अभी अमेरिका में सर्दी का मौसम था, जबकि जून-जुलाई में भी हल्की सर्दी रहती ही है, लेकिन तब वहाँ कोई स्वेटर नहीं पहनता है। हम जैसे लोग स्वेटर पहनेंगे भी तो चाहकर भी नये स्वेटर खरीदे नहीं जाते क्योंकि बाजार में उपलब्ध ही नहीं है। लेकिन इस बार हमारी यात्रा में सर्दी थी और सारी ही दुकानें गर्म कपड़ों से भरी थीं, ऊपर से क्रिसमस के कारण सेल लगी थी तो खरीददारी का कोई ठिकाना ही नहीं था। हर दुकान पर भीड़, दीवाली पर हमारे यहाँ भी भीड़ होती है लेकिन हम ग्राहक की मर्जी का ख्याल नहीं रखते। एक बार खऱीद लिया तो खरीद लिया, परिचित दुकान होगी तो वापस होने की सम्भावना है नहीं तो मस्त रहो। लेकिन ग्राहक का मतलब क्या होता है, यह अमेरिका में पता लगता है। आपने कैसा भी सामान खरीद लिया है, आपको एक निश्चित अवधि में वापस करने की पूरी छूट रहती है, आपको पूरा पैसा वापस मिल जाएगा। जब सेल लगी हो तो हर कोई यह कहता है कि जितना सामान उठाना है उठा लो, घर जाकर पसन्द कर लो और जो पसन्द ना आए उसे वापस कर दो। हमें कुछ जर्किन खऱीदनी थी, तीन-चार खरीद ली और जब देखा कि यह पसन्द नहीं है तो वापस कर दी। ग्राहक को कभी नाराज मत करो, वहाँ का यही सिद्धान्त है। वापस करने के लिये भी मगजमारी नहीं है, आपने जैसे कोस्को से सामान लिया है तो आप किसी भी कोस्को की दुकान पर वापस कर सकते हैं। अब तो बिल की भी मारामारी नहीं है, आपने कार्ड से भुगतान किया है तो कम्यूटर में एन्ट्री देखी और सामान वापस। इसलिये वहाँ जनवरी मास वापसी का महीना ही कहलाता है। पूरा दिसम्बर खरीददारी और फिर जनवरी में तसल्ली से वापसी।
हमारे यहाँ एक बार सामान खऱीद लिया तो समझो आपके गले ही पड़ गया, कुछ नहीं कर सकते हैं। कुछ लोग इस व्यवस्था का लाभ भी उठाते हैं और चीज काम लेकर वापस कर देते हैं लेकिन व्यापार में यह चलता है। मैं और बिटिया एक मॉल में गये, हमने कुछ स्वेटर खऱीदे थे और उनमें कितनी छूट थी यह हमें समझ नहीं आ रहा था। हमने अपनी पसन्द के स्वेटर ले लिये, जब बिलिंग के लिये गये तो एकाध स्वेटर में दाम अधिक लगाए गये, हमने कहा कि जिस लाइन में ये लगे थे, वहाँ इतनी कीमत थी। वह हमसे बाते करती रही और उसने यह जान लिया कि हम विजिटर है। वह बोली की मैं आपको 15 प्रतिशत डिस्काउण्ट दे दूंगी, जो कि हमारे यहाँ विजिटर को देते हैं। उसने बिना कुछ कहे हमें डिस्काउण्ट दे दिया था क्योंकि यदि कोई ग्राहक कीमत के लिये कुछ भी शंका करता है तो वह उसे निराश नहीं करते। ऐसे ही खरीददारी करते हुए हमारे पास चिल्लर एकत्र हो गये, जब हमें छोटे नोटों की आवश्यकता पड़ी तो हमने सारी चिल्लर सामने रख दी, क्योंकि हमें पता ही नहीं था कि किस का क्या दाम है! उसने अपने आप गिनी और शेष लौटा दी।
आपने अनुभव किया होगा कि आप यात्रा पर निकले हैं और रास्ते में खाना खाने के लिये किसी ढाबे पर रुके हैं, आपके पास साथ में खाना भी है लेकिन आप वहाँ बैठकर अपने साथ का खाना नहीं खा सकते लेकिन मुझे बड़ा ताजुब्ब हुआ एक रेस्ट्रा में यह देखकर कि वहाँ काफी मात्रा में टेबल-कुर्सी लगी थी और एक टेबल पर माइक्रोवेव, पानी, प्लेट्स, चम्मच आदि सारा ही सामान भी रखा था। आप आइए, बैठिये, अपना खाना निकालिये और गर्म करके खा लीजिये। ना, इसके लिये कोई शुल्क नहीं था। यह बस व्यवसाय करने का उत्तम तरीका था। किसी ने आपके लिये इतनी पुख्ता व्यवस्था की है तो आपका भी फर्ज बनता है कि आप वहाँ से कुछ तो खरीदेंगे ही। इसी को ही कहते हैं उत्तम व्यवसाय।
