tag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post8742614088175437205..comments2023-12-30T03:15:36.067+05:30Comments on अजित गुप्ता का कोना: रेल यात्रा में अपने सामान को छोड़कर जाने से मचा कोहराम - अजित गुप्ताअजित गुप्ता का कोनाhttp://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comBlogger32125tag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-72648627206655789102011-08-09T22:08:45.399+05:302011-08-09T22:08:45.399+05:30अब तो अपने साए से भी लोग घबराने लगे हैं :(अब तो अपने साए से भी लोग घबराने लगे हैं :(चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-13556897077233202252011-08-07T23:32:30.293+05:302011-08-07T23:32:30.293+05:30अच्छी सीख मिली आपकी पोस्ट से .....
विवेक जैन vivj...अच्छी सीख मिली आपकी पोस्ट से .....<br /><a href="http://vivj2000.blogspot.com/" rel="nofollow"><b> विवेक जैन </b><i>vivj2000.blogspot.com</i></a>Vivek Jainhttps://www.blogger.com/profile/06451362299284545765noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-34482720312536095192011-08-07T17:24:50.074+05:302011-08-07T17:24:50.074+05:30चलिए मान लेते है उसमें कुछ नहीं था | लेकिन एक जागर...चलिए मान लेते है उसमें कुछ नहीं था | लेकिन एक जागरूक यात्री के कारण कुछ चेतना तो जगी |<br />पुलिस का २एसी में बसूली का हक़ नहीं है :)Sunil Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10008214961660110536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-50882435931685156112011-08-06T23:10:41.487+05:302011-08-06T23:10:41.487+05:30हम कहीं भी सुरक्षित नहीं रह गए हैं. हल्ला ज़रूर मच...हम कहीं भी सुरक्षित नहीं रह गए हैं. हल्ला ज़रूर मच गया पर यदि वास्तव में उस बैग में कुछ होता तो ? <br />एक बार बनारस रेलवे स्टेशन के प्लेटफ़ार्म पर मैं ट्रेन की प्रतीक्षा में था.यह तब की बात है जब खालिस्तान के कारण पूरे देश में असुरक्षा का वातावरण बन गया था. बेंच की अंतिम सीट पर पुराने पेंट का सिला हुआ एक थैला रखा था . थोड़ी देर बाद एक पुलिस अंकल ने आकर थैले के बारे में मुझसे और अन्य लोगों से पूछ-ताछ की. फिर वह चला गया. थोड़ी देर बाद तीन-चार पुलिस अंकल १७-१८ वर्ष के एक लडके को पकड़ कर पीटते हुए ले आये और उससे थैले का सामान निकालने को कहा. थैले का सामान निकलते ही सब लोग दंग रह गए. उसमें पुराने कपड़ों के नीचे विदेशी घड़ियाँ और कैमरे भरे थे.बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरनाhttps://www.blogger.com/profile/11751508655295186269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-19532562006627218562011-08-06T21:30:57.534+05:302011-08-06T21:30:57.534+05:30काम चलाऊ पोस्ट तो बिलकुल नही है यह.हमें तो लगा हम ...काम चलाऊ पोस्ट तो बिलकुल नही है यह.हमें तो लगा हम भी कोच में सवार हैं और घटना के चश्मदीद गवाह हैं...और यह आपकी किस्सागोई की बदौलत ही है!!SKThttps://www.blogger.com/profile/10729740101109115803noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-54576681637397881422011-08-06T20:33:50.277+05:302011-08-06T20:33:50.277+05:30आजकल तो लावारिस सामान ही सर्वाधिक सुरक्षित है :) क...आजकल तो लावारिस सामान ही सर्वाधिक सुरक्षित है :) किसी को कुछ बता कर जाने की भी ज़रूरत नहीं.Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-74692433375664889932011-08-06T10:09:45.345+05:302011-08-06T10:09:45.345+05:30अकेले यात्रा पर हों तो वजनी बैग के साथ समस्या हो ह...अकेले यात्रा पर हों तो वजनी बैग के साथ समस्या हो ही जाती है.<br /><br />एक बार ऐसा ही वाकया मेरे साथ हुआ. <br /><br />एक यात्रा में एक सहयात्री से परिचय हो गया. हम दोनों एक स्टेशन पर उतरे और आगे जाने के लिए अपनी अपनी ट्रेन का इंतजार करने लगे. <br /><br />इस बीच मैंने सहयात्री से कहा कि मेरे बैग को देखना मैं टॉयलेट से आता हूं. और जब मैं वापस आया तो पाया कि सहयात्री तो ग़ायब था, परंतु बैग को चार पुलिसिये घेर कर खड़े थे.<br /><br />दरअसल सहयात्री की ट्रेन आ गई थी.रवि रतलामीhttps://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-59776117040079572852011-08-05T23:57:57.309+05:302011-08-05T23:57:57.309+05:30सही कहा आपने...
