tag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post7846683506176828164..comments2023-12-30T03:15:36.067+05:30Comments on अजित गुप्ता का कोना: क्या आपका बच्चा potty trained है?अजित गुप्ता का कोनाhttp://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comBlogger33125tag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-53827244915401250422010-07-14T22:23:33.870+05:302010-07-14T22:23:33.870+05:30रोचक अंदाज में आपने आम जीवन की बात लिखी। आपकी इस अ...रोचक अंदाज में आपने आम जीवन की बात लिखी। आपकी इस अमेरिका यात्रा के चलते आपने वहां के जीवन के बारे में सहज रूप में जितना लिखा उतना वहां रह रहे लोगों ने नहीं लिखा। शायद अस्पष्ट लिखकर ज्यादा टिप्पणियां पाना चाहते होंगे। :)अनूप शुक्लhttp://hindini.com/fursatiyanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-75636649885242124242010-06-30T15:27:37.832+05:302010-06-30T15:27:37.832+05:30pehli baar suna yeh term.pehli baar suna yeh term.कुमार राधारमणhttps://www.blogger.com/profile/10524372309475376494noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-47955725963396815202010-06-28T01:01:35.886+05:302010-06-28T01:01:35.886+05:30हाहाहा.. अजीता जी.. लंगोट के देश वाले अभी इतने भी ...हाहाहा.. अजीता जी.. लंगोट के देश वाले अभी इतने भी आलसी नहीं हैं। कि बच्चे को तीन साल तक गंदा करके डायपर में ही घुमाएं। वैसे मैंने इतनी बढ़िया व्यांगात्मक पोस्ट आजतक नहीं पढ़ी।अबयज़ ख़ानhttps://www.blogger.com/profile/06351699314075950295noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-32993922972200304622010-06-26T10:21:56.850+05:302010-06-26T10:21:56.850+05:30सर्वप्रथम एक विचारणीय पोस्ट के लिए साधुवाद !
बड़े ...सर्वप्रथम एक विचारणीय पोस्ट के लिए साधुवाद !<br />बड़े सरल शब्दों में आपने आधुनिक उन्नत समाज में प्राकृतिक मूलभूत कर्मों की जटिलता का हिसाब लिया है. आखिर परिवार के महत्व से कौन इनकार कर सकता है. बच्चे कष्ट न झेलें और परिवार में रहसुखद अनुभूति करें... बसSulabh Jaiswal "सुलभ"https://www.blogger.com/profile/11845899435736520995noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-11992460521998165282010-06-26T01:27:08.851+05:302010-06-26T01:27:08.851+05:30Bahut sundar post..apki es post ko padh kar mujhe ...Bahut sundar post..apki es post ko padh kar mujhe apne school ki ek bat yaad aa gayi..jab mai 4th me tha mere just bagal me jo ladaka baithata tha..jaise hi hamare Maths ke teacher aate the vaise hi vah shuru ho jata tha..hahaahaha..Regards<br /><br /><a href="http://dev-palmistry.blogspot.com/" rel="nofollow">The Lines Tells The Story of Life....Discover Yourself....</a>Devhttps://www.blogger.com/profile/07812679922792587696noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-911876777178935572010-06-25T21:07:11.392+05:302010-06-25T21:07:11.392+05:30ममा....मैं जब छोटा था ना... तो स्कूल में पैंट में ...ममा....मैं जब छोटा था ना... तो स्कूल में पैंट में ही पोट्टी कर देता था.... जबकि घर से कर के ही जाता था..... लेकिन लग जाती थी.... तो हो ही जाती थी.... ही ही ही ....डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali)https://www.blogger.com/profile/13152343302016007973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-79566248696452174802010-06-25T02:20:11.735+05:302010-06-25T02:20:11.735+05:30वक्त बदलने के साथ जीवन बदलता है - फिर धीरे-धीरे सम...