tag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post5804638935577099701..comments2023-12-30T03:15:36.067+05:30Comments on अजित गुप्ता का कोना: क्या भगवान की उपाधि किसी सामान्य मनुष्य को दी जानी चाहिए?अजित गुप्ता का कोनाhttp://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comBlogger52125tag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-58148730515844952252012-01-14T16:14:48.169+05:302012-01-14T16:14:48.169+05:30vicharniy bat.vicharniy bat.Dr.NISHA MAHARANAhttps://www.blogger.com/profile/16006676794344187761noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-66350069436147139932011-12-27T17:30:36.370+05:302011-12-27T17:30:36.370+05:30Girja Bhargava:-
Mai Aapse puri tarah se sahmat hu...Girja Bhargava:-<br />Mai Aapse puri tarah se sahmat hun.Ek Patni ke liye uska pati Bhagwan ho sakta hai,Ek Santan ke liye uske Maata-Pita Bhagwan ho sakte hain Par un sabka ishwar ek hi hai.Aur phir ye jaruri nahin ke jise aap apna bhagwan maan rahen hai use sab mane.Hamare andar aatma ka was hai par use milna ant mai parmatma se hi hota hai.Isliye kisi ke dwara kiye gaye achche kritya ke liye ham uski tarif kar sakte hai par use ishwar ki upadhi dena sarasar galat hai.Girja Bhargavahttps://www.blogger.com/profile/04717717999783041633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-5016339410539479162011-12-27T17:25:00.444+05:302011-12-27T17:25:00.444+05:30Girja Bhargava:-
Mai Aapse puri tarah se sahmat hu...Girja Bhargava:-<br />Mai Aapse puri tarah se sahmat hun.Ek Patni ke liye uska pati Bhagwan ho sakta hai,Ek Santan ke liye uske Maata-Pita Bhagwan ho sakte hain Par un sabka ishwar ek hi hai.Aur phir ye jaruri nahin ke jise aap apna bhagwan maan rahen hai use sab mane.Hamare andar aatma ka was hai par use milna ant mai parmatma se hi hota hai.Isliye kisi ke dwara kiye gaye achche kritya ke liye ham uski tarif kar sakte hai par use ishwar ki upadhi dena sarasar galat hai.Girja Bhargavanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-72115909089241495212011-12-07T09:50:22.503+05:302011-12-07T09:50:22.503+05:30मनुष्य के सत्कर्म उसे भगवान तो नहीं पर भगवान जैसा ...मनुष्य के सत्कर्म उसे भगवान तो नहीं पर भगवान जैसा दर्ज़ा अवश्य दिलवा सकते हैंwww.navincchaturvedi.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-21286407412146294842011-12-04T17:01:07.680+05:302011-12-04T17:01:07.680+05:30बिलकुल सही प्रश्न उठया है आपने ... आज समाज में ये ...बिलकुल सही प्रश्न उठया है आपने ... आज समाज में ये ओरवृति फैलती जा रही है हर किसी को भगवान मानने लगे हैं ... अगर किसी विशेष ने पूर्ण ज्ञान प्राप्त भी कर लिया है तो उसे गुरु का स्थान दिया जा सकता है न की भगवान का ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-34522571767132424162011-12-04T09:45:07.335+05:302011-12-04T09:45:07.335+05:30एक प्रश्न यह भी है कि यह उपाधि देता कौन है? और फिर...एक प्रश्न यह भी है कि यह उपाधि देता कौन है? और फिर मनुष्य की सामान्यता और असामान्यता तय करने का पैमाना क्या है? दूसरा पक्ष यह है कि जिस संस्कृति में नदी, पर्वत, वायु, से लेकर पशु पक्षियों तक भगवान मानने में कुछ अनूठा नहीं है वहाँ किसी मानव को भगवान कहने, मानने या समझने में क्या आश्चर्य है? हाँ, अभारतीय संस्कृति में यह कन्सेप्ट समझना न केवल कठिन है बल्कि ऐसी बात जानलेवा भी हो सकती है।Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-29295391241261734572011-12-03T22:51:01.784+05:302011-12-03T22:51:01.784+05:30बिल्कुल नहीं किया जाना चाहिए। मै आपसे पूर्णत: सहम...बिल्कुल नहीं किया जाना चाहिए। मै आपसे पूर्णत: सहमत हूं ..Maheshwari kanerihttps://www.blogger.com/profile/07497968987033633340noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-65252900880184667192011-12-03T12:34:06.861+05:302011-12-03T12:34:06.861+05:30अच्छी पोस्ट
मैं पूरी तरह सहमत हूंअच्छी पोस्ट<br />मैं पूरी तरह सहमत हूंमहेन्द्र श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09549481835805681387noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-15352746339887260412011-12-02T17:08:39.535+05:302011-12-02T17:08:39.535+05:30आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा ...आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा आज के <a href="http://charchamanch.blogspot.com" rel="nofollow">चर्चा मंच</a> पर भी की गई है!चर्चा मंच में शामिल होकर चर्चा को समृध्द बनाएं....Atul Shrivastavahttps://www.blogger.com/profile/02230138510255260638noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-50512086818247689182011-12-01T15:05:48.109+05:302011-12-01T15:05:48.109+05:30ऐसे अतिश्योक्ति भरे उपाधि-अलंकरण वस्तुतः हमारा मिथ...ऐसे अतिश्योक्ति भरे उपाधि-अलंकरण वस्तुतः हमारा मिथ्याड़म्बर है। झूठ का सेवन!!<br /><br />धर्म-कर्म आध्यात्म में आस्था रखनेवालों के लिए तो असत्य सम्भाषण पाप ही है।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-58392712179969637372011-12-01T14:40:12.397+05:302011-12-01T14:40:12.397+05:30कदापि नही,...इंसान जो भी करता है उसका स्वार्थ
छिप...कदापि नही,...इंसान जो भी करता है उसका स्वार्थ <br />छिपा होता है,..चाहे कोई भी हो,...<br />बेहतरीन आलेख,...<br />मेरे नये पोस्ट -प्रतिस्पर्धा-आपका इंतजार है,...धीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-16548368755121007742011-12-01T13:51:16.634+05:302011-12-01T13:51:16.634+05:30आपकी हर बात से सहमत हूँ.खुद सचिन और अमिताभ भी खुदक...आपकी हर बात से सहमत हूँ.खुद सचिन और अमिताभ भी खुदको भगवान कहलाने पर असहज महसूस करते होंगे.<br />@रचना जी,<br />राम और कृष्ण साधारण मनुष्य नहीं,भगवान के अवतार थे.राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-54429091680043097572011-12-01T08:32:06.153+05:302011-12-01T08:32:06.153+05:30सबकुछ आस्था और विश्वास पर ही निर्भर करता है , जबकि...सबकुछ आस्था और विश्वास पर ही निर्भर करता है , जबकि हर आत्मा उस परमात्मा का ही अंश है ...<br />भगवान् मान लेना तो फिर भी समझ आता है , मगर अपने आपको भगवान् मनवाना आपत्तिजनक लगता है !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-61341705107143261782011-12-01T00:16:43.304+05:302011-12-01T00:16:43.304+05:30आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल आज 01-12 - ...आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल आज 01-12 - 2011 को यहाँ भी है <br /><br /><a href="http://nayi-purani-halchal.blogspot.com" rel="nofollow"> ...नयी पुरानी हलचल में आज .