tag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post8725274424384018913..comments2023-12-30T03:15:36.067+05:30Comments on अजित गुप्ता का कोना: मन से पंगा कैसे लूँ, यह अपनी ही चलाता है - अजित गुप्ताअजित गुप्ता का कोनाhttp://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comBlogger47125tag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-9810562985416404732011-05-20T11:33:57.569+05:302011-05-20T11:33:57.569+05:30.. अच्छा लगा आपके मन की सुनकर .... अच्छा लगा आपके मन की सुनकर ..संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-25987840969500616352011-05-16T23:10:14.784+05:302011-05-16T23:10:14.784+05:30अजीत जी मन से पंगा कोई भी नहीं ले सकता । अब मेरे म...अजीत जी मन से पंगा कोई भी नहीं ले सकता । अब मेरे मन को ही देखिए ना कह रहा है इतने दिनों में अजीत जी ने पूछा ही नहीं कि पोस्ट क्यों नहीं लिखी । क्या कारण है । मन का क्या कुछ भी उम्मीदें पाल लेता है । पिछली पोस्ट पर आपकी सार्थक और लंबी प्रतिक्रिया आयी थी लेकिन उत्तर नहीं दे पायी । क्यों नहीं दे पायी इसका कारण आपको मेरी आज की पोस्ट से मिलेगा , रसबतिया पर ज़रूर आइएगा । और हां मेरी बात को दिल पर मत लिजिएगा आपके लेख से मिलता जुलता उत्तर देने का मन किया इसलिए ऐसा लिखा ।-सर्जना शर्मा-https://www.blogger.com/profile/14905774396390857560noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-19240492532407728072011-05-10T22:11:30.877+05:302011-05-10T22:11:30.877+05:30पिछले पांच-सात दिनों से मैं भी मन की इसी उहापोह मे...पिछले पांच-सात दिनों से मैं भी मन की इसी उहापोह में हूँ और ब्लाग पर उसका असर बखूबी देखा जा सकता है । कहा जा सकता है कि-<br /><br />आखिर कोई इन्सां हैं फरिश्ता तो नहीं हम.Sushil Bakliwalhttps://www.blogger.com/profile/08655314038738415438noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-34365654437852117662011-05-09T17:17:29.197+05:302011-05-09T17:17:29.197+05:30यदि मन की खुशियों का हम आकलन करने लगें तो जीवन क...यदि मन की खुशियों का हम आकलन करने लगें तो जीवन की पग डंडियाँ टेढ़ी -मेढ़ी न होकर सीधी सपाट हो जाएँ । न खुद भ्रम में रहें न किसी को भ्रम में रखें ।यह बात हर क्षेत्र में लागू हो सकती है। आलेख में संकेतात्मक प्रयोग बहुत अच्छा लगा ।<br />स्पष्टवादिता के लिए धन्यवाद |<br />सुधा भार्गवसुधाकल्पhttps://www.blogger.com/profile/14287746370522569463noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-20204149125224581572011-05-09T14:37:11.835+05:302011-05-09T14:37:11.835+05:30हम तो मन की ही सुनते है
इसीलिए तो आपको पढ़ते है |