वक्त बदलने के साथ जीवन बदलता है - फिर धीरे-धीरे समझ में आता है की जिसे प्रगति समझा था वह दरअसल विनाश की और एक कदम था. डब्बा-बंद दूध के साथ भी ऐसी ही कहानी हुई. फैक्ट्रियों से हुए प्रदूषण का नुक्सान हम अभी भी झेल रहे हैं. डायपर ने कामकाजी माता-पिता को अस्थाई सुविधा दी होगी मगर किस कीमत पर? आजकल तो <a href="http://www.diaperfreebaby.org/" rel="nofollow">"डायपर-मुक्त बाल" आन्दोलन</a> का ज़माना है.Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-25190558600142496292010-06-24T23:29:12.917+05:302010-06-24T23:29:12.917+05:30बात तो विचारणीय है आपकीबात तो विचारणीय है आपकीMrityunjay Kumar Raihttps://www.blogger.com/profile/16617062454375288188noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-39163176958670457392010-06-24T23:22:32.731+05:302010-06-24T23:22:32.731+05:30हम तो बिटिया (पौने दो साल) के लिए डायपर का उपयोग क...हम तो बिटिया (पौने दो साल) के लिए डायपर का उपयोग कम-से-कम ही करते हैं. जितने का एक डायपर आता है उतने में तो लोकल हाट में सूती चड्डीयां मिल जातीं हैं जिन्हें धोकर फिर से इस्तेमाल कर लेते हैं. अब तो बिटिया पहले ही अपनी बोली में पौटी आने का बताने लगी है. बिस्तर पर शू-शू तो उसने लम्बे समय से नहीं की.<br /><br />सामनेवाले घर में दो साल से भी बड़ी बच्ची है जो पूरे समय डायपर पहने रहती है और शू-शू के बारे में भी नहीं बताती.:)निशांत मिश्र - Nishant Mishrahttps://www.blogger.com/profile/08126146331802512127noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-27979477675626354032010-06-24T23:09:11.414+05:302010-06-24T23:09:11.414+05:30ha ha ha...aapne 15 saal peeche khench diya...jab ...ha ha ha...aapne 15 saal peeche khench diya...jab main joojhtaa thaa apne bachche ke langot ke saath ...Yogesh Sharmahttps://www.blogger.com/profile/13296401748828517861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-72923949112446401972010-06-24T22:01:02.310+05:302010-06-24T22:01:02.310+05:30अजित गुप्ता जी हमे इन चोंव्चलो की जरुरत ही नही पड...अजित गुप्ता जी हमे इन चोंव्चलो की जरुरत ही नही पडी, हमने बच्चो को करीब एक साल तक कपडे वाले पोतरे मे रखा, तब बच्चो को समझा दिया कि जब भी पोटी आये पापा या ममी को बता देना, अगर नही मन तो य़ह पोतरे बांध देगे, बस दोनो बच्चे समय पर बता देते थे, ओर दोनो बच्चे सोये भी हमारे साथ ही पांचवी कलास तक.<br />डाईपर से बच्चो के जख्म हो जाते है, ओर उन्हे कठिनाई भी होती है, अच्छा है बच्चे को पोटी के बाद कुछ समय बिना डाईपर के रखा जाये, जिस से बच्चा खुश रहता है ओर फ़िर धीरे धीरे वो खुद ही समझ जाता है की बिना डाईपर के अच्छा लगता है ओर वो पोटी का पहले ही बता देता है, हम भारत गये तो छोटा बेटा १ साल का था, जहाज मै बिना डाईपर के ही रहा, अगर मां बाप के पास समय हे तो बच्चा बहुत सी बाते जल्द सीख लेता है.<br />आप का लेख बहुत अच्छा लगाराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-35108233938138772212010-06-24T21:08:25.704+05:302010-06-24T21:08:25.704+05:30@अजित जी
आप सही कह रही है पर क्या करे ,हम जब पले...@अजित जी <br />आप सही कह रही है पर क्या करे ,हम जब पले तो बुआ,चाचा ,दादी ,मासी सब हुआ करते थे परिवार में और माँ की जिम्मेदारी भी घर के कामों तक सीमित थी, खेल खेल में हमने अपने भतीजे भतीजियों को कब पोट्टी ट्रेन किया पता नहीं चला ...<br />पर एकल परिवार,फ्लैट में बहुत समस्या होती है,इतनी लंगोट कहाँ सुखाये ...कहाँ कहाँ पोछा मारे, घर भी चकाचक रखना है ,बिस्तर गीले हो जाए तो पीले निशाँ शर्मिन्दा करते है ... आप बताओ कैसे manage करेsonalhttps://www.blogger.com/profile/03825288197884855464noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-67124590500162761732010-06-24T20:24:28.572+05:302010-06-24T20:24:28.572+05:30सब नवयुग की महिमा है!
