अमेरिकी पुलिस का एक चित्र कल वायरल हो रहा था- घुटने पर बैठकर क्षमायाचना करते हुए। यह चित्र पुलिस का धैर्य और समन्वय प्रदर्शित करता है। सत्ता का मद और शक्ति का प्रदर्शन कभी भी शान्ति स्थापित नहीं कर सकता। श्रेष्ठ शासक हमेशा धैर्यवान होता है, वह प्रत्येक परिस्थिति में समन्वय बैठाकर चलता है। कल पुलिस का अधिकारी बोल रहा था कि आप देश से प्यार करने वाले लोग हैं, सभी से प्यार करने वाले लोग हैं, शान्ति पूर्वक प्रदर्शन करना आपका अधिकार है लेकिन दंगे करना आप भी पसन्द नहीं करेंगे।
मुझे मोदीजी याद आ गये, हमेशा सकारात्मक बोलने वाले, दूसरों को श्रेय देने वाले और कठिन परिस्थिति में भी धैर्य नहीं खोने वाले। असल में हम अपने स्वभाव के अनुरूप सरकार से व्यवहार चाहते हैं। हमारा स्वभाव है कि हम बच्चे को थप्पड़ मारकर सुधारना चाहते हैं तो सभी से यहा उम्मीद रखते हैं। यदि हम बच्चे को प्यार से समझाना चाहते हैं तो सरकारों से भी प्यार की भाषा की उम्मीद रखते है। सत्ताधीश अपने स्वभाव के अनुरूप चलता है और विजय प्राप्त करता है। उन्हें धैर्य का मार्ग ही अपनाना होता है लेकिन जनता चाहती है कि सत्ता शक्ति का प्रदर्शन करे। बस हम हमारे प्रिय नेता की भी आलोचना करने लगते हैं। जनता के पास केवल एक पक्ष होता है लेकिन सरकार के पास अनेक पक्ष होते हैं और सभी को ध्यान में रखते हुए स्थिति को क़ाबू करना होता है। मुझे अमेरिकी पुलिस का व्यवहार बहुत अच्छा लगा कि वे अपने ही लोगों के सामने झुके और हिंसा को रोक लिया। नहीं तो वे गोलीबारी भी कर सकते थे और फिर नफ़रत का खेल हमेशा के लिये स्थाई हो जाता। ट्रम्प भी इसी धैर्य के लिये मोदी का प्रशंसक है और वह प्रत्येक प्लेटफ़ॉर्म पर मोदी का साथ चाहता है। शाबाश अमेरिकी पुलिस।
मुझे मोदीजी याद आ गये, हमेशा सकारात्मक बोलने वाले, दूसरों को श्रेय देने वाले और कठिन परिस्थिति में भी धैर्य नहीं खोने वाले। असल में हम अपने स्वभाव के अनुरूप सरकार से व्यवहार चाहते हैं। हमारा स्वभाव है कि हम बच्चे को थप्पड़ मारकर सुधारना चाहते हैं तो सभी से यहा उम्मीद रखते हैं। यदि हम बच्चे को प्यार से समझाना चाहते हैं तो सरकारों से भी प्यार की भाषा की उम्मीद रखते है। सत्ताधीश अपने स्वभाव के अनुरूप चलता है और विजय प्राप्त करता है। उन्हें धैर्य का मार्ग ही अपनाना होता है लेकिन जनता चाहती है कि सत्ता शक्ति का प्रदर्शन करे। बस हम हमारे प्रिय नेता की भी आलोचना करने लगते हैं। जनता के पास केवल एक पक्ष होता है लेकिन सरकार के पास अनेक पक्ष होते हैं और सभी को ध्यान में रखते हुए स्थिति को क़ाबू करना होता है। मुझे अमेरिकी पुलिस का व्यवहार बहुत अच्छा लगा कि वे अपने ही लोगों के सामने झुके और हिंसा को रोक लिया। नहीं तो वे गोलीबारी भी कर सकते थे और फिर नफ़रत का खेल हमेशा के लिये स्थाई हो जाता। ट्रम्प भी इसी धैर्य के लिये मोदी का प्रशंसक है और वह प्रत्येक प्लेटफ़ॉर्म पर मोदी का साथ चाहता है। शाबाश अमेरिकी पुलिस।
बहुत खूब लिखा।
ReplyDeleteआभार शास्त्रीजी
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