tag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post6432411782691678114..comments2023-12-30T03:15:36.067+05:30Comments on अजित गुप्ता का कोना: पाँच साल की बच्ची के गर्दन पर साँप लिपटा थाअजित गुप्ता का कोनाhttp://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comBlogger30125tag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-9210718343328953672010-04-14T22:21:08.830+05:302010-04-14T22:21:08.830+05:30साँप और मायावती की माला के रूपक पर तो मैं अभी तक ह...साँप और मायावती की माला के रूपक पर तो मैं अभी तक हँस रहा हूँ ।शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-91211496503213528392010-03-24T11:16:11.998+05:302010-03-24T11:16:11.998+05:30mai aapki baat se sehmat hu aur sochti hu shayed y...mai aapki baat se sehmat hu aur sochti hu shayed yahi dar hi karan he jo aaj ham apne padosiyo se bhi baat nahi karte. shahro me to padosi padosi ko nahi jaanta ho sakta he iska karan bhi dar hai...ki kahi vo hamari nizi jindgi k bare me na jaan le...kahi jaan kar vo hame koi nuksaan na pahucha de...<br /><br />aap hi ki baat sahi lagti he...sharing hi is dar ka hal hai.. jitna ham apne bheetar hi ghuse rah jayenge to auro ko kaise jaan payenge...aur apne vikaro ko kaise hata payenge.<br /><br />behtar hai...aap-ham ek dusre ko jane-samjhe...<br /><br />bahud badhiya lekh...badhayi.अनामिका की सदायें ......https://www.blogger.com/profile/08628292381461467192noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-43824584984483780302010-03-23T18:42:28.755+05:302010-03-23T18:42:28.755+05:30हरकीरत जी, यह मेरी भांजी नहीं है। मेरी भांजी के बे...हरकीरत जी, यह मेरी भांजी नहीं है। मेरी भांजी के बेटे का जन्मदिन था और यह लड़की वहाँ मेहमान बनकर आयी थी। उन्होंने जानवरों की थीम पर जन्मदिन मनाया था तो एक सज्जन बहुत सारे साँप, छिपकली, कछुआ आदि लेकर आए थे और बच्चों को उनके बारे में बता भी रहे थे और साँपों को सभी बच्चों और बड़ों के गर्दन पर लिपटा रहे थे।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-7974206505328581082010-03-23T17:19:46.612+05:302010-03-23T17:19:46.612+05:30बहुत ही प्यारी भांजी है आपकी .....गले में सांप ऐ...बहुत ही प्यारी भांजी है आपकी .....गले में सांप ऐसे जैसे मायावती की नोटों की माला हो ......हा....हा....हा.....बहुत खूब ......!!हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-5025861943204811982010-03-23T16:05:40.659+05:302010-03-23T16:05:40.659+05:30रेंगने वाले जीवों खासकर सांप से डर स्वाभाविक है.रेंगने वाले जीवों खासकर सांप से डर स्वाभाविक है.Pawan Kumarhttps://www.blogger.com/profile/08513723264371221324noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-10936691939046968262010-03-23T08:33:27.458+05:302010-03-23T08:33:27.458+05:30आप सभी ने मेरे इस आलेख पर अपने विचार प्रेषित किए इ...आप सभी ने मेरे इस आलेख पर अपने विचार प्रेषित किए इसके लिए आप सभी का आभार। मुझे ऐसा लगता है कि जब मनुष्य प्रकृति से दूर होता है तब उसके मन में अन्य प्राणियों के लिए स्वत: ही डर बस जाता है। इसी प्रकार हमने आपसी सम्बंधों में भी दूरियां बना ली हैं और एक अविश्वास रूपी डर हमारे मध्य पसरता जा रहा है। पुन: सभी का आभार।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-3668213946336815952010-03-22T14:43:33.367+05:302010-03-22T14:43:33.367+05:30जैसे-जैसे हम प्रकृति से दूर होते जा रहे हैं हमारा ...जैसे-जैसे हम प्रकृति से दूर होते जा रहे हैं हमारा डर हम पर हावी हो रहा है। कभी लगता है कि बन्द कमरों में सिमटते जा रहे हमारे जीवन में हम शायद आदमी से भी डरने लगें।<br />बहुत सही आकलन किया आपने...अँधेरे से डरते हैं...कॉकरोच,छिपकिली से डरते हैं...एक दूसरे से डरते हैं.....