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गम्भीर विषय को
आपने बहुत...सब नवयुग की महिमा है!<br />--<br />गम्भीर विषय को <br />आपने बहुत ही रोचकता के साथ प्रस्तुत किया है!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-58239088574251471352010-06-24T16:18:22.167+05:302010-06-24T16:18:22.167+05:30आपका कहना सही है .. एक गंभीर विषय को सरलता से उठाय...आपका कहना सही है .. एक गंभीर विषय को सरलता से उठाया है आपने ... पाश्चात्य लोग तो इस बात को टाल भी सकते हैं क्योंकि वहाँ अलग सामाजिक नियम हैं .. पर भारतीय जो विदेश में रहते हैं ... उनको तो इस बात को समझना ही चाहिए ... विचारणीय है आपका लिखा ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-361504674989286442010-06-24T16:17:59.247+05:302010-06-24T16:17:59.247+05:30आपका कहना सही है .. एक गंभीर विषय को सरलता से उठाय...आपका कहना सही है .. एक गंभीर विषय को सरलता से उठाया है आपने ... पाश्चात्य लोग तो इस बात को टाल भी सकते हैं क्योंकि वहाँ अलग सामाजिक नियम हैं .. पर भारतीय जो विदेश में रहते हैं ... उनको तो इस बात को समझना ही चाहिए ... विचारणीय है आपका लिखा ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-71075169727002982172010-06-24T15:54:13.394+05:302010-06-24T15:54:13.394+05:30भाड़ में जाये ऐसी आधुनिकता जहाँ अपने बच्चों को पोट...भाड़ में जाये ऐसी आधुनिकता जहाँ अपने बच्चों को पोटी करवाने का भी सुख नसीब ना हो.<br />सीईईईईईई ........ कुछ ऐसे ही तो कराते है.Amit Sharmahttps://www.blogger.com/profile/15265175549736056144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-15774247519418468832010-06-24T15:41:16.601+05:302010-06-24T15:41:16.601+05:30अजित जी , वहां तो बच्चे क्या ,बड़ों को भी ट्रेंड हो...अजित जी , वहां तो बच्चे क्या ,बड़ों को भी ट्रेंड होना पड़ता है । विशेषकर जो यहाँ से जाते हैं । अब क्या करें कल्चरल डिफ़रेंस है न । आखिर यहाँ ७२ % लोग गाँव में रहते हैं जिनके पास शौचालय की सुविधा कितनों के पास है ,यह सोचने की बात है।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-45156068932874595842010-06-24T14:53:18.795+05:302010-06-24T14:53:18.795+05:30मुझे किताब खरीदनी पड़ेगी..:)मुझे किताब खरीदनी पड़ेगी..:)रंजनhttp://aadityaranjan.blogspot.com/noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-81099984668723678872010-06-24T14:12:43.064+05:302010-06-24T14:12:43.064+05:30माताएं मेहनत थोड़ी कम करना चाहती हैं,वरना समय समय प...माताएं मेहनत थोड़ी कम करना चाहती हैं,वरना समय समय पर बच्चे को टायलेट ले जाया जाए फिर एक डायपर की भी जरूरत नहीं पड़ती...पर हाँ, माँ को चौकन्ना रहना पड़ता है हमेशा...पूरे समय बच्चे को समर्पित.rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-61150883203334760172010-06-24T14:03:53.409+05:302010-06-24T14:03:53.409+05:30हमारे बच्चे तो स्कूल जाना शुरू करने की उम्र से बहु...हमारे बच्चे तो स्कूल जाना शुरू करने की उम्र से बहुत पहले ही ट्रेण्ड हो गये।<br /><br />प्रणामअन्तर सोहिलhttps://www.blogger.com/profile/06744973625395179353noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-25760167760545228112010-06-24T12:54:15.768+05:302010-06-24T12:54:15.768+05:30'हमारे यहाँ आदतों के लिए कहा गया है कि बच्चे क...'हमारे यहाँ आदतों के लिए कहा गया है कि बच्चे को अभिमन्यु् की तरह माँ की कोख से ही संस्कारित करना प्रारम्भ करो लेकिन यहाँ तो पाँच-पाँच साल के बच्चें भी पोटी ट्रेन्ड नहीं हैं। एक मूलभूत शिक्षा जो जन्म के साथ ही देना शुरू हो जाती है यदि हम शिक्षित होकर भी इसे नहीं दे पाते हैं तो बाकि संस्कांरों की तो बात ही क्या करें?'<br />-भाई नुराग शर्मा और राज भाटिया जी के ब्लॉग में विदेश की कुछ अच्छी बातों के दर्शन हुए. इस पोस्ट में उनकी कमी और हमारे संस्कांरों की श्रेष्ठता झलकती है.hem pandeyhttps://www.blogger.com/profile/08880733877178535586noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-58186422422625468422010-06-24T11:36:34.689+05:302010-06-24T11:36:34.689+05:30अजित जी ,
आपने बहुत विचारणीय लेख लिखा है....हम भार...अजित जी ,<br />आपने बहुत विचारणीय लेख लिखा है....हम भारतीय तो पश्चिम का अंधानुकरण करने में माहिर हैं ना....आज यही स्थिति यहाँ भी हो रही है..घर घर में डाइपर प्रवेश कर रहा है....कभी कभी तो देख कर जलन भी होती है कि आज की मांएं कितनी निष्फिक्र हैं....ज्यादातर होता था कि खाना परोसा ...और बच्चे ने पौटी कर दी .. :) :) बस ..<br /><br />आपने गंभीर समस्या को रोचक ढंग से प्रस्तुत किया है...संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-31315515726050006132010-06-24T11:32:42.802+05:302010-06-24T11:32:42.802+05:30achha aalekh.achha aalekh.शोभना चौरेhttps://www.blogger.com/profile/03043712108344046108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-3729317181004844362010-06-24T11:01:46.105+05:302010-06-24T11:01:46.105+05:30America me lagta hai,har cheez ka atirek hota hai!...America me lagta hai,har cheez ka atirek hota hai! Aapki bhasha shaili bahut ranjak hai.kshamahttps://www.blogger.com/profile/14115656986166219821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-42002438913143608002010-06-24T09:45:27.722+05:302010-06-24T09:45:27.722+05:30बिल्कुल ये छोटी छोटी बातें बहुत बड़ी होती हैं।बिल्कुल ये छोटी छोटी बातें बहुत बड़ी होती हैं।विवेक रस्तोगीhttps://www.blogger.com/profile/01077993505906607655noreply@blogger.com