मई मानता हूँ कि हमे ऐसी हरकतें नही...सही कहा आपने...<br />मई मानता हूँ कि हमे ऐसी हरकतें नहीं करनी चाहिए जिससे दूसरों को कोई परेशानी हो|<br />ऐसा ही एक किस्सा मेरे साथ भी घटित हो चूका है|<br />करीब दो वर्ष पहले मैं अपने दो दोस्तों के साथ, वैष्णो देवी व श्रीनगर की यात्रा पर गया था| रात करीब १२ बजे हम कटरा पहुंचे| मेरे एक दोस्त के पैर में कुछ चोट आ जाने की वजह से वह उस दिन ठीक से चल नहीं पा रहा था| अत: सारा सामन हम बाकी दो दोस्तों ने उठा लिया| उसे केवल एक छोटा सा बैग थमा दिया| किन्तु वह भी तो सरदार ठहरा न| पता नहीं कैसे उसने वह बैग कटरा के एक चौराहे पर छोड़ दिया| होटल जा कर देखा तो बैग नहीं था| हम दोनों बाहर बैग ढूँढने निकले कि शायद चौराहे पर कहीं रख दिया हो| जाकर देखा तो वहां बम विरोधी दस्ता खोजी कुत्तों के साथ आ पहुंचा था| ऐसी संवेदनशील जगह पर ऐसा ही होता है| पूछताछ करने पर पुलिस ने हमसे कुछ सवाल किये| जब पुलिस को विश्वास हो गया कि बैग हमारा ही है तो एक पुलिस अधिकारी ने हमें हड़का दिया| उसने गरज कर कहा कि तुम्हारी छोटी सी लापरवाही की वजह से यहाँ हमे कितनी परेशानी हुई?<br /><br />अत: अब हर जगह इसका ध्यान रखता हूँ|दिवसhttps://www.blogger.com/profile/07981168953019617780noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-84681631226698672862011-08-05T21:16:57.588+05:302011-08-05T21:16:57.588+05:30ट्रेन की यात्रा हमेशा ही यादगार साबित होती है ! हम...ट्रेन की यात्रा हमेशा ही यादगार साबित होती है ! हम तो इसके आदी है ! बश सतर्क और सावधानी जरुरी है ! ऐसी परिस्थितियों में आप सभी को ट्रेन गार्ड या लोको पायलट की मदद जल्द मिल सकती है !आजमा के देंखे !G.N.SHAWhttps://www.blogger.com/profile/03835040561016332975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-87413718853077836862011-08-05T21:03:03.595+05:302011-08-05T21:03:03.595+05:30हाँ .यही कह जातीं -मेरा सामान यहाँ रक्खा है,ज़रा ...हाँ .यही कह जातीं -मेरा सामान यहाँ रक्खा है,ज़रा जा रही हूँ .<br />सहयात्रियों को अपनी खोज-खबर तो दे कर जाना चाहिये था .प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-68935812658531772912011-08-05T17:26:40.521+05:302011-08-05T17:26:40.521+05:30हर समय तम से कम इस बात की सावधानी तो रखी जाये।हर समय तम से कम इस बात की सावधानी तो रखी जाये।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-22776237918261337802011-08-05T16:15:41.028+05:302011-08-05T16:15:41.028+05:30ऐसा ही एक बार तब हुआ जब मैं गोरखपुर से लखनऊ जा रहा...ऐसा ही एक बार तब हुआ जब मैं गोरखपुर से लखनऊ जा रहा था। भीड होने के कारण मैंने आपातकालीन खिडकी से अपना बैग अन्दर पकडा दिया। खिडकी के पास वाले बोले कि हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं होगी। मैंने कहा कि यार, तुम्हारी कोई जिम्मेदारी नहीं है, बैग को जहां मन करे, डाल दो, लखनऊ पहुंचने पर मैं खुद ढूंढ लूंगा। और मैं दरवाजे पर लटक लिया।<br />थोडी देर में डिब्बे में शोर मचा कि कोई एक बैग छोड गया है, बैग छोडकर पता नहीं कहां चला गया। दरवाजा आपातकालीन खिडकी से दूर होता है, मेरे पास खबर तब आई, जब कुछ लोग दरवाजे के ही रास्ते बैग को बाहर फेंकने की तैयारी कर रहे थे। मैंने उन्हें बताया कि यह तो मेरा बैग है, तो वे मुझ पर ही बरस पडे।<br />तो जी, सफर में यह होता है। आतंक की घटनाओं के कारण सभी लोग शक करते ही हैं।नीरज मुसाफ़िरhttps://www.blogger.com/profile/10478684386833631758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-45440951640022619932011-08-05T15:45:39.133+05:302011-08-05T15:45:39.133+05:30बहुत अच्छा लेख ..
