अभी-अभी एक sms आया –
13 दिन शेष हैं, अपनी छिपी सम्पत्ती उजागर करने के लिये। अपनी जेब पर निगाह गयी, कहीं
कुछ छिपा है क्या? यहाँ तो जिसे सम्पत्ती कहें ऐसा भी कुछ नहीं है लेकिन खुद को
धनवान तो हमेशा से ही माना है। एक खजाना है जो मन के किसी कोने में दुबका बैठा है,
जैसे ही कोई अपना सा मन लेकर आता है, वह खजाना बांध तोड़ता सा बाहर निकल आता है।
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आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (19-09-2016) को "नमकीन पानी में बहुत से जीव ठहरे हैं" (चर्चा अंक-2470) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार
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