उड़ मेरे संग कल्पनाओं के दायरे में </a>संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-64080801556729662812011-11-30T17:09:56.853+05:302011-11-30T17:09:56.853+05:30भगवान को सर्व-समर्थ ,सर्वत्र,सर्वज्ञ,सर्वगुण-संपन्...भगवान को सर्व-समर्थ ,सर्वत्र,सर्वज्ञ,सर्वगुण-संपन्न अनादि और अनंत माना जाता है.मनुष्य में ये विशेषतायें कहाँ ? <br />रही निर्वाण शब्द के प्रयोग की बात तो राजनीति में अंबेडकर जी का निर्वाण दिवस होने लगा ,और अवतार तो बड़ा व्यापक शब्द हो गया है(धर्मावतार आदि ..).<br />शब्दों का मनमाना प्रयोग चलता है .आविर्भाव और तिरोभाव भी चलन में आ जाय तो आश्चर्य नहीं .प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-69468362241488860582011-11-29T19:59:31.038+05:302011-11-29T19:59:31.038+05:30ख़ाकसार को अपनी टिप्पणी नजर नहीं आ रही...पता नहीं ...ख़ाकसार को अपनी टिप्पणी नजर नहीं आ रही...पता नहीं उसी किस्म का कोई गड़बड़झाला तो नहीं, जिसका जिक्र सलिल भाई अपनी पोस्ट ब्लॉग बस्टर पखवाड़ा में कर रहे हैं...!!!!SKThttps://www.blogger.com/profile/10729740101109115803noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-71029961041666474322011-11-29T16:43:28.767+05:302011-11-29T16:43:28.767+05:30लोग जिनसे अतिशय प्रेम करते हैं...उन्हें भगवान का न...लोग जिनसे अतिशय प्रेम करते हैं...उन्हें भगवान का नाम दे देते हैं...क्रिकेट के दीवाने सचिन को भगवान मानते हैं तो फिल्मो के दीवाने अमिताभ को....यह बस symbolic ही होता है और मिडिया तो लोगो को आकृष्ट करने के लिए इस तरह के वजनदार शब्दों का प्रयोग करेगी ही.<br /><br />दिवंगत माता-पिता की तस्वीरें लोग पूजा घरों में लगाते हैं....बाकायदा धूप अगरबत्ती भी दिखाते हैं और हर शुभ मौके पर या संकट की घड़ी में उनका आशीर्वाद भी लेते हैं.rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-12692436333955806462011-11-29T15:02:27.252+05:302011-11-29T15:02:27.252+05:30Waise mool shabd hai "bhagnwaan" matlab ...Waise mool shabd hai "bhagnwaan" matlab jisne apne wikaron ko bhagn kiya....jaise ki Gautam buddh! Prachalit bhashame ye shabd aur hee mayne rakhne laga ye baat alag hai. Gar ham mool arth len to samany manushy hee apnee sadhana se vikar bhagn karta hai!kshamahttps://www.blogger.com/profile/14115656986166219821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-51071677871815005282011-11-29T13:55:47.887+05:302011-11-29T13:55:47.887+05:30मानने और न मानने पर तो वही बात मुफ़ीद है कि ’मानो ...मानने और न मानने पर तो वही बात मुफ़ीद है कि ’मानो तो मैं गंगा माँ हूँ, न मानो तो बहता पानी।’ किसी के मानने या न मानने से खैर अपने को फ़र्क नहीं पड़ता लेकिन जब दूसरों को अपनी इच्छानुसार मानने या न मानने पर मजबूर किया जाता है तब जरूर असुचिधा होती है।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-30203527031574261392011-11-29T12:08:00.944+05:302011-11-29T12:08:00.944+05:30पूरी समस्या की जड़ यह सोच है कि भगवान कोई व्यक्ति ...पूरी समस्या की जड़ यह सोच है कि भगवान कोई व्यक्ति है जो हमें कहीं से नियंत्रित कर रहा है और ज़रूरी होने पर, फिल्मों की तरह अवतरित होकर हमें वरदान दे सकता है। नहीं,ईश्वर कोई व्यक्ति नहीं है। ईश्वर एक क्वालिटी है,पर्सनैलिटी नहीं। ध्यान रहे कि जिन राम,कृष्ण,बुद्ध आदि का ज़िक्र आप कर रही हैं,वे भी अपने ज़माने में सर्वस्वीकार्य नहीं थे और उन्हें भी भगवान का दर्ज़ा प्रायः उनकी मृत्यु के पश्चात् ही प्राप्त हुआ।