द्वितीय कड़ी - गतांक से आगे -
उनके पिता सफल एडवोकेट थे और वे अपनी वकालात के सिलसिले में कलकत्ता से बाहर अक्सर जाते रहते थे। एक बार वे रायपुर गए और उनके एक मुकदमें में उन्हें वहाँ कई वर्षों तक रहना पड़ा। ऐसे में उनके पिता ने भुवनेश्वरी देवी और परिवार को रायपुर ही बुला लिया। तीन वर्ष तक नरेन्द्र रायपुर रहे।
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http://sahityakar.com/wordpress/%E0%A4%A8%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E2%80%8D%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B0-%E0%A4%B8%E0%A5%87-%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E2%80%8D%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%AE%E0%A5%80-%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B5-2/
उनके पिता सफल एडवोकेट थे और वे अपनी वकालात के सिलसिले में कलकत्ता से बाहर अक्सर जाते रहते थे। एक बार वे रायपुर गए और उनके एक मुकदमें में उन्हें वहाँ कई वर्षों तक रहना पड़ा। ऐसे में उनके पिता ने भुवनेश्वरी देवी और परिवार को रायपुर ही बुला लिया। तीन वर्ष तक नरेन्द्र रायपुर रहे।
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आधुनिक भारत के पहले सश्कत विचारक जिनका जीवन आध्यात्मिक से लेकर राजनीतिक जीवन का आदर्श है।
ReplyDelete@ boletobindas
ReplyDeleteआप सही कह रहे हैं, आपका आभार।