tag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post5037201885895578205..comments2023-12-30T03:15:36.067+05:30Comments on अजित गुप्ता का कोना: अंग्रेजी खूनी पंजे-2अजित गुप्ता का कोनाhttp://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comBlogger19125tag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-31485027944720597982009-11-10T13:39:46.784+05:302009-11-10T13:39:46.784+05:30युवाओं के साथ ही, सब के लिए है यह लेख .युवाओं के साथ ही, सब के लिए है यह लेख .padmja sharmahttps://www.blogger.com/profile/13769345678224469008noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-20979544313953045272009-11-05T12:56:26.072+05:302009-11-05T12:56:26.072+05:30बहुत ही अच्छा लेख हर शब्द अपने आप में सच्चाई लि...बहुत ही अच्छा लेख हर शब्द अपने आप में सच्चाई लिये हुये, आपकी सशक्त लेखनी को सलाम, आभार ।सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-69134537553175757512009-11-04T21:56:08.649+05:302009-11-04T21:56:08.649+05:30aaj hi aapakee pichhali post bhee padhi cafe hindi...aaj hi aapakee pichhali post bhee padhi cafe hindi chal nahin raha is liye roman me hi likh rahi hoon. aapakaa aalekh gyaanvardhak to hai hee un logon kee aanakhen kholane ke liye bhi kafee hai jo ye nahin samajhate ki angrej hamari jadhon me kaun se beej bo gaye hain ye beej us vish bel ki tarah hain jise aakaash bel kahate hain jo jis paudhe ke upar pamapati hai jis se khaad pani letee hai usi ko samapat kar deti hai> bahut achha aalekh hai> aasha hai aap bhavishay me bhee hame isee tarah kaa gyaanvardhak vishay padhavati rahengi aapake paas to bahut smridh khajana hai ek lekhak aur uch koti kee patarikaon ke sampadak hone kaa anuvhav aur gyaan hai. aapakaa blogger hona hi hamare liye gaurav ki baat hai .bhagavan aapako lambi aayoo de shubhakamanayeनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-78995521891970401422009-11-04T17:44:33.861+05:302009-11-04T17:44:33.861+05:30शोधपरक लेख जानकारी से भरा
बहुत सुन्दर और विचारपूर...शोधपरक लेख जानकारी से भरा <br />बहुत सुन्दर और विचारपूर्णM VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-85561441399803529272009-11-04T17:26:17.853+05:302009-11-04T17:26:17.853+05:30जानकारी से परिपूर्ण , विचारोत्तेजक लेख के लिए धन्य...जानकारी से परिपूर्ण , विचारोत्तेजक लेख के लिए धन्यवादअजय कुमारhttps://www.blogger.com/profile/15547441026727356931noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-37249812044809520722009-11-04T17:13:42.735+05:302009-11-04T17:13:42.735+05:30जनता की मृत्यु इसलिए हुई कि अन्न इंग्लैण्ड जा रहा ...जनता की मृत्यु इसलिए हुई कि अन्न इंग्लैण्ड जा रहा था।<br /><br />बिलकुल सही बातMishra Pankajhttps://www.blogger.com/profile/02489400087086893339noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-55672611721998997022009-11-04T17:06:00.723+05:302009-11-04T17:06:00.723+05:30मैम
आपकी विचार मुझे बहुत ही अच्छा लगा क्योकि मेरा...मैम <br />आपकी विचार मुझे बहुत ही अच्छा लगा क्योकि मेरा भी यही मानना है कि हम भारतियो मे हीन भावना कुट कुट्कर भरी पडी है जिसका फायदा सही मे तीसरा उठाता है !बहुत बढिया !यह क्रम जारी रहे !ओम आर्यhttps://www.blogger.com/profile/05608555899968867999noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-42878861108306235182009-11-04T15:47:35.730+05:302009-11-04T15:47:35.730+05:30शास्त्री जी