रास्ते में किसी भी दुकान पर रुककर आप टॉयलेट काम में ले सकते हैं, हमारे यहाँ केवल ऐसी व्यवस्था पेट्रोल पम्प पर मिलती है। कई बार तो पेट्रोल पम्प पर भी टॉयलेट ताले में बन्द होते हैं। लेकिन थोड़ा खुश आप भी हों ले, क्योंकि हम भी एक जगह पेट्रोल पम्प पर ही रुके और वहाँ टॉयलेट ताले में बन्द थे। हमने पास के दुकानदार से चाबी ली और प्रयोग किया। कहीं भी कोई भी टॉयलेट गन्दा नहीं मिलेगा, बस टॉयलेट पेपर जरूर बिखरे हुए मिल जाएंगे, इसके अतिरिक्त कोई गन्दगी नहीं और ना ही कोई बदबू। सभी को टॉयलेट का प्रयोग आता है। हमारे यहाँ करोड़ो देशवासियों ने तो टॉयलेट देखे भी नहीं हैं तो भला काम में लेना कैसे आएगा! चलो अब मोदीजी की कृपा से घर-घर में टॉयलेट तो बन गए हैं, देर-सबेर काम में लेना भी आ ही जाएगा फिर यात्रा के समय गन्दे टॉयलेट का सामना नहीं करना पड़ेगा। बहुत ही सभ्य तरीके से व्यापार होता है वहाँ, बस देखना यह है कि कहीं अराजक ताकतें इस व्यवस्था को चौपाट ना कर दें।
आपने अनुभव किया होगा कि आप यात्रा पर निकले हैं और रास्ते में खाना खाने के लिये किसी ढाबे पर रुके हैं, आपके पास साथ में खाना भी है लेकिन आप वहाँ बैठकर अपने साथ का खाना नहीं खा सकते लेकिन मुझे बड़ा ताजुब्ब हुआ एक रेस्ट्रा में यह देखकर कि वहाँ काफी मात्रा में टेबल-कुर्सी लगी थी और एक टेबल पर माइक्रोवेव, पानी, प्लेट्स, चम्मच आदि सारा ही सामान भी रखा था। आप आइए, बैठिये, अपना खाना निकालिये और गर्म करके खा लीजिये। ना, इसके लिये कोई शुल्क नहीं था। यह बस व्यवसाय करने का उत्तम तरीका था। किसी ने आपके लिये इतनी पुख्ता व्यवस्था की है तो आपका भी फर्ज बनता है कि आप वहाँ से कुछ तो खरीदेंगे ही। इसी को ही कहते हैं उत्तम व्यवसाय।
रास्ते में किसी भी दुकान पर रुककर आप टॉयलेट काम में ले सकते हैं, हमारे यहाँ केवल ऐसी व्यवस्था पेट्रोल पम्प पर मिलती है। कई बार तो पेट्रोल पम्प पर भी टॉयलेट ताले में बन्द होते हैं। लेकिन थोड़ा खुश आप भी हों ले, क्योंकि हम भी एक जगह पेट्रोल पम्प पर ही रुके और वहाँ टॉयलेट ताले में बन्द थे। हमने पास के दुकानदार से चाबी ली और प्रयोग किया। कहीं भी कोई भी टॉयलेट गन्दा नहीं मिलेगा, बस टॉयलेट पेपर जरूर बिखरे हुए मिल जाएंगे, इसके अतिरिक्त कोई गन्दगी नहीं और ना ही कोई बदबू। सभी को टॉयलेट का प्रयोग आता है। हमारे यहाँ करोड़ो देशवासियों ने तो टॉयलेट देखे भी नहीं हैं तो भला काम में लेना कैसे आएगा! चलो अब मोदीजी की कृपा से घर-घर में टॉयलेट तो बन गए हैं, देर-सबेर काम में लेना भी आ ही जाएगा फिर यात्रा के समय गन्दे टॉयलेट का सामना नहीं करना पड़ेगा। बहुत ही सभ्य तरीके से व्यापार होता है वहाँ, बस देखना यह है कि कहीं अराजक ताकतें इस व्यवस्था को चौपाट ना कर दें।
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन राष्ट्रीय मतदाता दिवस और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...
ReplyDeleteआभार सेंगर जी
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