...हम तो मन की ही सुनते है<br />इसीलिए तो आपको पढ़ते है |<br />पता है आज ?कोनसा गाना जुबान पर है<br />बच्चे मन के सच्चे ......<br />बाकि मन तो चंचल है ही पखेरुओ की त रह |फिर अन्र्जाल पर तो यही स्वतन्त्रता होनी ही चाहिए हमे क्या पढना है ?शोभना चौरेhttps://www.blogger.com/profile/03043712108344046108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-58969553174884032172011-05-08T21:22:38.621+05:302011-05-08T21:22:38.621+05:30मैं भी अपनी मन की ही सुनता उसे खास कर जब ब्लॉग,कवि...मैं भी अपनी मन की ही सुनता उसे खास कर जब ब्लॉग,कविता और आलेख की बात होती है ..और आज भी मेरा मन यही कह रहा है कि आपने बहुत बढ़िया मुद्दे की बात की है..बाकी नाराज़ होने वाले लोग तो बिना किसी बात के भी नाराज़ हो जाते है...<br /><br />मन की बात तो हम क्या करें ऐसा सौ आने सच है कि बहुत धन कमा लेने के बाद भी मन को शांति नही मिलती और कोई कोई कम पैसे में भी मन को प्रसन्न रख लेता है...<br /><br />बहुत सार्थक आलेख..हमेशा की तरह...प्रणाम स्वीकारें.....मातृ -दिवस की हार्दिक बधाईविनोद कुमार पांडेयhttps://www.blogger.com/profile/17755015886999311114noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-91170374007841945432011-05-08T19:36:03.842+05:302011-05-08T19:36:03.842+05:30मन नियंत्रण में आ जाए तो इंसान और भगवान का फांसला ...मन नियंत्रण में आ जाए तो इंसान और भगवान का फांसला कम हो जाता है ... और इंसान तो इंसान है ... बाकी नाराज़ जिसने होना है वो कोई न कोई बात निकाल ही लेगा नाराज़ होने के लिए ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-30894267423690425732011-05-08T16:49:23.060+05:302011-05-08T16:49:23.060+05:30मुझे ऐसा लगता है ... कि काफी दिनों से आपसे बात नही...मुझे ऐसा लगता है ... कि काफी दिनों से आपसे बात नहीं हुई है.... एक बार आपकी मिस्ड कॉल भी देखी.... सोचा कॉल बैक करूँगा फिर दिमाग से स्किप कर गया..... अभी कॉल करता हूँ... आपको...डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali)https://www.blogger.com/profile/13152343302016007973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-73281310191331569772011-05-08T16:48:01.900+05:302011-05-08T16:48:01.900+05:30वैसे मैं तो मन की ही सुनता हूँ..... मन का कंट्रोल...वैसे मैं तो मन की ही सुनता हूँ..... मन का कंट्रोल या फिर अनकंट्रोलेबल मन .... यह सब मैं नहीं जानता... जो अच्छा लगता है वो करता हूँ... कई बार दूसरों की ख़ुशी के लिए जो नहीं भी अच्छा लगता वो भी करता हूँ... पत्थरबाज़ी से मैं भी डरता हूँ... गलती मैं भी मान लेता हूँ.... हाँ! कोई स्वाभिमान से खेले.... तो उसके साथ कोई कम्प्रोमाइज़ नहीं.... करता हूँ... काफी कुछ मैं आपसे ही मिलता हूँ....डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali)https://www.blogger.com/profile/13152343302016007973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-54917398159228065632011-05-08T16:02:38.480+05:302011-05-08T16:02:38.480+05:30मन को कौन बाँध सका है । बहुत सुन्दर भाव है। मातृ द...मन को कौन बाँध सका है । बहुत सुन्दर भाव है। मातृ दिवस की बधाई । धन्यवाद ।Maheshwari kanerihttps://www.blogger.com/profile/07497968987033633340noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-24006115649054905492011-05-08T06:58:48.722+05:302011-05-08T06:58:48.722+05:30.