यह आलेख मेरा ही है। ऐसे सामाजिक सरोका...शास्त्री जी<br />यह आलेख मेरा ही है। ऐसे सामाजिक सरोकारों को लिए 30 निबन्ध मेरी नवीनतम पुस्तक "सांस्कृतिक निबन्ध" के अन्दर है। इसी पुस्तक का हवाला देते हुए मैंने अपनी बात कही थी। आपको आलेख पसन्द आया इसके लिए आभार।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-11939983126307834562009-11-04T14:34:10.032+05:302009-11-04T14:34:10.032+05:30लेख चाहे आपका हो या उद्धरित हो, मगर है प्रभावशाली ...लेख चाहे आपका हो या उद्धरित हो, मगर है प्रभावशाली लेखन!<br />बहुत - बहुत बधाई!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-43113699419664796882009-11-04T14:00:24.957+05:302009-11-04T14:00:24.957+05:30aapke aalekh vicharon ko jhinjhod dene wale hote h...aapke aalekh vicharon ko jhinjhod dene wale hote hain.aajkal french ko bhi bahut prachlit kiya ja raha hain.pahle angrezi aur ab french,yani ak aur gulami.is per bhi kuch kahen.Dr. kavita 'kiran' (poetess)https://www.blogger.com/profile/10137044674020780363noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-37373673367552346622009-11-04T13:30:56.041+05:302009-11-04T13:30:56.041+05:30हमारी युवापीढ़ी यदि अंग्रेजों का अनुसरण करती है, तब...हमारी युवापीढ़ी यदि अंग्रेजों का अनुसरण करती है, तब ऐसा लगता है कि हम भी उसी क्रूरता के अनुयायी बनते जा रहे हैं....<br /><br />नवीन युवावर्ग सारी परिस्थितियों को देख रहा है, समझ रहा है अतः वे भारत के विकास में भी भागीदार बन रहा है। बस उसे कल का इतिहास पढ़ने की आवश्यकता है जिससे वे अंग्रेज, अंग्रेजी और अंग्रेजीयत के खूनी पंजों की पहचान कर सकें। वे जान लें कि हमारे पूर्वजों पर नृशंस अत्याचार करने वाले कौन लोग थे और क्या ऐसे खूनी, लुटरे लोग कभी हमारे आदर्श बन सकते हैं? जिस दिन हमारे युवावर्ग ने अंग्रेजों के इतिहास की सच्चाई को जान लिया उस दिन कोई भी भारतीय अपने आपको अंग्रेजों की श्रेणी में रखना पसन्द नहीं करेगा।<br /><br />बहुत ही सशक्त लेखन है आपका .....!!हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-30119763347381299982009-11-04T13:22:49.252+05:302009-11-04T13:22:49.252+05:30आपने इतिहास के काले पन्नो को फिर खोल दिया है ...यह...आपने इतिहास के काले पन्नो को फिर खोल दिया है ...यह सब बाहर के लोगों ने किया था......लेकिन आज भी सूखे से लोग मर रहे हैं...और प्रशासन क्या कहता है ऐसी मौतों पर सब जानते हैं.....<br />एक जानकारी पूर्ण ऐतिहासिक लेख के लिए आभार।परमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-972448474678016902009-11-04T11:49:46.474+05:302009-11-04T11:49:46.474+05:30आपका लेख बहूत ही गहरे अध्यन की बाद लिखा गया है और ...आपका लेख बहूत ही गहरे अध्यन की बाद लिखा गया है और बहूत से पहलूओं को खोलता है ....... ये सच है की हमारी फूट का अंग्रेजों ने फायद उठाया ....... हमारी सरलता का उन्होंने इस्तेमाल किया ........... साथ के साथ ये भी सच है की उस वक्त जो भी राजा थे .......... उन्होंने अंग्रेजों का साथ अपने स्वार्थ के चलते दिया ........ गरीब जनता की नहीं सोची ........दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-56473047566419016942009-11-04T10:49:26.348+05:302009-11-04T10:49:26.348+05:30Aapko meri posting achchi lagi iskeliye Dhanyavaad...Aapko meri posting achchi lagi iskeliye Dhanyavaad. Kal hi UDaipur se Jayanti ji ka bhi main aaaya hai.<br />Aapki ye Itihasparak posting colonial History ka bhandaphod hai. <br />Maine itihaas vishay ke roop mein kabhi nahin pada par baad mein interest jaga aur phir maine 5 kitabein Bhartiya Itihaas aur sanskriti par likhin.<br />aapka neeleshNeelesh K. Jainhttps://www.blogger.com/profile/09803669760277678213noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-66205891058095254922009-11-04T09:54:29.739+05:302009-11-04T09:54:29.739+05:30बहुत शोध के बाद लिखा है आपने इसे । बार बार अकाल भु...बहुत शोध के बाद लिखा है आपने इसे । बार बार अकाल भुखमरी और रोजगार का अभाव इसमें पिसती भारतीय जनता और उस पर लगान और तरह तरह के कर अंग्रेजों ने जो किया अपने फायदे के लिये किया उसका अपरोक्ष फायदा हमें जरूर हुआ । हमारे राजनायकों नें उनकी भाषा सीखी ताकि उनकी सोच मालूम करके उन्हे उन्ही के खेल में मात देने की । पर अब तो अंधानुकरण हो रहा है ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-64229611063747425072009-11-04T09:53:26.547+05:302009-11-04T09:53:26.547+05:30गोदियाल साहब
हम भारतीयों में हीनभावना कूट-कूट कर भ...गोदियाल साहब<br />हम भारतीयों में हीनभावना कूट-कूट कर भरी है, इसी कारण हमें दूसरे बहुत अच्छे लगते हैं। हम आपस में इतना लड़ते हैं कि उसका फायदा दूसरा उठाता है। उस काल में भी यही हुआ और आज भी यही हो रहा है। हमने अंग्रेजों को भारत थाली में परोसकर दे दिया। आज भी उनके गुणगान करने में हम कहीं पीछे नहीं हैं। आज भी हम ऐसे अत्याचारियों को आदर्श मानते हैं और उनकी वकालात करते हैं। हम न तो इतिहास पढते हैं और न ही अपने आप पर गर्व करते हैं। आपकी टिप्पणी से मेरे आलेख को सम्बल मिला है, इसके लिए आभार।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-70433404601429527992009-11-04T09:53:21.055+05:302009-11-04T09:53:21.055+05:30"जो भारत में डाका डाल रहे थे वे तो साहूकार बन...<b>"जो भारत में डाका डाल रहे थे वे तो साहूकार बन गए थे और जो किसान अन्न उपजा रहे थे वे डाकू बन गए थे।"</b><br /><br />सत्य वचन!<br /><br />ज्ञानवर्धक लेख!Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09998235662017055457noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-66636569993474775852009-11-04T09:30:53.025+05:302009-11-04T09:30:53.025+05:30डा0 साहब, सब उनके ही बोए हुए कांटे है, बहुत बढिया ...डा0 साहब, सब उनके ही बोए हुए कांटे है, बहुत बढिया लेख ! सिर्फ आपने इसमें १९३० के बंगाल अकाल जिक्र छोड़ दिया ! लेकिन आखिर में सवाल वहीं आकर ठहर जाता है की इन अंग्रेजो को यहाँ आने की दावत किसने दी थी ?पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-72458564678098162402009-11-04T09:07:10.128+05:302009-11-04T09:07:10.128+05:30मैने देखी-सुनी है भुख से मौत हो्ने वाले व्यक्ति की...मैने देखी-सुनी है भुख से मौत हो्ने वाले व्यक्ति की पत्नी की दास्तान। आज भी भारत मे भुख से मौत होती है और प्रशासन उसे बिमारी करार दे देता है। लानत है-<br />सार गर्भित लेख के लिए आभारब्लॉ.ललित शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.com