अभी एक और ज्वलंत समस्या से हमें दो-हाथ होना है।
अभी पुरुष बर्बरता के कारण महिलाएं संकट में पड़ी है, देश और दुनिया इनकी बर्बरता
का हल ढूंढ रहे है। सारा ही देश आंदोलित है, लेकिन तर्क-वितर्क से समाधान नहीं समझ
आ रहा। पुरुष की बर्बरता सभी ने स्वीकार की है लेकिन उसे अनुशासित करना होगा, उस
पर नियन्त्रण रखना होगा, ऐसी आवाज कहीं से भी नहीं आ रही है। शेष पोस्ट को पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें - http://sahityakar.com/wordpress/%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%B9%E0%A5%88-%E0%A4%8F%E0%A4%95-%E0%A4%94%E0%A4%B0-%E0%A4%AC%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AC%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A4%BE-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%B8%E0%A4%AE/
मैंने लिंक में जा कर पढ़ा ..हां हमें अपनी सुरक्षा के बारे में तय करना होगा और संतान का भी कर्तव्य बनाता है की माता पिता का पूरा ख्याल करे .. मैं तकनिकी कारणों से वहा जवाब नहीं दे पा रही हूँ.. अतः अपनी प्रतिक्रिया यही दर्ज कर रही हूँ... सादर अजीत जी..
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