Thursday, January 6, 2011

सब पूछ रहे हैं कि धूप कब निकल रही? - अजित गुप्‍ता

राजस्‍थान में कड़कड़ाती ठण्‍ड ने सभी को पस्‍त कर रखा है। उदयपुर में जहाँ खुशनुमा सर्दी रहती है इस बार यहाँ भी 3.5 डिग्री तापमान रिकोर्ड किया गया। माउण्‍ट आबू जो राजस्‍थान का एकमात्र हिल-स्‍टेशन हैं वहाँ तो तापमान माइनस 6 डिग्री तक चले गया। सभी की इंतजार में है धूप। धूप निकले और बाहर बैठकर धूप का सेवन किया जाए। कम्‍प्‍यूटर पर की-बोर्ड चलाते हुए भी अंगुलियां ठण्‍डी पड़ जाती हैं और उन्‍हें बार-बार विश्राम देकर गर्म किया जाता है। ऐसे में एक कविता निकल आयी। हल्‍की-फुल्‍की सी, महज सर्दी को ध्‍यान में रखकर लिखी गयी कविता।

धूप कब निकल रही?
बर्फीली ठण्‍ड थी
हवा भी प्रचण्‍ड थी
थर-थर सी हो रही
धूप कब निकल रही?


पात ओस लिप्‍त थे
धुंध भरा व्‍योम था
सूरज को तक रही
धूप कब निकल रही?


चिड़िया भी मौन थी
सड़क तक उदास थी
बदली को कह रही
धूप कब निकल रही?


खेत में किसान था
हाथ में कुदाल था
आज भोर कह रही
धूप कब निकल रही?


छत पर मजदूर था
हाथ में तगार था
साँस भाप बन रही
धूप कब निकल रही? 

47 comments:

  1. धूप कब निकल रही?

    यक्ष प्रशन छोड़ कर चल दिए.

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  2. na nikle to achchha... aur bhi aisi hi badhiya kavita to niklengeen, dhoop nikle na nikle.

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  3. हमें ये ठण्ड नसीब नहीं है हमारे यहाँ तो धुप अब भी जला रही है |

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  4. 3 digri, Dar lag raha hai, ajitji, 9 jan. ko udaypur ke liye nikalna hai, Thand ke liye kuch aur salah hi de dijiye, dhuo ka kya, koshish karenge yaha se le ke aa jayen.
    atul shrivastava

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  5. ठंड तो सचुमच हाड कंपा रही है ..जयपुर आम तौर पर शेखावटी एरिया से गर्म रहता है ,मगर इस बार यहाँ भी रिकोर्ड टूट गया लगता है ...
    सालों बाद ऐसी ठंड परेशान तो कर रही है मगर इसका अपना लुत्फ़ भी है ....कहते कहते जबान रुक रही है ..अचानक आँखों के सामने न्यू इअर इव पर नेशनल हैंडलूम के बाहर सिर्फ एक शर्ट में खड़ी छोटी सी बच्ची याद आ गयी...

    बेजुबान पक्षी और मेहनतकशों की तकलीफ उतर आयी है आपकी कविता में ..!

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  6. ठंड तो सचुमच हाड कंपा रही है ..जयपुर आम तौर पर शेखावटी एरिया से गर्म रहता है ,मगर इस बार यहाँ भी रिकोर्ड टूट गया लगता है ...
    सालों बाद ऐसी ठंड परेशान तो कर रही है मगर इसका अपना लुत्फ़ भी है ....कहते कहते जबान रुक रही है ..अचानक आँखों के सामने न्यू इअर इव पर नेशनल हैंडलूम के बाहर सिर्फ एक शर्ट में खड़ी छोटी सी बच्ची याद आ गयी...

    बेजुबान पक्षी और मेहनतकशों की तकलीफ उतर आयी है आपकी कविता में ..!

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  7. अजित जी ,
    आपकी ये मासूम सी रचना बहुत ही प्यारी लगी। प्रार्थना है की गुनगुनाती धुप जल्दी ही निकले।

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  8. दिल्ली के लिए तो एक दम मुफ़ीद हैं आपकी ये लाइनें :)

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  9. प्यारी सी रचना....पर हम इस अनुभव से मरहूम हैं :(

    ब्लोग्स ,अखबार,टी.वी. से बाकी जगहों के हाल तो मिल ही रहे हैं...और कल हम एक शादी में सम्मिलित होने गए थे..रात के बारह बजे ..समुद्र के किनारे...खुली आकाश के नीचे ठंढी पेप्सी पीते हुए आपलोगों के बारे में ही सोच रहे थे...( दिल्ली में रहने वाली बहन को फोन पर बताया तो कहने लगी...सुन कर ही ठंढ और बढ़ गयी )

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  10. आदरणीय अजित जी
    नमस्कार !
    ठंड तो सचुमच हाड कंपा रही है

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  11. यहाँ तो जाने कब से नहीं निकली धूप :(
    आपकी कविता सुनकर शायद निकल आये :)
    बहुत सुन्दर कविता है.

