इटली में लोग मर रहे हैं, घरों की बालकनी में आकर
बन्द गाड़ियों में जाते शवों को देख रहे हैं फिर उन्हें लगता है कि हमें किसने अभी
तक बचाकर रखा है? वे सोचने लगते हैं और जो चेहरे सामने आते हैं, वे होते हैं
डॉक्टर के, पेरामेडिकल स्टाफ के, पुलिस के, आर्मी के। और फिर घर से निकाल लाते हैं
बर्तन, गिटार या जो भी मिल जाए। बजाने लगते हैं, आभार में उन सबके, जो सेवा कर रहे
हैं, उन्हें बचाकर रख रहे हैं। मौत का सन्नाटा चारों तरफ फैल रहा है, जब इन
घण्टियों की आवाजें चारों तरफ फैलने लगती है तब और घरों से भी ताली बज उठती है,
घण्टी बज जाती है। कृतज्ञता क्या होती है, मनुष्य समझने लगता है। आँख से झरझर पानी
बहने लगता है, सोचता है कि देखों इन लोगों को जो हमें बचाने के लिये रात-दिन लगे
हैं, खतरों से खेल रहे हैं!
कई मौहल्ले ऐसे भी होंगे जहाँ लोग थाली बजाकर बता
रहे होंगे कि हम है, यहाँ हम अकेले रह गये हैं! कितना दर्दनाक दृश्य होगा वहाँ! कल
तक जहाँ खुशी के तराने बज रहे थे आज वहाँ मौत का सन्नाटा पसरा है। कोई इन फरिश्तों
को दुआएं दे रहे हैं और कोई अपने होने का प्रमाण दे रहे हैं। कभी चौकीदार कहता था –
जागते रहो और आज लोग कह रहे हैं जगाते रहो। घर में रहो और बताते रहो।
भारत के प्रधानमंत्री ने कहा कि इतने बड़े भारत में
करोड़ों लोग फरिश्ते बनकर हम सब की सेवा कर रहे हैं, सभी को कृतज्ञता ज्ञापित करने
के लिये 22 मार्च को शाम 5 बजे घण्टे घड़ियाल बजा दो। आजतक भगवान के प्रति
कृतज्ञता ज्ञापन करने के लिये हम शंखनाद करते हैं लेकिन आज इन देवदूतों के लिये भी
शंखनाद कर दो। मोदी की बात दिल को छू गयी, लोग निकल पड़े घर की छत पर और सारे गगन को गुंजायमान कर दिया। हमने
आखिर आभारी होना सीख लिया।
भारत में कम ही लोग हैं जो किसी का आभार मानते
हैं, किसी को श्रेय देते हैं, अक्सर लोग दूसरे को श्रेय देने में अपनी तौहीन मानते
हैं, शायद कल कुछ लोगों ने ऐसा किया भी हो लेकिन भारत के अधिकांश लोग कृतज्ञ हुए।
वे सेवा करने वाले हर उस इंसान के प्रति कृतज्ञ हुए जो हमें प्रकृति की मार से बचा
रहा है और हमारी सेवा कर रहा है। वातावरण में कृतज्ञता की सुगन्ध आने लगी, आँखे नम
हो गयीं। आँखे उस महान मोदी के लिये भी नम हो गयी जो हमारे लिये रात-दिन लगा है, आँखे
हर उस व्यक्ति के लिये नम हो गयी जो इस दुख की घड़ी में हमें सांत्वना दे रहा है।
हम भूल गये थे कि दुनिया सभी के सहयोग से चलती है, हमारा अहम् बहुत छोटा है,
दुनिया का साथ बहुत बड़ा है। हम अकेले दुनिया में कुछ नहीं है, सब हैं तो हम हैं।
सब के लिये हमेशा ताली बजाते रहिये, सभी की पीठ थपथपाते रहिये, प्यार देते रहिये
और खुशियाँ बाँटते रहिये। न जाने कब हमें घण्टी बजाकर बताना पड़ जाए कि सम्भालों
हमें, हम अभी शेष हैं। बस सभी को ऐसे ही कृतज्ञता ज्ञापित करते रहिये।
निय-कानून का सुद अन्तःकरण से पालन कीजिए।
ReplyDeleteएक एक शब्द सच बयां कर दिया है आपने , समस्या ये है कि जितनी गंभीरता कर सचेतता हमें दिखानी चाहिए वो हम वास्तव में न तो समझ रहे हैं न ही दिखा रहे हैं | सिर्फ खुद को सुरक्षित रखने को कहा समझाया जा रहा है लेकिन शायद विनाश काले विपरीत बुद्धि वाली बात है | चिकत्सा से जुड़े हर छोटे बड़े प्रयास और सेनानी के लिए हज़ार हज़ार सैल्यूट |
ReplyDeleteशास्त्रीजी आभार।
ReplyDeleteअजय जी आभारी हूँ।
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