अजित जी ,
मन की ही सुननी चाहिए। जो अपनी नहीं ....<br /><br />अजित जी ,<br /><br />मन की ही सुननी चाहिए। जो अपनी नहीं सुनता , वो स्वयं के साथ अन्याय करता है । दुसरे क्या करते हैं , उसे हमें क्या लेना देना , दुसरे क्या सोचते हैं हमारे बारे में , उससे क्यूँ व्यथित होना ।<br /><br />हम अपने बारे में क्या राय रखते हैं , यह ज्यादा जरूरी है । लोग नाराज़ होते हैं तो होते रहे । क्या उखाड़ लेंगे आखिर ? ब्लौग पर आना ही तो बंद करेंगे न ? न आयें । किसी की अनुपस्थिति , हमारी लेखनी को रोक नहीं सकेगी , ना ही उसकी धार कम कर सकेगी ।<br /><br />बल्कि नाकारात्मक ऊर्जा वाले जब हमसे दूर रहते हैं तब ही बेहतर सृजन होता है। अन्यथा वो हमारी सकारात्मक ऊर्जा को ब्लैक होल की तरह चूस लेते हैं । ऐसे तत्वों से दूरी ही भली।<br /><br />एकला चलो रे !<br /><br />Always listen to your heart !<br /><br />Just be yourself !<br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-19554275224232055632011-05-08T02:02:44.944+05:302011-05-08T02:02:44.944+05:30मन को बाँध पाना कहाँ आसान है.....फिर भी आपने तो ज...मन को बाँध पाना कहाँ आसान है.....फिर भी आपने तो जो कहना था उसे सुंदर ढंग से सहेज कर शब्दों में ढाल लिया ...... अच्छा लगा आपके मन की सुनकर .....पढ़कर :) डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-34784154048946125332011-05-07T22:42:44.312+05:302011-05-07T22:42:44.312+05:30यहाँ अपने मन की करने की पूरी छूट होगी। कोई टोका-टो...यहाँ अपने मन की करने की पूरी छूट होगी। कोई टोका-टोकी नहीं होगी। लेकिन यहाँ भी पूरी दुनियादारी निकली।<br /><br />पूरी की पूरी दुनियादारी है...छल-कपट...दांव-पेंच...वास्तविक दुनिया से कुछ ज्यादा ही...ऐसा कि निभाये ना बने...ऐसी हालात में बस मन की सुनना ही सुकून देगा.<br /><br />मेरे तो ब्लॉग का नाम ही है.."मन का पाखी" जिधर मन होता है उड़ चलता है...अब आज इतनी देर बाद इस ठौर आया...:)rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-90760743630484120072011-05-07T19:44:04.465+05:302011-05-07T19:44:04.465+05:30मन जीते जग जीत हे यह तो बुजुर्गो ने फ़र्माया हे, ह...मन जीते जग जीत हे यह तो बुजुर्गो ने फ़र्माया हे, हम भी कभी मन की, तो कभी दिमाग की मानते हे... ज्यादा मन को भी सर पर नही चढाते, कल कही मन माना ना हो जाये:)राज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-49459676458217838912011-05-07T18:27:38.938+05:302011-05-07T18:27:38.938+05:30सीधे शब्दों में यूं कहिये की आप मन मौजी है |विचारो...सीधे शब्दों में यूं कहिये की आप मन मौजी है |विचारों को शेयर करने का आभार |naresh singhhttps://www.blogger.com/profile/16460492291809743569noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-84760481958591392932011-05-07T18:14:53.739+05:302011-05-07T18:14:53.739+05:30मन के आगे सब हारे ....मन के आगे सब हारे ....shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-30922709607110188272011-05-07T17:59:33.619+05:302011-05-07T17:59:33.619+05:30आप तो अपने मन की करते रहिए...न जग से डरिए और न ही ...आप तो अपने मन की करते रहिए...न जग से डरिए और न ही लट्ठ से! आमीन.SKThttps://www.blogger.com/profile/10729740101109115803noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-59152416328809558692011-05-07T17:37:16.756+05:302011-05-07T17:37:16.756+05:30हम तो यही कहेंगे "मन को पिंजरे में मत डालो, म...हम तो यही कहेंगे "मन को पिंजरे में मत डालो, मन का कहना मत टालो.. पोस्ट अच्छी लगी, बधाईSunil Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10008214961660110536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-42181667924377736222011-05-07T17:31:21.944+05:302011-05-07T17:31:21.944+05:30.