बाद में अपने आप से डरने लगेंगेrashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-8985403447040309102010-03-22T10:50:29.081+05:302010-03-22T10:50:29.081+05:30छिपकली और साँप से तो मुझे बहुत डर लगता है ....आप...छिपकली और साँप से तो मुझे बहुत डर लगता है ....आपकी पोस्ट कई पहलुओं की पड़ताल करती है. समाज में बहुत कुछ बदल रहा है.<br /><br />__________<br />''शब्द-सृजन की ओर" पर- गौरैया कहाँ से आयेगीKK Yadavhttps://www.blogger.com/profile/05702409969031147177noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-22097503633101924072010-03-22T10:01:40.797+05:302010-03-22T10:01:40.797+05:30ओह्ह मुझे तो साप से बहुत डर लगता है .....आपकी बात ...ओह्ह मुझे तो साप से बहुत डर लगता है .....आपकी बात पूर्णतः सच हैDevhttps://www.blogger.com/profile/05009376638678868909noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-52551916483413299312010-03-21T23:41:14.933+05:302010-03-21T23:41:14.933+05:30ek khubsurat posT ke lie shukriya !ek khubsurat posT ke lie shukriya !TRIPURARIhttps://www.blogger.com/profile/10949468977733466263noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-51603734415200679392010-03-21T23:41:14.050+05:302010-03-21T23:41:14.050+05:30ek khubsurat posT ke lie shukriya !ek khubsurat posT ke lie shukriya !TRIPURARIhttps://www.blogger.com/profile/10949468977733466263noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-18817213464363887582010-03-21T21:08:19.103+05:302010-03-21T21:08:19.103+05:30गांव में हमारे घर एक बहुत ख़तरनाक दिखने वाला भैंसा...गांव में हमारे घर एक बहुत ख़तरनाक दिखने वाला भैंसा था जिसकी सवारी करना हमारे लिए आम बात थी. लेकिन हमारे बच्चे हैं कि मेमने को भी गोद में लेने से डरते हैं.<br /><br />शायद ऐक्सपोज़र की बात है.Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-45200206890835964532010-03-21T15:48:08.490+05:302010-03-21T15:48:08.490+05:30आपकी बात बिलकुल सही है...जिस चीज़ से जितना दूर जाये...आपकी बात बिलकुल सही है...जिस चीज़ से जितना दूर जायेंगे उतना ही डर अधिक लगता है....संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-35967132876661816392010-03-21T13:38:22.346+05:302010-03-21T13:38:22.346+05:30डर सबको लगता है, लेकिन डर से मत डरो...क्योंकि डर क...डर सबको लगता है, लेकिन डर से मत डरो...क्योंकि डर के आगे जीत है...<br /><br />अजित जी, <br />आपने गांव की बात की...आज के शहरी माहौल की बात की...दरअसल आज जिस तरह हम बच्चों का पालन करते हैं, समस्या वही हैं...पहले या गांव में अब भी बच्चे मिट्टी में खेलते-पलते-बढ़ते हैं...वहीं से उनका इम्युन सिस्टम इतना ताकतवर हो जाता है कि बीमारियां उनके पास फटकती भी नहीं...और शहरों में हमारे घरों में क्या होता है...बच्चे को मिट्टी तो दूर पलंग से ही नीचे नहीं उतरने दिया जाता....अभी बच्चा रोना शुरू ही करता है, पूरा परिवार उसे चुप कराने के लिए जुट जाता है...छोटे-छोटे बच्चों को ही हेवी एंटीबायोटिक्स खिलाई जाती हैं...उनका इम्युन सिस्टम मज़बूत हो तो हो कहां से...यही बच्चे काक्रोच, छिपकली से इतना डरते हैं, अगर कहीं सांप दिख जाए तो फिर उनकी हालत अपने आप ही समझ आ सकती है...बच्चों की केयर करना अच्छी बात है, लेकिन कभी कभी उन्हें खुले में भी छोड़ना चाहिए...बच्चों को अपने विवेक से फैसले लेने के लिए प्रेरित करना चाहिए...बड़े होकर यही उनका आत्मविश्वास बढ़ाने में काम आएगा...अगर हर बात पर वो आपके फैसलों से ही चलते रहेंगे तो ये उन्हे गलाकाट प्रतियोगिता के माहौल में दब्बू ही बनाएगा...<br /><br />जय हिंद...Khushdeep Sehgalhttps://www.blogger.com/profile/14584664575155747243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-38744664932339652112010-03-21T13:28:44.038+05:302010-03-21T13:28:44.038+05:30"जैसे-जैसे हम प्रकृति से दूर होते जा रहे हैं ..."जैसे-जैसे हम प्रकृति से दूर होते जा रहे हैं हमारा डर हम पर हावी हो रहा है।"