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  12. एक अच्छा प्रश्न पूछा है इस रचना के जरिये ....शुभकामनायें स्वीकारें कि जल्दी कुछ राहत मिले हम कुछ सीख लें ...
    सादर

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  13. वाणीजी,
    जयपुर में तो और भी अधिक सर्दी है, लेकिन मन हो रहा है जयपुर जाने का। जयपुर में हम जहाँ रहते हैं वहाँ कुछ ज्‍यादा ही ठण्‍ड है तो बड़ा मजा आता है वहाँ। नेशनल हैण्‍डलूम की याद दिला दी, मुझे भी साड़ियां खरीदनी है।

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  14. अतुल श्रीवास्‍तव जी
    उदयपुर अभी बहुत ठण्‍डा हो रहा है। गर्म कपड़े पूरे लेकर आइएगा। वैसे दिन में धूप निकल रही है, लेकिन रात बहुत ठण्‍डी है। अवसर मिले तो मिलिएगा।

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  15. धूप कब निकल रही? ...pura uttar bharat yhi kah raha:)

    kaise itni sundar abhivyakti vyakt kar paaten hain:)

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  16. is baar to saare record toot gaye...pataa nahi dhup kab nikalegee...bahut badhiya kavita.

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  17. लगता है धूप को बंगलौर से भेजना होगा। चलिए कुछ करते हैं। तब तक तो आप यही दोहराती रहें-धूप कब निकल रही हो।

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  18. माउण्‍ट आबू माईनस में तापमान चला गया!
    इस बार लगता है बहुत सर्दी है ..

    ऐसी सर्दी में तो सभी को रहेगा 'धूप का इंतज़ार.'

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  19. मै तो सोच कर ही कंप जाता हुं, हमारे भारत मे तो रुम हीटर भी नही होते, ओर जो लोग झोपडियो मे, सडकॊ पर सोते होंगे उन का क्या हाल होता होगा इस सर्दी मे,अब धुप भी काग्रेस के राज मे नही मिलती:) राम राम
    कविता बहुर अच्छी लगी धन्यवाद

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  20. बस्स्स्स्स्स्स्स्स्स! इतनी देर में थक गए? उन पर क्या बीतती है जो वर्ष के छः माह सर्दी में ही गुज़ारते है :)

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  21. इतनी ठंड और उस पर ही इतनी सुन्दर कविता। बेजोड़ उदाहरण प्रस्तुत किया है आपने।

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  22. कुछ दिन की ठण्ड है , फिर गर्मियों की रात ।
    अभी तो इसी का मज़ा लें ।

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  23. हम भी यहाँ ठण्ड से अंकड़ रहे है , जल्दी से धुप निकले तो कविता का मज़ा दोगुना हो जाय . सुन्दर रचना .

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  24. कुछ लेट हो गई आज, और देर हुई तो स्‍थगित हो कर कल आएगी.

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  25. Potential gold mines found in Kerala!!!!

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  26. जल्द ही निकले शायद.. ...इतनी अच्छी कविता उस तक भी तो पहुंची होगी....

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  27. यहाँ इन्दौर में भी 5.0 डिग्री डेम्प्रेचर में हम भी राहत की प्रतिक्षा ही कर रहे हैं । फिलहाल तो 50 किलोमीटर दूर उज्जैन में भी टेम्प्रेचर 3.5 ही चल रहा है । 2011 के आगमन के पूर्व से स्थिति ऐसी ही बनी हुई है । शायद जल्दी तेज धूप कुछ राहत दिला पावे ।

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  28. आखिर ठण्ड ने कविता लिखवा ही ली
    कहते है ठण्ड इस साल नाम पूछ रही है? कुछ इसी तरह
    धूप कब निकल रही है ?
    बहुत गुनगुनी सी कुनकुनी सी गर्माहट का आभास दिला गई सुन्दर कविता |

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  29. चलो, ठण्ड ने एक काम तो अच्छा किया ,आपसे कविता लिखवा ली !