<br />माता-पिता के लिए अवतरण और निर्वाण शब्द का प्रयोग एक शुभ संकेत है,बशर्ते यह औपचारिकता अथवा आडम्बरवश न किया गया हो। यदि बच्चों के मन में अपने माता-पिता के लिए यह भाव जग सके कि उनके माता-पिता ही उनके लिए असली भगवान हैं,तो कहानी वाला श्रवण कुमार स्वयं अप्रासंगिक हो जाएगा क्योंकि तब हर घर में कई-कई श्रवण कुमार होंगे।<br />यह सोचने की बजाय कि साधारण व्यक्ति को भगवान की पदवी दी जाय या नहीं,चिंतन इस बात पर होना चाहिए कि जो सचमुच भगवान है,वह हमारे लिए क्यों इतना साधारण बना हुआ है!कुमार राधारमणhttps://www.blogger.com/profile/10524372309475376494noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-72316874895772611932011-11-29T12:06:34.641+05:302011-11-29T12:06:34.641+05:30This comment has been removed by the author.कुमार राधारमणhttps://www.blogger.com/profile/10524372309475376494noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-63775071142051713582011-11-29T11:19:51.858+05:302011-11-29T11:19:51.858+05:30जीते हों किसी ने देश तो क्या, हमने तो दिलों को जीत...<i>जीते हों किसी ने देश तो क्या, हमने तो दिलों को जीता है,<br />जहां राम अभी तक है नर में, नारी में अभी तक सीता है,<br /><br />इतने पावन हैं लोग जहां, मैं नित-नित शीश झुकाता हूं,<br />भारत का रहने वाला हूं, भारत की बात सुनाता हूं,<br /><br />इतनी ममता नदियों को भी, जहां माता कहके बुलाते हैं, <br />इतना आदर इन्सान तो क्या, पत्थर भी पूजे जातें हैं, <br /><br />उस धरती पे मैंने जन्म लिया, ये सोच के मैं इतराता हूं,<br />भारत का रहने वाला हूं, भारत की बात सुनाता हूं...</i><br /><br /><br />जय हिंद...Khushdeep Sehgalhttps://www.blogger.com/profile/14584664575155747243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-84820306000863558222011-11-29T10:48:19.713+05:302011-11-29T10:48:19.713+05:3024-25 को चण्डीगढ में भारतीय विकास परिषद का सम्मेलन...24-25 को चण्डीगढ में भारतीय विकास परिषद का सम्मेलन है, इस बारे में पहले पता नहीं था। वर्ना आपके दर्शन इस बार हो सकते थे।<br /><br />प्रणामअन्तर सोहिलhttps://www.blogger.com/profile/06744973625395179353noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-43739716536262979622011-11-29T10:46:05.023+05:302011-11-29T10:46:05.023+05:30जिस देश में पत्थरों को भगवान कहा जाता है, वहीं गर ...जिस देश में पत्थरों को भगवान कहा जाता है, वहीं गर किसी जीवित या मृत को कुछ लोग भगवान मानें तो क्या हर्ज है।<br />कोई भी वस्तु आस्था से भगवान बनती है, वर्ना भगवान है या नहीं इस बारे में कौन जाने।<br /><br />प्रणाम स्वीकार करेंअन्तर सोहिलhttps://www.blogger.com/profile/06744973625395179353noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-11414015798376258842011-11-28T23:35:20.798+05:302011-11-28T23:35:20.798+05:30हमारी मानसिकता ही ऐसी बनी हुयी है की हम तो तलाशते ...हमारी मानसिकता ही ऐसी बनी हुयी है की हम तो तलाशते रहते हैं की किसे प्रभु की पदवी दी जाये ...... बिलकुल अच्छी नहीं लगती यह सोच मुझे तो...... ईश्वर को ईश्वर और मनुष्य को मनुष्य ही रहने दिया जाये तो अच्छा है और मीडिया वाले तो न जाने कहाँ से ऐसे संबोधन खोज लाते हैं....बहुत कोफ़्त होती है कभी कभी..... डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.com