बधाई
आभार
विजय
कृपया मेरी न...बहुत अच्छा लेख .. <br />बधाई <br /><br />आभार<br /><br />विजय<br /><br />कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.htmlvijay kumar sappattihttps://www.blogger.com/profile/06924893340980797554noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-82649946163360508972011-08-05T13:36:44.556+05:302011-08-05T13:36:44.556+05:30बहुत अच्छी सलाह दी है आपने अपने इस संस्मरण के द्वा...बहुत अच्छी सलाह दी है आपने अपने इस संस्मरण के द्वारा। निश्चित रूप से भविष्य में इस बात का ख्याल रखा जाएगा कि जाने से पूर्व अपने सहयात्री को अपने सामानों के बारे में सूचित करके जाया करूं।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-16938494280272119642011-08-05T13:02:53.867+05:302011-08-05T13:02:53.867+05:30soch ki baat hai...darr ab soch me bas gaya hai......soch ki baat hai...darr ab soch me bas gaya hai...<br /><br /><br />http://teri-galatfahmi.blogspot.com/Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-90683958529868697082011-08-05T10:54:53.901+05:302011-08-05T10:54:53.901+05:30.
राम भरोसे चल रहे देश में हमारी "सुरक्षित ....<br /><br />राम भरोसे चल रहे देश में हमारी "सुरक्षित यात्रा " भी राम भरोसे ही रहती है . जिन्दा बचे तो अगली यात्रा होगी अन्यथा अनंत-यात्रा का टिकट कट जाएगा ! <br /><br />सावधानी बेहद जरूरी है . ऐसी स्थिति उत्पन्न होने पर सहयात्रियों की सम्मति से लावारिस वस्तु उठाकर फेंक देनी चाहिए ! टिकट-कलेक्टर की कारवाई तो aam janta की जान जाने के १० वर्षों बाद तक चलती रहेगी ! <br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-79787700182311115792011-08-05T10:42:05.927+05:302011-08-05T10:42:05.927+05:30खुशदीपजी, उस महिला के बारे में भी लिखने का मन है। ...खुशदीपजी, उस महिला के बारे में भी लिखने का मन है। शायद अगली कड़ी में वो ही हो। शिखा जी का कार्यक्रम पता लगा क्या?अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-5326155646282614902011-08-05T10:40:55.311+05:302011-08-05T10:40:55.311+05:30आजकल के हालातों को देखते हुए सावधानी तो बरतनी ही प...आजकल के हालातों को देखते हुए सावधानी तो बरतनी ही पड़ती है ..लाबारिस सामान को देखकर सभी डरते है..अच्छी शिक्षा मिली हम सब को धन्यबाद...Maheshwari kanerihttps://www.blogger.com/profile/07497968987033633340noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-31639696929804366222011-08-05T09:28:26.269+05:302011-08-05T09:28:26.269+05:30अजित जी,
उस विदेशी मैडम ने बाद में क्या किया जो दि...अजित जी,<br />उस विदेशी मैडम ने बाद में क्या किया जो दिल्ली से वाराणसी जाते वक्त आपके कोच में पैर पटक रही थी और एजेंट को बार-बार फोन कर हड़का रही थी कि साइड वाली और परिवार के सदस्यों को अलग-अलग सीट क्यों दी...<br /><br />आशा है आप की वाराणसी यात्रा सुखद रही होगी...