tag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post330501568004552654..comments2023-12-30T03:15:36.067+05:30Comments on अजित गुप्ता का कोना: यादों के भँवर जब बनते हैं तो शब्द कहाँ-कहाँ टकराते हैं? - अजित गुप्ताअजित गुप्ता का कोनाhttp://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comBlogger42125tag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-25374079952436053842010-12-25T17:07:14.269+05:302010-12-25T17:07:14.269+05:30शब्दों और भावों के संस्मरणीय चतुर शिल्प के भंवर म...शब्दों और भावों के संस्मरणीय चतुर शिल्प के भंवर में उलझा ही दिया आपनेगिरधारी खंकरियालhttps://www.blogger.com/profile/07381956923897436315noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-90059385046823134582010-12-23T19:09:56.091+05:302010-12-23T19:09:56.091+05:30बहुत अच्छी पोस्ट है... मन को छू लेने वाली
बहुत देर...बहुत अच्छी पोस्ट है... मन को छू लेने वाली<br />बहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ..संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-86680376087348682262010-12-23T16:33:25.632+05:302010-12-23T16:33:25.632+05:30यादों के भंवर में डूबती उतराती ज़िन्दगी पर मर्मस्प...यादों के भंवर में डूबती उतराती ज़िन्दगी पर मर्मस्पर्शी लेख हेतु बधाई।Dr (Miss) Sharad Singhhttps://www.blogger.com/profile/00238358286364572931noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-13311387243228431862010-12-21T16:19:51.926+05:302010-12-21T16:19:51.926+05:30बहुत बढ़िया भावपूर्ण अभिव्यक्ति... आभारबहुत बढ़िया भावपूर्ण अभिव्यक्ति... आभारसमयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-84018222201718187512010-12-21T15:15:23.835+05:302010-12-21T15:15:23.835+05:30बहुत ही अच्छा लेख ....समय के साथ सबकुछ बदल जाता है...बहुत ही अच्छा लेख ....समय के साथ सबकुछ बदल जाता है बस रह जाती है ये यादें ...मंजुलाhttps://www.blogger.com/profile/10884573161296513745noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-5912134794179855862010-12-21T15:14:47.734+05:302010-12-21T15:14:47.734+05:30This comment has been removed by the author.मंजुलाhttps://www.blogger.com/profile/10884573161296513745noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-84276087987133834122010-12-21T12:34:52.893+05:302010-12-21T12:34:52.893+05:30अजित जी, आज दुबारा पढी आपकी पोस्ट और फिर कमेंट कि...अजित जी, आज दुबारा पढी आपकी पोस्ट और फिर कमेंट किया बिना न रहा, कारण मुझे भी सहसा अपना बचपन याद आ गया।<br /><br />---------<br /><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">आपका सुनहरा भविष्यफल, सिर्फ आपके लिए। </a> <br /><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">खूबसूरत क्लियोपेट्रा के बारे में आप क्या जानते हैं?</a>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-8712494140035773412010-12-21T12:13:08.997+05:302010-12-21T12:13:08.997+05:30एक ज़रूरी पोस्ट
आभार अच्छी लगी पोस्ट
बोलने का अधिक...एक ज़रूरी पोस्ट<br />आभार अच्छी लगी पोस्ट<br /><a href="http://sanskaardhani.blogspot.com/2010/12/blog-post_20.html//" rel="nofollow"> बोलने का अधिकार बनाम मेरा गधा, और मैं.......!!</a><br /><a href="http://girishbilloremukul.blogspot.com/" rel="nofollow"> बोलने का अधिकार बनाम मेरा गधा, और मैं.......!!</a>बाल भवन जबलपुर https://www.blogger.com/profile/04796771677227862796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-28550393451548893822010-12-21T10:22:46.205+05:302010-12-21T10:22:46.205+05:30यादें तो बस सच मे ही भंवर की तरह होती हैं। सब कुछ ...यादें तो बस सच मे ही भंवर की तरह होती हैं। सब कुछ बदल गया है।<br />खलायें रोज देती हैं सदा बीते हुये कल को<br />यही माज़ी तो बस दिल पर हमेशा वार करता है। \ लगता है ये समाज मे बदलाव एक दम से नई टेक्नालोजी से ही आया है। आज बच्चे बडों की नही बल्कि बडों को बच्चों की बात सुननी माननी पडती है। दिल की कशमकश बहुत सुन्दर शब्दों मे ब्यां की है शुभकामनायें।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-36952204696049718992010-12-21T10:22:25.691+05:302010-12-21T10:22:25.691+05:30आप सभी ने पोस्ट को पसन्द किया और अपना अमूल्य सम...आप सभी ने पोस्ट को पसन्द किया और अपना अमूल्य समय दिया इसके लिए आभार।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-69733232651855932692010-12-20T21:51:04.596+05:302010-12-20T21:51:04.596+05:30पहली बार आई हूँ आपके ब्लॉग पर. यादों का इतना ख़ूबस...पहली बार आई हूँ आपके ब्लॉग पर. यादों का इतना ख़ूबसूरत चित्रण देखने को मिला. अब तो आना लगे रहेगा.वन्दना महतो ! (Bandana Mahto)https://www.blogger.com/profile/16009745507164533185noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-1548818830736781212010-12-19T22:08:00.986+05:302010-12-19T22:08:00.986+05:30शब्द विन्यास एवं भाषा प्रवाह बेजोड़ ।शब्द विन्यास एवं भाषा प्रवाह बेजोड़ ।अरुणेश मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/14110290381536011014noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-19447123104219135522010-12-19T21:56:15.639+05:302010-12-19T21:56:15.639+05:30yaado me kho gaya...sundar rachnayaado me kho gaya...sundar rachnaEr. सत्यम शिवमhttps://www.blogger.com/profile/07411604332624090694noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-67344867446765736082010-12-19T19:26:06.121+05:302010-12-19T19:26:06.121+05:30हाय! कहां गया मेरा बचपन:)हाय! कहां गया मेरा बचपन:)चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-66412857792282732632010-12-19T13:32:55.165+05:302010-12-19T13:32:55.165+05:30मन को छू गयी आपकी पोस्ट ... वो दिन अब लौट कर आने ब...मन को छू गयी आपकी पोस्ट ... वो दिन अब लौट कर आने बहुत मुश्किल हैं ... अगर किरदार बदल कर हम बड़े हो जाएँ तो भी वो दिन नहीं वापस आने वाले ... बस उनकी याद ही आ सकती है ....दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-69114046240502783312010-12-19T13:31:31.534+05:302010-12-19T13:31:31.534+05:30.