तभी तो कहा है,,, मन के हारे हार है, मन के जीते जी....<i>तभी तो कहा है,,, मन के हारे हार है, मन के जीते जीत <br />अपने अनुभव एवँ नज़रिये को साझा करने लिये धन्यवाद ! </i>डा० अमर कुमारhttps://www.blogger.com/profile/09556018337158653778noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-35085836998566349802011-05-07T17:31:20.163+05:302011-05-07T17:31:20.163+05:30Bahut saaf,shaffaq hai man aapka! Koyi kaise naraa...Bahut saaf,shaffaq hai man aapka! Koyi kaise naraaz ho sakta hai?kshamahttps://www.blogger.com/profile/14115656986166219821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-12363774333590935002011-05-07T17:02:02.987+05:302011-05-07T17:02:02.987+05:30मन रे मन .. यह एक ऐसा विषय है जो कि कभी समझ नहीं आ...मन रे मन .. यह एक ऐसा विषय है जो कि कभी समझ नहीं आया, पर देखिये आपकी पोस्ट में मन लगा है।विवेक रस्तोगीhttps://www.blogger.com/profile/01077993505906607655noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-53045456983575335682011-05-07T17:00:10.413+05:302011-05-07T17:00:10.413+05:30प्रतुल जी, आपसे नाराजी है, कई बार फोन लगा चुकी हूँ...प्रतुल जी, आपसे नाराजी है, कई बार फोन लगा चुकी हूँ लेकिन फोन व्यस्त ही रहता है। आपकी छंद की कक्षा के किवाड़ भी बन्द है।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-37728763851801354412011-05-07T16:58:23.506+05:302011-05-07T16:58:23.506+05:30अमरेन्द्र जी, मुझे मेरे मन से यही तो शिकायत है कि...अमरेन्द्र जी, मुझे मेरे मन से यही तो शिकायत है कि कहीं ज्यादा ठहरता नहीं। टिप्पणी की और चल निकलते हैं लेकिन कुछ लोग उसका अर्थ पता नहीं क्या लगा लेते हैं। जब उनकी तरफ से तमतमाता हुआ तीर आता है तब समझ ही नहीं पाती कि क्या हुआ है। मैं तो कई बार केवल पोस्ट पढ़ लेती हूँ और लेखक कौन है ज्यादा ध्यान नहीं देती, इसलिए कौन नाराज है और कौन राजी पता ही नहीं चलता। लेकिन लोग बड़ा ध्यान रखते हैं। आप से कोई पंगा हुआ हो ध्यान तो नहीं है, फिर हुआ हो तो आप ही बता दें, मैं तो अब बड़ा डरने लगी हूँ। हा हा हा हा। जितना मुझे पता है आप सैद्धान्तिक व्यक्ति हैं। ऐसे व्यक्ति कभी मतभेद भी रखते हैं तो मनभेद नहीं करते। हम यहाँ आते ही है विभिन्न विचारों को जानने और समझने।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-53350752373730256882011-05-07T16:51:38.854+05:302011-05-07T16:51:38.854+05:30वाणी जी, मदर-डे पर क्या करने वाली हूँ? अच्छा याद...वाणी जी, मदर-डे पर क्या करने वाली हूँ? अच्छा याद दिला दिया आपने, शायद कल ही है। मैं तो भूल ही गयी थी। विवाद की जड़ तो यह मदर्स-डे ही है। जब उम्र आयी कि लोग हमें माँ कहें और हम इस सम्बोधन का आनन्द लें तब इस सम्बोधन पर भी विवाद हो गया, अब क्या करूं? आपने याद दिलाया तो यही लिखूंगी की मदर्स-डे पर मेरे सारे ही बच्चों को प्यार। भारत-माता की भूमिका में लिख रही हूँ, कि सभी मेरे पुत्र है, आप चाहे उन्हें अच्छा कहें या बुरा।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-62348183710512772112011-05-07T16:45:40.065+05:302011-05-07T16:45:40.065+05:30सुज्ञ जी, दीवार फांदकर नहीं भागूगी। हा हा हाहा। कि...सुज्ञ जी, दीवार फांदकर नहीं भागूगी। हा हा हाहा। कितनी अजीब दुनिया है यह ब्लाग-जगत, हम सब अपने मन की बात सहजता से कह देते हैं और सभी लोग सहजता से लेते भी हैं। इसीलिए तो यहाँ बार-बार आने को मन करता है। दुनिया में शायद ही कहीं ऐसा प्लेटफार्म हो जहाँ लोग अपनी बात सहजता से कर सके।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.com