<br /><br />सही है, प्रकृति हमें निडर बनाती है।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09998235662017055457noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-72080587372970760202010-03-21T12:10:11.262+05:302010-03-21T12:10:11.262+05:30aapse sahmat hoon.aapse sahmat hoon.दीपक 'मशाल'https://www.blogger.com/profile/00942644736827727003noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-6588451235587311192010-03-21T08:06:32.022+05:302010-03-21T08:06:32.022+05:30छिपकिली और साँप से तो बाबा मुझे भी डर लगता है .......छिपकिली और साँप से तो बाबा मुझे भी डर लगता है ....<br />लेकिन आपने जो आपस के डर की बात की है उसका एकमात्र कारण है अविश्वास.....भरोसे का न होना..<br />जब तक भरोसा न हो डर तो बना ही रहेगा....इसलिए एक दूसरे पर भरोसा होना ज़रूरी है...और के बात याद रखना आवश्यक है ..जब किसी पर भरोसा किया जाता है तो वो इंसान भरोसा नहीं तोड़ता (ज्यादातर) ...<br />बहुत सुन्दर आलेख ..हमेशा की तरह...स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-61554888557536246382010-03-21T07:45:31.860+05:302010-03-21T07:45:31.860+05:30डर के मनोविज्ञान को खूब समझाया आपने भी ...
हमने मह...डर के मनोविज्ञान को खूब समझाया आपने भी ...<br />हमने महिला और पुरुष के अलग अलग खांचे बना दिया हैं ...<br />डर का असली कारण यही है ...सही कहा ...<br />मगर डर इतना बेवजह भी नहीं होता ...<br />आपकी यह प्रविष्टि सोचने पर मजबूर कर रही है ....!!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-27467016279082305372010-03-21T00:29:59.752+05:302010-03-21T00:29:59.752+05:30प्रतिदिन दिखाई पडनेवाली चीजों से सहज वातावरण बनना ...प्रतिदिन दिखाई पडनेवाली चीजों से सहज वातावरण बनना स्वाभाविक है .. हमलोग अपने घर को सुख सुविधायुक्त बनाते हुए सबसे कन्नी काटते हैं .. यही कारण है उन चीजों से भय के उत्पन्न होने का !!संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-42754350827178691182010-03-20T23:39:29.400+05:302010-03-20T23:39:29.400+05:30बिल्कुल सही कहा है आपने. अविश्वास ही इसका मूल कारण...बिल्कुल सही कहा है आपने. अविश्वास ही इसका मूल कारण है.<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-71531319050645815462010-03-20T23:31:40.631+05:302010-03-20T23:31:40.631+05:30जितना हम अपनी जड़ों से दूर होते जा रहे हैं.. उतना ...जितना हम अपनी जड़ों से दूर होते जा रहे हैं.. उतना ही हमारे बच्चे दुनिया से कट रहे हैं.. ज़ाहिर है, गांव के बच्चों के सामने तो शहर के बच्चे बौने नज़र आते हैं...अबयज़ ख़ानhttps://www.blogger.com/profile/06351699314075950295noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-19824605532446014512010-03-20T22:17:15.923+05:302010-03-20T22:17:15.923+05:30आपकी पोस्ट के सौजन्य से-
टिप्पणीकारों से बहुत कुछ ...आपकी पोस्ट के सौजन्य से-<br />टिप्पणीकारों से बहुत कुछ सीखने को मिला!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-54317983830595992892010-03-20T22:04:11.644+05:302010-03-20T22:04:11.644+05:30सांप से डर नैसर्गिक है.सांप से डर नैसर्गिक है.भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-54003824850385314252010-03-20T20:59:31.350+05:302010-03-20T20:59:31.350+05:30अविश्वास ही इस डर का कारण है।
प्रकृति से तो हम दूर...अविश्वास ही इस डर का कारण है।<br />प्रकृति से तो हम दूर हुए ही जा रहे हैं। तभी तो हँसना भी भूल गए हैं।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-83470248992666536102010-03-20T20:54:07.077+05:302010-03-20T20:54:07.077+05:30apka yh khna bilkul sahi hai ki ham prakrti se dur...apka yh khna bilkul sahi hai ki ham prakrti se dur hote ja rhe hai aur hmara naisrgik cheejo se dar bdhta jata hai .par chipkli se drna mhilao ka krtrim dr bhi hota hai ?शोभना चौरेhttps://www.blogger.com/profile/03043712108344046108noreply@blogger.com