<br /><br />जय हिंद...Khushdeep Sehgalhttps://www.blogger.com/profile/14584664575155747243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-45021477172142695222011-08-05T06:57:22.050+05:302011-08-05T06:57:22.050+05:30मुसीबत में हम सभी को एक होने की आदत है नहीं तो स्...मुसीबत में हम सभी को एक होने की आदत है नहीं तो स्वयं के खोल से बाहर नहीं आते हैं हम। देश पर हमला होता है तो हम सब एक हो जाते हैं नहीं तो वापस से अपने-अपने कुनबे का राग गाने लगते हैं।<br />@ अच्छा तो इसी कारण सरकार आतंकियों से मिली रहती है ... ... प्रशासन/पुलिस भी समाज में मुसीबत को आमंत्रित करते रहते हैं कि देश में एकता बरकरार रहे .. आपस में प्रेम बना रहे आमजनता का . :)प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-82230458602716314192011-08-05T00:03:18.203+05:302011-08-05T00:03:18.203+05:30सावधानी ज़रुरी है ... वैसे आज कल सामान सुरक्षित रह...सावधानी ज़रुरी है ... वैसे आज कल सामान सुरक्षित रह जाता है वरना इतनी देर तक यूँ ही लावारिस स पड़ा सामान तो कोई भी उठा कर चल पड़े ..<br /><br />विप्पति में ही सही पर एक जुट तो होते हैं लोंग ...संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-62270871353118876352011-08-04T22:38:35.849+05:302011-08-04T22:38:35.849+05:30सतर्क होना तो जरुरी है क्योकि किसी के चेहरे पर नही...सतर्क होना तो जरुरी है क्योकि किसी के चेहरे पर नहीं लिखा होता है की कौन क्या है | पर अक्सर अकेले जाने वाले भी जब अपनी सीट छोड़ कर जाते है तो पास वाले को कुछ ना कुछ बता कर जाते है की फला सीट मेरी है या ये समान मेरा है ध्यान दीजियेगा मै अभी आ रही हूं |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-28426521075791329232011-08-04T21:35:25.777+05:302011-08-04T21:35:25.777+05:30अगर हम अकेले हैं, और साथ में सामान है तो उसे छोड़ क...अगर हम अकेले हैं, और साथ में सामान है तो उसे छोड़ कर जाना समझ में आता ही नहीं है....<br />अगर साथ में कोई व्यक्ति है (जो सामान के पास हो ) तो हम दूसरे कोच या कहीं भी जाएँ कोई समस्या ही नहीं होगी<br />लोजिकल बात तो यही है ऐसी परिस्थिति (जो पोस्ट में बतायी है ) में सामान्य आदमी शक करने पर मजबूर होगा हीएक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-81468323568051606432011-08-04T21:20:11.589+05:302011-08-04T21:20:11.589+05:30आजकल इस तरह की घटनाएं इतनी ज्यादा होने लगी हैं...स...आजकल इस तरह की घटनाएं इतनी ज्यादा होने लगी हैं...सावधान रहना जरूरी है...<br /><br />मुसीबत के वक़्त एक होनेवाली बात बहुत सही कही है...मुंबई में एक बिल्डिंग में रहते हुए भी लोग महीनो नहीं मिलते लेकिन किसी तरह की...या किसी पर भी कोई मुसीबत आई तो सब एक जुट हो कर उसके समाधान में जुट जाते हैं. ( luckily मेरे अनुभव ऐसे ही हैं)rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-19362568669516970592011-08-04T21:15:22.481+05:302011-08-04T21:15:22.481+05:30कुछ लोग वास्तव में बड़े मूर्ख होते हैं । सामान छोड़...कुछ लोग वास्तव में बड़े मूर्ख होते हैं । सामान छोड़कर गई और उल्टा अकड़ भी रही है ।<br />आजकल सावधानी बरतना तो आवश्यक है ।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.com