tag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post8668739957212855650..comments2023-12-30T03:15:36.067+05:30Comments on अजित गुप्ता का कोना: जीवन के दो मूल शब्द - अपमान और सम्मान (insult & respect)अजित गुप्ता का कोनाhttp://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-30329896652802903422013-01-26T10:28:54.995+05:302013-01-26T10:28:54.995+05:30शास्त्री जी, बेहद खूबसूरत रचना है। आभार।शास्त्री जी, बेहद खूबसूरत रचना है। आभार।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-9883797275731719162013-01-25T17:21:31.424+05:302013-01-25T17:21:31.424+05:30आशा और निराशा के क्षण,
पग-पग पर मिलते हैं।
काँटों...आशा और निराशा के क्षण,<br />पग-पग पर मिलते हैं।<br /><br />काँटों की पहरेदारी में,<br />ही गुलाब खिलते हैं।<br /><br />पतझड़ और बसन्त कभी,<br />हरियाली आती है।<br />सर्दी-गर्मी सहने का,<br />सन्देश सिखाती है।<br />यश और अपयश साथ-साथ,<br />दायें-बाये चलते हैं।<br />काँटो की पहरेदारी में,<br />ही गुलाब खिलते हैं।<br /><br />जीवन कभी कठोर कठिन,<br />और कभी सरल सा है।<br />भोजन अमृततुल्य कभी,<br />तो कभी गरल सा है।<br />सागर के खारे जल में,<br />ही मोती पलते हैं।<br />काँटो की पहरेदारी में,<br />ही गुलाब खिलते हैं।डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-67709735231653692642013-01-24T17:49:56.405+05:302013-01-24T17:49:56.405+05:30धन्यवाद जीधन्यवाद जीअजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-8575622487605214842013-01-24T16:41:12.603+05:302013-01-24T16:41:12.603+05:30आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति शुक्रवार के चर्चा मंच पर... आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति शुक्रवार के <a href="http://charchamanch.blogspot.in/" rel="nofollow">चर्चा मंच</a> पर ।। रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.com