Thursday, November 12, 2009

पुत्र-वधु के आगमन पर - आज चिरैया आ पहुँची

मुझे आज वह दिन स्‍मरण हो रहा है, जब मेरी पुत्र-वधु मेरे घर में आ रही थी। बेटे के चेहरे पर खुशी फूटी पड़ रही थी। घर की दीवारे भी जैसे चहक रही हों। खामोश से पड़े घर में चहचहाट होने लगी थी। उन क्षणों में एक कविता मेरे मन से निकलकर कागज में समा गयी। आज आपको समर्पित करती हूँ।

एक सुबह मेरे आँगन, एक चिरैया आ बैठी
नन्हें पंजों से चलकर, मेरी देहली जा पहुँची
मैं पूछू उस से कौन बता, क्यूं मेरे घर में आती
वह केवल चीं-चीं करती घर के अंदर जा पहुँची।

ओने-कोने में दुबकी घर की खुशियाँ निकल पड़ी
दीवारों पे पसरा सन्नाटा झट से बाहर भाग गया
मैं पूछू सबसे कौन बता, क्यूँ मेरे घर को भाती
वे कहते तेरा यौवन ले के, आज चिरैया आ पहुँची।

जो बीने थे पल कल से इक-इक कर निकल पड़े
रंगो हमको फिर से, हम बदरंग पड़े थे कब से
मैं पूछू रब से कौन बता, क्यूँ मेरे घर को रंगती
रब बोला तेरे कल को रंगने आज चिरैया आ पहुँची।

मैं सुध-बुध खोकर खुश होते आँगन को देख रही
उसकी चीं-चीं अंदर तक, मेरे मन में समा गयी
मैं पूछू मन से कौन बता, क्यूँ मुझको दस्तक देती
मन बोला तेरी दुनिया ले के आज चिरैया आ पहुँची।

28 comments:

मधुकर राजपूत said...

बहू में समाया सास का संसार। उम्दा कविता। उम्दा सोच। सास बहू और साजिश के मुंह पर सास बहू प्रेम का करारा तमाचा।

दिगम्बर नासवा said...

BAHOOT ACHHEE SOCH SE UPJI RACHNA HAI .... SAKAARTMAK SOCH ... SUNDAR RACHNA ...

अजय कुमार said...

सास बहु में प्यार बना रहे और बढे

Dr. kavita 'kiran' (poetess) said...

bahut pyara ahsas hai aapka didi.her bahu yahi sochegi use aap-si saas mile o use bahu nahi beti samjhe.good.meri new post aapka intezar kar rahi hai.

Anonymous said...

itni sunder bhavna hai to har saas dubara bahoo banana chahegi

Unknown said...

ईश्वर करे कि आपकी भाँति ही प्रत्येक माता अपने पुत्रवधू के प्रति पुत्रीवत स्नेह रखे!

Khushdeep Sehgal said...

सांची कहे तोरे आवन से हमरे,
अंगना में आई बहार भौजी...
लक्ष्मी की सूरत, ममता की मूरत,
लाखों में एक हमार भौजी...

जय हिंद...

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

बहुत ही उम्दा ख्यालात ख़ास कर एक सास के बहु के प्रति आपने कविता में पिरो दिए !

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...

ईश्वर करे यह चिरैया ही रहे और जीवन भर चहकती ही रहे।

rashmi ravija said...

प्यारी सी सुन्दर सरल रचना....दिल के तारों को छू लेने वाली.

संगीता पुरी said...

बहुत खूबसूरत अहसास .. काश यही प्‍यार हर घर में मौजूद होता !!

निर्मला कपिला said...

मैं सुध-बुध खोकर खुश होते आँगन को देख रही
उसकी चीं-चीं अंदर तक, मेरे मन में समा गयी
मैं पूछू मन से कौन बता, क्यूँ मुझको दस्तक देती
मन बोला तेरी दुनिया ले के आज चिरैया आ पहुँची।
आपकी खुशी शब्दों से झलक रही है जैसे शब्द खुद चहक रहे हों । इन खुशियों के लिये बहुत बहुत मुबारकबाद आपके परिवार का स्नेह बना रहे । शुभकामनायें

सदा said...

मैं सुध-बुध खोकर खुश होते आँगन को देख रही
उसकी चीं-चीं अंदर तक, मेरे मन में समा गयी

बहुत खूबसूरत अहसास, इन खुशियों के लिये बहुत बहुत शुभकामनायें

sanjay vyas said...

अनुपम वात्‍सल्‍य भाव

रचना दीक्षित said...

भावप्रधान सकारात्मक सोच वाली एक बेहतरीन रचना

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

वाह....!
एक यादगार कविता!
सास हो तो ऐसी!

आभा said...

बहुत सुन्दर ...

मनोज कुमार said...

यह कविता आपके विशिष्ट कवि-व्यक्तित्व का गहरा अहसास कराती है।

Anonymous said...

ek sas, jo kabhi khud bhi ek bahu thi,jo ek ma hi aapne beete kal ko apni chirayya me jeena chati hai. bahut hi sundar ehsas. abhinandan, kavita aapke komal vyaktitva ko darshati hai.

Batangad said...

चिरैया का घोसला हमेशा आबाद रहे

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी said...

पुत्र-वधू का आना है इक बहू का सासू बन जाना।
बेटी सा गले लगाना होता घर में ममता बरसाना॥

यह भाव फले-फूले घर-घर,गुंजायमान होवे यह स्वर।
हर बहू भाग्यशाली होवे जैसी इस घर में आ पहुँची॥

कोटिशः बधाई और शुभकामनाएं।

रंजू भाटिया said...

वाह बहुत सुन्दर ..बहुत सुन्दर तरीके से आपने अपन भावों को इस रचना में बांधा है ..यही प्रेम हर दिल में रहे इसी शुभकामना के साथ

पंकज said...

यूँ कहते भी हैं कि बेटियां तो मुंडेर की चिरैया होती है जो किसी दिन उड जाती है. आज पता चला कि वो तो माँ के घर से उड सासू माँ की मुंडेर पर जा बैठती है.

अबयज़ ख़ान said...

आप अपनी बहू से सचमुच बहुत प्यार करती हैं... पहली बार देखा है किसी सासू मां को अपनी बहू के लिए कविता लिखते हुए.. चिरैया के रूप मे आपने बढ़िया तस्वीर उतारी है...

padmja sharma said...

इतनी ममता,इतना स्वीकार. जैसे कोई खुद से ही करता हो प्यार . प्यारी रचना है .

vandana gupta said...

kash aisa vatsalya har saas ka apni bahoo par ho.........bahut hi sundar nazm .........aapke har bhaav ko darshati.

Asha Joglekar said...

बहुत ही सुंदर रचना एक सास की सारी भावनाओं को समेटे हुए । ये मां बेटी सा प्यार सदा रहे ।

Pawan Kumar said...

जो बीने थे पल कल से इक-इक कर निकल पड़े
रंगो हमको फिर से, हम बदरंग पड़े थे कब से
मैं पूछू रब से कौन बता, क्यूँ मेरे घर को रंगती
रब बोला तेरे कल को रंगने आज चिरैया आ पहुँची।
.............................................बहू के आगमन की बधाई.....घर आगन यूँ ही चहकता रहे.......!बहुत सुन्दर रचना.....
एक कवियत्री माँ की भावनाएं दिल को छु गयीं