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  30. आज निकली है थोडी सी वरना तो बुरा हाल है यहाँ दिल्ली मे।मगर ठंड से कोई राह्त नही है अभी।

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  31. बड़े दिन हो गए थे आपके कोने में आए हुए। पर कविता पढ़कर तो और ठंड लगने लग गई है। सूरज चाचा की गर्मी तो पहुंच ही नहीं पा रही है जमीन पर। जल्दी जल्दी संक्रांति आए ताकि इस अहसास के साथ ठिठुरन कम हो कि अब सूरज चाचा उत्तरार्ध हो रहे हैं और गर्मी शनैः शनैः बढ़ रही है।

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  32. सामयिक रचना ... इस बार ठण्ड अपना कहर बरपा रही है .... जबलपुर में भी करीब २.५ डिग्री के आसपास रिकार्ड किया गया ....आभार

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  33. चिड़िया भी मौन थी
    सड़क तक उदास थी
    बदली को कह रही
    धूप कब निकल रही
    .....एकदम सटीक चित्रण ....
    कड़ाके की ठण्ड में सबको धूप का बेसब्री से इंतज़ार है ....इसबार तो रुला रही है ठण्ड... नए साल में ब्लॉग पर आज ही कुछ समय हाज़िर हो पायी हूँ ...
    यह ठण्ड का समय भी निकल जाएगा ....आपको नए साल की हार्दिक शुभकामनायें

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  34. छत पर मजदूर था
    हाथ में तगार था
    साँस भाप बन रही
    धूप कब निकल रही?

    सर्दी का सजीव चित्रण !
    -ज्ञानचंद मर्मज्ञ

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  35. अच्छी लगी कविता..... सुंदर भाव ......

    समझ सकती हूँ इस प्रशन के मायने..... अभी कुछ दिन जयपुर में बिता कर आ रही हूँ.....

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  36. धूप प्रतिक्षा के समय हमारे उष्मा भरे भाव:

    शानदार और मधुर लयबद्ध कविता। पुरुषार्थ को रेखांकित करती हुई।

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  37. चिड़िया भी मौन थी
    सड़क तक उदास थी
    बदली को कह रही
    धूप कब निकल रही..... ?

    बस उन्हीं गर्माते-से लम्हों का ही इंतज़ार है ..
    जब कोई बदली किसी सड़क पर
    चिड़िया को इतराते हुए फुदकने दे ...
    अच्छी रचना है .
    आभार .

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  38. धूप तो आज भी नहीं निकली ।बहुत ठंड है लखनऊ में भी ।

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  39. लखनऊ में तो आज निकली है गुप्‍ता जी, दुआ है आपके शहर में भी निकले।

    ---------
    पति को वश में करने का उपाय।

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  40. छत पर मजदूर था
    हाथ में तगार था
    साँस भाप बन रही
    धूप कब निकल रही ...

    ऊपर वाले का एक यही वरदान होता है गरीबों के लिए कड़ाके की सर्दी में ... और वो भी इम्तेहन ले रहा है ...
    अच्छी रचना है

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  41. अजित जी,
    मौसम फिल्म का गीत न जाने क्यों याद आ गया...

    मौसम के रंग गुलज़ार साहब ने इस गीत में क्या खूब दिखाए थे-

    बर्फीली सर्दियों में किसी भी पहाड़ पर,
    वादी में गूंजती हुई खामोशियां सुनें,
    आंखों में भीगे-भीगे से लम्हे लिए हुए,
    दिल ढूंढता है...

    जाड़ों की नर्म धूप और आंगन में लेट कर,
    आंखों पर खींच कर तेरे दामन के साए को,
    औंधे पड़े रहे कभी करवट लिए हुए,
    दिल ढूंढता है,
    फिर वही फुर्सत के रात-दिन...

    जय हिंद...

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  42. सामने कम्प्यूटर था
    थरथराती अंगुलियां
    पूछ रही मुझ से कि
    धूप कब निकल रही है।
    सच मे बहुत सर्दी है आजकल कम्प्यूटर पर बैठना भी किसी सजा से कम नही। बस इन्तजार है धूप का। शुभकामनायें।

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  43. छत पर मजदूर था
    हाथ में तगार था
    साँस भाप बन रही
    धूप कब निकल रही? ....

    धूप कब निकल रही? ....ये ही प्रश्न हर और गूँज रहा है ... बहुत सुंदर रचना अजीत जी ... धन्यवाद

    आपको और आपके परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ

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  44. बढ़िया प्रस्तुति.मकर संक्रांति पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई ....

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