घात, प्रतिघात, आक्रमण! कभी आपके मन पर और कभी आपके तन पर। लेकिन क्यों होते हैं घात? कभी शेर के पीछे सियारों को बोलते हुए सुना है? या बिल्ली के सामने चुहों को? आप सज्जन है और प्रतिघात नहीं करते तो आपके सामने हर कोई आक्रमण की मुद्रा में आ जाता है लेकिन यदि आप स्वयं आक्रामक हैं तो कोई नहीं आता आपके समझ पंगा लेने। कहावत है कि हाथी के पीछे कुत्ते भौंकते हैं लेकिन हाथी को परवाह नहीं होती। मुझे लगता है कि कुत्तों की हिम्मत इसीलिए है कि हाथी शाकाहारी है, कभी शेर के पीछे भौंककर दिखाएं। अपनी बात को लम्बी नहीं खेंचूंगी बस एक लघुकथा प्रस्तुत है -
लघुकथा - शाकाहारी हाथी
एक हाथी अपनी ही मस्ती में मगन चले जा रहा था। उसकी सूंड में गन्ना था, उसे वह मनोयोग से खा रहा था। उसके पीछे तीन-चार कुत्तों का दल चल रहा था। वे सब उसके पीछे-पीछे चलते हुए भौंक रहे थे। एक चिड़िया हाथी के कान के पास जाकर बैठ गयी।
चिड़िया ने हाथी से कहा कि ये कुत्ते क्यों भोंक रहे हैं?
हाथी बोला कि वैसे ही अपने आप में प्रसन्न हो रहे हैं कि हम हाथी जैसे विशाल जीव पर भी भौंक सकते हैं। ये सब जानते हैं कि मैं शाकाहारी हूँ।
विशेष नोट - दिनांक 20 जनवरी को दस दिनों के लिए नासिक, त्रम्बकेश्वर, शिरड़ी, पुणे, महाबलेश्वर जा रही हूँ इसलिए इसके बाद आपकी पोस्टों पर टिप्पणी करने में असमर्थ रहूंगी। क्षमा करेंगे।
लघुकथा संग्रह - प्रेम का पाठ – अजित गुप्ता
बडी गहरी बात कह दी।
ReplyDeleteशाकाहारी है पर सब पर भारी है कमजोर पर वार कर अपनी इज्जत क्यों कम करे वरना तो कुत्तो के लिए उसका एक पैर ही काफी है |
ReplyDeleteसुखद यात्रा के लिए शुभकामनाये |
वैसे ही अपने आप में प्रसन्न हो रहे हैं,
ReplyDeleteये सब जानते हैं कि मैं शाकाहारी हूँ।
वाह!
बहुत अच्छी कथा सुन्दर और प्रेरक भी
आभार
बहुत अच्छी कथा सुन्दर और प्रेरक भी
ReplyDeleteआभार
यात्रा के लिये शुभकामनायें
ReplyDeleteप्रणाम
गम्भीर दृष्टांत है। गहरा चिंतन।
ReplyDeleteसत्य है जो बडे है, छोटों का उत्पात और कारण समझते है। खूब जानते है ओछे दर्प को कि छोटे क्यों उत्पात मचा रहे है।
सुन्दर और प्रेरक
ReplyDeleteप्रेरणा ले रहा हूँ इस कथा से ...वाकई ठीक कह रही हैं आप ! आपकी यात्रा मंगलमय हो !
ReplyDeleteगम्भीर चिंतन।
ReplyDeleteआपकी यात्रा मंगलमय हो।
क्या बात है बहुत गहरी और प्रेरक बात कह दि कथा के माध्यम से.
ReplyDeleteबहुत अच्छा लगा आपका चिंतन.
very interesting and educative one. Happy new year to u. visit my blog when u are back and drop comment.
ReplyDeleteबहुत अच्छी और प्रेरक कथा| आभार|
ReplyDeleteपंचतंत्र की नीति शिक्षा है- अपनी शक्ति को प्रकट न करने से शक्तिशाली मनुष्य भी अपमान सहन करता है, काठ के भीतर सोई आग को लोग आसानी से लांघ जाते हैं, किंतु धधकती ज्वाला को नहीं.
ReplyDeleteबहुत प्रेरक रचना है .साथ में आप जैसा teacher समझाने को है . सोने पे सुहागा.
