tag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post5701450438088663717..comments2023-12-30T03:15:36.067+05:30Comments on अजित गुप्ता का कोना: चरित्र-नाशिनी इंजेक्शनअजित गुप्ता का कोनाhttp://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-19651037693564472682016-10-03T10:04:45.014+05:302016-10-03T10:04:45.014+05:30प्रतिभाजी अच्छी व्याख्या है।प्रतिभाजी अच्छी व्याख्या है।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-32428196850394569252016-09-29T10:09:06.517+05:302016-09-29T10:09:06.517+05:30अधर्म फैल जाने पर, हे कृष्ण, कुल की स्त्रियाँ भी द...अधर्म फैल जाने पर, हे कृष्ण, कुल की स्त्रियाँ भी दूषित हो जाती हैं। और हे वार्ष्णेय, स्त्रियों के दूषित हो जाने पर वर्ण धर्म नष्ट हो जाता है(अधर्माभिभवात्कृष्ण प्रदुष्यन्ति कुलस्त्रियः। स्त्रीषु दुष्टासु वार्ष्णेय जायते वर्णसङ्करः)<br /><br />गीता मे खोल कर स्पष्ट कर दिया गया है - समाज के लोग जब अतिवाद पर उतरते हैं तो यही परिणाम होता है ,महाभारतके पूर्व यह अतिचार दृष्टव्य है <br />मत्स्यगंधा के साथ फिर काशिराज की कन्याओं के साथ ,जबरन लादा गया नियोग अनाचार कहलायेगा या नही? दोषी केवल स्त्रियों को मान लिया जाता है,किया धरा सब दूसरों का .<br /> वहाँ न कोई असली कौरव था न पाँडव -परिणाम -सामने है.प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.com