से खुशीयों के पल चुराने पडते है। जो इस कला में माहिर है प्रसन्न रहता है।
नातिन को दीदी, मेरी भी शुभकामनाएं और आशिर्वचन कहें!!
नातिन की जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं।
आपकी खुशियों और गमो में हम पाठकों को शामिल करने का आभार |
हार्दिक बधाई आपको !
छोटी छोटी खुशियां हो या बडी खुशी बांटने से ज्यादा बडती हे, गम या दुख बांतने से कम होते हे, अब इसे कोई वहम कहे या कुछ भी यह हमारा अजामाया हुआ हे,
आप को यात्रा की शुभकामनाऎ, मिलते हे पुणे मे.... राम राम
खुशी गम तो वैसे भी अपने मन के भाव हैं .
खुश होने वाले के लिए छोटी छोटी खुशियों के नन्हे नन्हे पल ही बहुत हैं.
नातिन के जन्म दिन की अग्रिम शुभकामनाये..
बहुत सही कहा आपने, यही छोटी छोटी खुशियां बाद में पूंजी बन जाती हैं. पूणे प्रवास के लिये शुभकामनाएं.
रामराम.
मजेदार पोस्ट।
कहीं शरद जोशी ने लिखा है..बड़ा दुःख छोटे दुःख को खुशी में बदल देता है।
हुर्रे!! चलो, बिटिया से मिलना हो जाएगा, राजस्थानी के साथ मराठी भाखरवाडी, वडा-पाव आदि का भी स्वाद मिल जाएगा। शुभयात्रा॥
यही छोटी छोटी खुशियाँ हमारे जीवन को जीवंत बनाये रखती हैं...... बहुत सुंदर लिखा है आपने.....
पुणे यात्रा के लिए शुभकामनायें .....
हम भारतीय छोटी- छोटी बातों में भी खुशियाँ ढूंढ लेते हैं ...
नातिन के जन्मदिन की अग्रिम शुभकामनायें ...
यात्रा मंगलमय हो !
खुशियां यहीं पे,
मिलेंगी हमे रे,
अपना है, अपना,
ये देस-परदेस...
मन चंगा तो कटौती में भी गंगा...
जय हिंद...
सच में बड़े काम की होती हैं छोटी खुशियाँ..... आपकी बात बहुत अच्छी लगी....
------------
मेरे ब्लॉग पर सफ़ेद चमकते पेड़.....
अजित मेम ! प्रणाम !
छोटी-छोटी खुशियों को बाँटकर हम और ज्यादा उल्लासित हो जाते हैं।
जीवन को वही ज्यादा आनन्दमय व्यतीत करता है जो छोटी-छोटी बातों पर भी खुश होना जानता है।
अब हमें पूना के बारे में जानकारियों का इंतजार रहेगा।
सादर
छोटी छोटी चीजों में ही खुश हो लिया जाये।
नातिन के जन्मदिन पर अग्रिम बधाई और शुभकामनायें
लौहांगना ब्लॉगर का राग-विलाप
sundar lekh. janmdin ki khushiyon men meri badhayee bhi shamil kar lijiyega.
ख़ुशी एक नज़रिया है...बस.
जिसे ख़ुश नहीं रहना है उसका कुछ नहीं हो सकता.
आदमी सुविधाओं और जैसा चल रहा है, उससे कुछ अलग करने में तकल्लुफ करता है, यही वजह है कि वो जैसा ही वैसा ही रहता है उसमें जीवन्तता नहीं आती, क्या ऐसा नहीं है ??
छोटी छोटी खुशियाँ हमें बड़े बड़े गमों से लड़ने में मदद देती हैं।
आपका पूणे प्रवास शुभ हो, कामना करते हैं।
हैप्पी बर्थडे टु लिटिल फ़ेयरी।
खुश रहने का ही यत्न करना चाहिए। एक छोटी सी ही खुशी संबंल देती है।
यात्रा शुभ हो।
good going
abhi kal hi mei bazar se guzar rahi thi aur trafic jam tha ,kyon?
kyonki ek baarat gujar rahi thi naachte gate bindas,pahle to mujhe gussa aaya phir socha yahi to apna Indi hei, har gam har khushi sabse baant ta hua rang bikherta hua,varna ye bhi bore nahi hota like usa.jab tak gam ya khushi bato nahi chain nahi padta.mei to yah post ,post ho jaygi to bhi khushi se uuchlungi.
सुन्दर व्यंजना है आपकी. मेरी बधाई स्वीकारें. - अवनीश सिंह चौहान
बहुत दिन से आप नज़र नही आ रही थी। याद आयी तो भागी चली आयी। तो आजकल नातिन के पास हैं। उसके जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई और उसे आशीर्वाद। छोटी छोटी खुशियाँ बटोर लीजियेबाद मे यही काम आती हैं जब बच्चे दूर चले जाते हैं। शुभकामनायें।
aapne bahut hi sahi baat kahi .. choti choti khushiyan hi hmaari zindagi ka raaz hai ..
badhayi sweekar kare..
---------
मेरी नयी कविता " तेरा नाम " पर आप का स्वागत है .
आपसे निवेदन है की इस अवश्य पढ़िए और अपने कमेन्ट से इसे अनुग्रहित करे.
"""" इस कविता का लिंक है ::::
http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/02/blog-post.html
Aaapki prastuti bari pyaari lagi.. Aap ne behad khubsurati ke sath hamari khushiyan manane ki pravriti ko darshaaya hai.. aapne is prastuti me apni khushiyon ka jikra kar is prastuti ko behad khubsurat bana diya hai..
Post a Comment