tag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post4796772051077823091..comments2023-12-30T03:15:36.067+05:30Comments on अजित गुप्ता का कोना: पातीअजित गुप्ता का कोनाhttp://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-80595419216646127502009-01-29T23:09:00.000+05:302009-01-29T23:09:00.000+05:30मार्मिक अभिव्यक्ति..साधुवाद.मार्मिक अभिव्यक्ति..साधुवाद.Divya Narmadahttps://www.blogger.com/profile/13664031006179956497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-77224224658001443752009-01-08T08:36:00.000+05:302009-01-08T08:36:00.000+05:30मेरे कमरे की टेबल कीबंद दराज से स्याही लेनाजो बचपन...<B>मेरे कमरे की टेबल की<BR/>बंद दराज से स्याही लेना<BR/>जो बचपन में तुमने पेन दिया था<BR/>उस से पाती को रंगना<BR/>जहाँ छूट गया मेरा बचपन<BR/>उस कमरे में खत को लिखना<BR/>यहाँ बनाकर उन यादों का कमरा<BR/>छूट गए घर में रहने की चाहत जागी!</B><BR/><BR/>अजित जी,<BR/><BR/>आपका ब्लॉग देखकर बहुत अच्छा लगा. आप जैसे दिग्गजों का नयी तकनीक से समन्वय हो - इसमें हिन्दी भाषा का भला ही होना है! इस बहाने आपको प्रिंट में न पढ़ सकने वाले भी आपकी रचनाओं तक पहुँच सकेंगे.<BR/><BR/>शुभकामनाओं सहित<BR/>~ <A HREF="http://pittpat.blogspot.com" REL="nofollow">अनुराग शर्मा</A>Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-86155787666627269262009-01-06T16:11:00.000+05:302009-01-06T16:11:00.000+05:30अजित जी,आपको ब्लॊग आरम्भ करने करने पर शुभकामनाएँ।ल...अजित जी,<BR/>आपको ब्लॊग आरम्भ करने करने पर शुभकामनाएँ।<BR/>लिखती तो आप बढ़िया हैं ही, सो उसे दुहराना ही कहा जाएगा, यदि कुछ कहूँ तो।<BR/> ब्लॊग को आपने दोनों संकलकों (चिट्ठाजगत व ब्लॊगवाणी) पर जोड़ ही लिया होगा, अन्यथा तुरन्त जोड़ लें।Kavita Vachaknaveehttps://www.blogger.com/profile/02037762229926074760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-65491968586717098912009-01-05T23:19:00.000+05:302009-01-05T23:19:00.000+05:30dil ko choo gayi aapki kavitaa...sach....!!dil ko choo gayi aapki kavitaa...sach....!!राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ )https://www.blogger.com/profile/07142399482899589367noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-74527327963841838112009-01-05T22:31:00.000+05:302009-01-05T22:31:00.000+05:30मर्मस्पर्शी कविता। धन्यवाद।मर्मस्पर्शी कविता। धन्यवाद।Unknownhttps://www.blogger.com/profile/08970897490275515944noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-53480654967409598542009-01-05T21:23:00.000+05:302009-01-05T21:23:00.000+05:30नववर्ष् की शुभकामनाओं के साथ नये ब्लोग की बधाई !मा...नववर्ष् की शुभकामनाओं के साथ <BR/>नये ब्लोग की बधाई !<BR/>माटी की खुशबू हो या हो ममता की<BR/>बेटा खत से छू लेगा ममता मां के आंचल की <BR/>वात्सल्य भरी विरह वेदना,तड़प मां की <BR/>अजित जी के शब्दों में गहराई सारे जहां की<BR/>कलम से जोड्कर भाव अपने<BR/>ये कौनसा समंदर बनाया है<BR/>बूंद-बूंद की अभिव्यक्ति ने <BR/>सुंदर रचना संसार बनाया है<BR/>कविता,गज़ल और शेर के लिए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।<BR/>मेरे द्वारा संपादित पत्रिका देखें<BR/>www.zindagilive08.blogspot.com<BR/>आर्ट के लिए देखें<BR/>www.chitrasansar.blogspot.comरचना गौड़ ’भारती’https://www.blogger.com/profile/14295502379920849897noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-16346123991459842052009-01-05T21:01:00.000+05:302009-01-05T21:01:00.000+05:30मेरे कमरे की टेबल कीबंद दराज से स्याही लेनाजो बचपन...मेरे कमरे की टेबल की<BR/>बंद दराज से स्याही लेना<BR/>जो बचपन में तुमने पेन दिया था<BR/>उस से पाती को रंगना<BR/>जहाँ छूट गया मेरा बचपन<BR/>उस कमरे में खत को लिखन<BR/>*<BR/>बहुत ही भावपूर्ण पंक्तियां, बधाई ।<BR/>सादर,<BR/>vinayVinaykant Joshihttps://www.blogger.com/profile/05111242447033341492noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-23336620458632804542009-01-05T20:55:00.000+05:302009-01-05T20:55:00.000+05:30This comment has been removed by the author.Vinaykant Joshihttps://www.blogger.com/profile/05111242447033341492noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-19292010037249350192009-01-05T14:46:00.000+05:302009-01-05T14:46:00.000+05:30डॉ. गुप्ता,अँगुली के पोरों से बाँध कलम कोशब्दों से...डॉ. गुप्ता,<BR/><BR/>अँगुली के पोरों से बाँध कलम को<BR/>शब्दों से झरती ममता को<BR/>छूने की मंशा चाही।<BR/><BR/>बहुत ही सुन्दर भावाभिव्यक्ति है. एक मर्मस्पर्शी रचना के लिये बधाईयाँ.<BR/><BR/>मुकेश कुमार तिवारीमुकेश कुमार तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/04868053728201470542noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-24076551818580548832009-01-05T13:12:00.000+05:302009-01-05T13:12:00.000+05:30कभी नहीं कर सकते वो, फोन और ई-मेल.पाती के संग है ज...कभी नहीं कर सकते वो, फोन और ई-मेल.<BR/>पाती के संग है जुङा, जो भावों का खेल.<BR/>भावों का शुभ मेल,हस्त-लिपि का वह जादू.<BR/>बार-बार पढना और खोना दिल का काबू.<BR/>कह साधक यह अजित विधा बस वही समझते.<BR/>फोन और ई-मेल वह, कभी नहीं कर सकते.Unknownhttps://www.blogger.com/profile/07457658874643385610noreply@blogger.com