आपने बचपन की यादों को ताजा कर दिया। माता-पित....<br /><br />आपने बचपन की यादों को ताजा कर दिया। माता-पिता की डांट खाना तो एक वरदान की तरह है। हाँ , इसकी कीमत तब समझ आती है जब कोई डांटने वाला ही नहीं होता।<br /><br />और मूंगफली की क्या खूब याद दिलाई। भारत में जाड़ों की नर्म धुप और धुप में बैठकर मूगफली और अमरुद खाना नमक के साथ॥ यहाँ थाईलैंड में तो जाड़ा होता ही नहीं। ३५ डिग्री साल भर।<br /><br />भावुक कर दिया इस आलेख ने ।<br />आभार । <br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-81041207265776441672010-12-19T12:59:24.398+05:302010-12-19T12:59:24.398+05:30यादें हमेशा मन को गुदगुदाती हैं। अच्छी हो या बुरी...यादें हमेशा मन को गुदगुदाती हैं। अच्छी हो या बुरी, हर यादों से कुछ न कुछ सीखने मिलता है। यादों के झरोखों को खोलकर आपने न सिर्फ अपने को तरोताजा किया है बल्कि इसे पढने वाले हर पाठक को मन तरोताजा हुआ होगा ऐसा लगता है। एक और सराहनीय पोस्ट के लिए बधाई हो।Atul Shrivastavahttps://www.blogger.com/profile/02230138510255260638noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-13372610663505593672010-12-19T11:23:50.458+05:302010-12-19T11:23:50.458+05:30आपका ब्लॉग जोड़ लिया है.आपका ब्लॉग जोड़ लिया है.हिंदीब्लॉगजगतhttps://www.blogger.com/profile/06938620761555382194noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-53787422753454231852010-12-19T08:22:28.795+05:302010-12-19T08:22:28.795+05:30आपकी यह पोस्ट पढ़ कर हम भी भँवर में फँस गए - और ए...आपकी यह पोस्ट पढ़ कर हम भी भँवर में फँस गए - और एक मधुर उदासी मन को सींच गई .प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-25372108347163884152010-12-18T22:28:00.086+05:302010-12-18T22:28:00.086+05:30यादों के भँवर में तो शब्द अपनी दिशा खो देते हैं।यादों के भँवर में तो शब्द अपनी दिशा खो देते हैं।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-35239478899375253362010-12-18T21:59:05.770+05:302010-12-18T21:59:05.770+05:30जीवन सागर में रे भैया ...जीवन सागर में रे भैया ...Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-29233221721286231962010-12-18T21:48:31.834+05:302010-12-18T21:48:31.834+05:30स्मृति मन का विषय है। अतीत मोह दुःखद ही क्यों न हो...स्मृति मन का विषय है। अतीत मोह दुःखद ही क्यों न हो उसकी स्मृतियां मधुर होती हैं। मधुर स्मृति किसी संगीत की भांति जीवन के तार-तार में व्याप्त रहती है।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-83791843126327583772010-12-18T20:58:21.393+05:302010-12-18T20:58:21.393+05:30यही यादें तो संस्मरण बन जाती है!
बहुत सुन्दर पोस्ट...यही यादें तो संस्मरण बन जाती है!<br />बहुत सुन्दर पोस्ट!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-33609074616649500512010-12-18T20:35:56.435+05:302010-12-18T20:35:56.435+05:30वक्त बहुत बदल गया है ..आपकी यादों का प्रस्तुतीकरण ...वक्त बहुत बदल गया है ..आपकी यादों का प्रस्तुतीकरण सुन्दर लगा.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-53297617549343970802010-12-18T20:25:29.292+05:302010-12-18T20:25:29.292+05:30सच अजितजी
ये भवर में डूबना भी कितना सुखद है शायद ...सच अजितजी<br />ये भवर में डूबना भी कितना सुखद है शायद पीढ़ीदर पीढ़ी ऐसा ही चलता है हमसे बड़े बुजुर्ग भी अपनी मीठी यादो से हमे रूबरू करवाते रहे है |लेकिन आने वाली पीढ़ी ?संचार माध्यमो से इतने पास होते हुए भी इतने दूर क्यों है ?ईस प्रश्न का उत्तर खोजती हुई अपनी सी लगी यः आपकी पोस्ट |शोभना चौरेhttps://www.blogger.com/profile/03043712108344046108noreply@blogger.com