एक झटके में देश कितना बदल गया है! अभी दस-बारह
दिन भी नहीं बीते हैं जब देश में स्यापा हो रहा था। मोदीजी की डॉक्यूमेन्ट्री फिल्म
- मेन्स / वाइल्ड का ट्रेलर आया था और चारों तरफ शोर मच गया था। गैर जिम्मेदार मीडिया
और उनके समर्थक लगे पड़े थे मोदीजी के साहस को कम करने में। मैंने भी एक पोस्ट लिखी
थी लेकिन किसी कारण से पोस्ट नहीं हो पायी और तारीख बदल गयी। इतिहास बदल गया।
लोगों की सोच बदल गयी। कश्मीर विवाद के घेरे से निकाल लिया गया और साफ-सुथरा सा
कश्मीर देश को सौंप दिया गया। मोदीजी क्या कर सकते हैं यह सारी दुनिया ने देखा और
समझा। देश से डर निकलने लगा लेकिन विद्रोहियों के मन में घर करने लगा।
आज 12 अगस्त है, मोदी जी की फिल्म डिस्कवरी पर
दिखायी जाएगी लेकिन कोई छिछालेदारी नहीं है। वे समझ गये हैं कि इस व्यक्ति में
कितना दम है। माननीय न्यायालय पूछ रहा है कि राम का वंशज कौन है? साक्षात मोदी
खड़े हैं। राम विष्णु के अवतार थे, उनके हाथ में तीर-धनुष था, फिर कृष्ण का अवतार
हुआ और उनके हाथ में सुदर्शन चक्र आ गया लोकिन अब कोई अवतार नहीं, बस कुछ लोगों ने
ठान लिया कि हम स्वयं ही इस देश को पाप से मुक्त करेंगे। मोदी के हाथ में कोई
हथियार नहीं है, बस वह अभय का मन्त्र देता है और देश भयमुक्त होने लगता है। मोदी
ने बिखरी गोटियों का चौसर पर जमा दिया है, किस को कहाँ होना चाहिये यह बात बता दी है। बस सारी गोटियाँ अपने खाने में
रहकर चलना सीख रही हैं।
एक प्रदेश से तीन क्षेत्र जुड़े थे, कश्मीर,
जम्मू और लद्दाख। तीनों ही अलग मानसिकता के पोषक थे। तीनों को अपने-अपने अधिकार और
कर्तव्य बता दिये गये हैं। जम्मू और लद्दाख दीवाली मना रहे हैं और कश्मीर ईद मना
रहा है। कश्मीर ने खामोशी ओढ़ी है, देखना है वे अब देश के लिये कुर्बानी कैसे देते
हैं! कल तक उनके हाथ में पत्थर थे, वे भगा रहे थे भारतीय सैनिकों को। आज पत्थर
गायब हो चुके हैं, अब राखी हाथ में देने का दिन आ गया है। किसी को हलाल मत करो
अपितु रक्षा करो, यह संदेश देने का समय आ गया है।
मोदी ने देश के हर मोहरे को सही स्थान पर बिठा दिया
है। कहीं एक परिवार की मनमर्जी चल रही थी तो कहीं दो परिवारों की! सारे देश में
ऐसे कितने ही परिवार पनप गये थे लेकिन अब परिवारों की जड़ों में मट्ठा डालने का
समय आ गया है। देश समझने लगा है कि लोकतंत्र में परिवार की नहीं जनता-जनार्दन की जय-जयकार
होती है।
केरम-बोर्ड के खेल में बोर्ड पर रखी सारी गोटियां
चार गड्डों में डाली जाती है, यही देश का हाल हो रहा था। सबकुछ चार गड्डों में डाल
दो और जनता के पास कुछ ना रहे। इन दो-चार परिवारों के पास अकूत सम्पदा रहे और
सम्पूर्ण शक्ति रहे, यही खेल देश में हो रहा था। कभी काली गोटी और कभी सफेद गोटी,
बस हमारी चाल में यही बदलता रहता था।
शासन में कैसे सबकुछ बदलता है, यह मोदीजी ने
सिखाया। कल तक जिस बात की कल्पना तक कोई नहीं कर सकता था वह मोदीजी ने चुटकी बजाकर
करके दिखाया। बस सोच का अन्तर है, दिशा देने का अन्तर है। कोई दूसरों को कत्ल करके
कुर्बानी कहता है और हम राजपाट त्याग कर वन में जाने को भी आज्ञा पालन कहते हैं।
इसी अन्तर को मोदीजी ने समझाया है और देश को
इसी दिशा की ओर मोड़ा है। आज डिस्कवरी देखने का दिन है, मोदीजी के साहस से अधिक धैर्य
की बात सामने आने वाली है और जो धैर्यवान है बस वही विजेता है। साथ में यह भी
देखना है कि गैर जिम्मेदार मीडिया कितनी छिछालेदारी करता है या खामोश रहता है। बस
देखना है आज धैर्य कैसे व्यक्ति को महान बनाता है! आज स्यापा होगा या खामोशी?
आज सलिल वर्मा जी ले कर आयें हैं ब्लॉग बुलेटिन की २५०० वीं बुलेटिन ... तो पढ़ना न भूलें ...
ReplyDeleteढाई हज़ारवीं ब्लॉग-बुलेटिन बनाम तीन सौ पैंसठ " , में आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
आभार ब्लाग बुलेटिन।
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