ReplyDeleteतो अब इन कुत्तों को सबक सिखाने के लिए हाथी से शेर बनना होगा :)
ReplyDeletekahani me kutte ki santushti ! kataksh achha laga
ReplyDeleteहाथी कुत्तो को भी खुश रखना चाहता था असल मे,
ReplyDeleteचलिये जाने से पहले दस दिनो की सारी टिपण्णियां एक बार मे ही दे दे:)
हमारी शुभकामनाऎं आप की यात्रा मंगल मय हॊ
अजित जी
ReplyDeleteहाथी भले ही शाकाहारी हो...लेकिन वो कुत्तों को पटक तो सकता है...
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ReplyDeleteघाव करे गंभीर.......... भावपूर्ण प्रस्तुति.यात्रा के लिये शुभकामनायें.
ReplyDelete.
ReplyDeleteदरअसल कुत्ते अपने भौकने से बदनाम हो चुके हैं अन्यथा उनकी स्वामिभक्ति के किस्से बड़े हाथी भी जानते हैं.
गुणों की दृष्टि से कोई जीव सम्पूर्ण नहीं. जो जीव समाज में अधिक देखने में आते हैं उनकी दैनिक आदतों से हम परिचित हो जाते हैं. इस कारण उनके बुरे पक्ष से रू-ब-रू होकर हम उनके प्रति एक प्रकार का पूर्वाग्रह तैयार कर लेते हैं.
उनका प्रथम दृष्टया बेवजह भौंकना, खुलेआम मैथुन क्रियायें और काटने का भय कुत्तों को ..... कुत्ता बनाए हैं
अन्यथा वे भी यदि जबरन घरेलू बनाएँ जाएँ, प्रशिक्षित किये जाएँ तो वे भी हाथियों की भाँति शांतमना बन सकते हैं.
शाकाहारी हाथी भी मदमस्त होकर चिंघाड़ने से भय पैदा कर देता है,
कुचलने, रौंदने और उछालने की क्रियाओं से ही वह हाथी कहलाता है. अन्यथा वह भी जंगल में अनट्रेंड होकर आक्रामक घूम रहा था.
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लघुकथा में बड़ी बात कही..... यात्रा के लिए शुभकामनायें......
ReplyDeleteबेहतरीन लघुकथा!
ReplyDeleteअलग अलग आयाम से देखने लायक लघु कथा ....
ReplyDeleteअच्छी प्रस्तुति ..
यात्रा के लिए शुभकामनायें
आपकी यात्रा सानन्द व मंगलमय हो । शुभकामनाएं...
ReplyDeleteप्रेरक प्रसंग के लिए आभार। यात्रा के लिए शुभकामनायें। आपकी वापसी का इंतज़ार रहेगा।
ReplyDeleteबहुत ही प्रेरक कथा...इस तरह तो कभी सोचा ही नहीं
ReplyDeleteयात्रा के लिए शुभकामनायें
भौंकने से स्थितियाँ कभी नहीं बदली हैं।
ReplyDeleteसुन्दर और प्रेरक कथा ... आपकी यात्रा मंगलमय हो ...
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ReplyDeletebouth he aache shabed likhe aapne...
ReplyDeletevisit my blog plz
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yatra mubarak ho.
ReplyDeleteअजित जी,
ReplyDeleteसौ सुनार की, एक लोहार की...
लघु कथा गहरा संदेश दे रही है, समझने वाले समझ सकें तो...
जय हिंद...
आप सभी का आभार। बस आज ही रवाना होना है, आप सभी की शुभकामनाएं साथ लेकर।
ReplyDeleteयात्रा के लिये शुभकामनायें
ReplyDeleteएक लघु कथा में बहुत गहरी बात कह दी..
ReplyDeleteहाहाहहहाहा.....सही है जानते हैं कि वो कुछ कहेगा नहीं तभी तो भौंकते हैं....
ReplyDeleteआपको यात्रा की शुभकामनाएं....यात्रा मंगलकारी हो। प्रार्थना करता हूं।
very simple , very real, and very beautiful short story
ReplyDeleteीस प्रेरक कथा के लिये बधाई। आपकी यात्रा मंगलमय हो।
ReplyDeleteगम्भीर चिंतन।
ReplyDeleteआपकी यात्रा मंगलमय हो।
बहुत गहराई है इस लघु कथा में ...
ReplyDeleteशानदार !