इन दिनों अन्य शहरों में आवागमन बना रहा, इसकारण
दिमाग के विचारों का आवागमन बाधित हो गया। नए-पुराने लोगों से मिलना और उनकी समस्याएं,
उनकी खुशियों के बीच आपके चिंतन की खिड़की दिमाग बन्द कर देता है। जब बादल विचरण
करते हैं तब वे सूरज के प्रकाश को भी छिपा लेते हैं, ऐसा ही हाल हमारे विचरण का भी
होता है कि दिमाग रोशनी नहीं दे पाता। लेकिन अनुभव ढेर सारे दे देता है यह विचरण।
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बहुत बढ़िया प्रस्तुति ...
ReplyDeleteआभार कविता जी।
ReplyDeleteबहुत उम्दा प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleteनयी पोस्ट@ग़ज़ल-जा रहा है जिधर बेखबर आदमी