tag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post8413850032351382536..comments2023-12-30T03:15:36.067+05:30Comments on अजित गुप्ता का कोना: सेफू! तू भी अपनी माँ की बदौलत हैअजित गुप्ता का कोनाhttp://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-80952625016886030322017-07-21T14:18:03.575+05:302017-07-21T14:18:03.575+05:30रिष्तों का दिखावा और इसकी कलई खोलता लेख ... बेहद ...रिष्तों का दिखावा और इसकी कलई खोलता लेख ... बेहद उम्दा तरीके से की टिप्पणी है ... हमें भी अपने भीतर झाांकना चाहिए बदलने के लिए .. हम सभीको । Alaknanda Singhhttps://www.blogger.com/profile/15279923300617808324noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-62098037998189660592017-07-20T14:43:13.496+05:302017-07-20T14:43:13.496+05:30वाकई आजकल शादी के समारोहों में बहुत दिखावा आ गया ह...वाकई आजकल शादी के समारोहों में बहुत दिखावा आ गया है..समसामयिक पोस्ट !Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-21871490648958918932017-07-20T11:39:58.605+05:302017-07-20T11:39:58.605+05:30किसी फंक्शन में पारदर्शिता नहीं रह गई है, शादियाँ ...किसी फंक्शन में पारदर्शिता नहीं रह गई है, शादियाँ पारिवारिक सामारोह हैं,परिचितों को अलग कर परिवार में समारोह सीमित करें तो इतना अटपटा नहीं लगेगा शायद, और चूंकि परिवार में भी हर कोई हर समय नहीं मिल सकता तो ये समारोह आपस में जोड़े रखने में सहायक हो सकते हैं ...लेकिन खास बात ये कि तू माँ या बाप की बदौलत है ,के बजाए छोटी सी अपनी पहचान ही व्यक्ति के लिए बहुत मायने रखती है ये समझना होगा सबको ...Archana Chaojihttps://www.blogger.com/profile/16725177194204665316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-62116710323073442082017-07-20T09:19:16.809+05:302017-07-20T09:19:16.809+05:30शिखा वार्ष्णेय - एक ही शहर की शादी में तो लिफाफा प...शिखा वार्ष्णेय - एक ही शहर की शादी में तो लिफाफा पकड़ाकर चले आना, सहन हो जाता है लेकिन जब दुसरे शहर में जाते हैं तब बेगैरत की तरह दिखायी देते है, तब लगता है कि क्यों आए?अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-87480686808101134302017-07-20T00:25:34.917+05:302017-07-20T00:25:34.917+05:30अवार्ड फंक्शन तो खैर अब एकदम ही बिके हुए लगते हैं....अवार्ड फंक्शन तो खैर अब एकदम ही बिके हुए लगते हैं. साफ़ नजर आता है कि इस बार का कार्यक्रम किसने स्पोंसर किया है.<br />हाँ शादियों का हाल देखकर मुझे ऐसा लगता है कि अब इन्हें एक सार्वजनिक समारोह की जगह व्यक्तिगत बना देना चाहिए. क्या जरुरत है परिजनों को बुलाने की, इतना खर्चा करने की ? क्योंकि उनकी कोई प्रतिभागिता तो उसमें होती नहीं. आते हैं, लिफाफा पकडाते हैं, खाते हैं और चले जाते हैं. कई बार तो दूल्हा दुल्हन का चेहरा तक देखना नसीब नहीं होता. shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-75682633099879543292017-07-19T21:34:25.178+05:302017-07-19T21:34:25.178+05:30ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " "मैं...ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, <a href="http://bulletinofblog.blogspot.in/2017/07/blog-post_19.html" rel="nofollow"> " "मैं शिव हूँ ..." - ब्लॉग बुलेटिन<br /></a> , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !<br />ब्लॉग बुलेटिनhttps://www.blogger.com/profile/03051559793800406796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-86489484286710767792017-07-19T17:00:31.440+05:302017-07-19T17:00:31.440+05:30सही लिखा आपने, सभी जगह इन छतरियों का ही खेल है. बि...सही लिखा आपने, सभी जगह इन छतरियों का ही खेल है. बिना चतरी फ़िल्म जगत में बिरले ही कोई टिक पाता है.<br />रामराम<br />#हिन्दी_ब्लॉगिंग<br /> ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-28088220073274761302017-07-19T12:36:13.373+05:302017-07-19T12:36:13.373+05:30रोचक और सटीक रोचक और सटीक vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.com