tag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post2602527554468832679..comments2023-12-30T03:15:36.067+05:30Comments on अजित गुप्ता का कोना: हँसी ने मित्र बनाया और हँसी ही गायब हो गयीअजित गुप्ता का कोनाhttp://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comBlogger18125tag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-40951663198050276132010-03-08T10:56:29.143+05:302010-03-08T10:56:29.143+05:30सुन्दर अभिव्यक्तियाँ..लाजवाब रचना..बधाई !!
_______...सुन्दर अभिव्यक्तियाँ..लाजवाब रचना..बधाई !!<br />____________________<br /><br />'शब्द-शिखर' पर पढ़ें 'अंतरराष्ट्रीय नारी दिवस' पर आधारित पोस्ट. अंतरराष्ट्रीय नारी दिवस के 100 साल पर बधाई.Akanksha Yadavhttps://www.blogger.com/profile/10606407864354423112noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-88318078791793683132010-03-07T11:33:18.827+05:302010-03-07T11:33:18.827+05:30aapne sahi kaha ...wakai ye ajeeb hai magar sahi h...aapne sahi kaha ...wakai ye ajeeb hai magar sahi hai her hansi ka sum roodan per hi hota hai ....ye anivarya hai ...magar her roodan ka sum jarutri nahi m ki hansi hi ho...ye vuirodhabhas hai aur rehega ...haan achi mitrta us sam ko alag roop de sakti ho hansi ke antre ko bada ker sakti hai ...aap mitron ke roodan ka sum deri se aayeesliye unke saath bane rehiye ..moulik v prabhavi posst ke liye badhaiAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/12938650631044447394noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-73795263869271014012010-03-05T11:58:07.250+05:302010-03-05T11:58:07.250+05:30हम हँसने के बहाने तलाश करें। कौन साथ देगा मेरा?
H...हम हँसने के बहाने तलाश करें। कौन साथ देगा मेरा? <br />HUM HAIN NAA DIDI.hansne aur hansane ke liye.jeewan ka sahi aanand muskan me hi to chhupa hai.Dr. kavita 'kiran' (poetess)https://www.blogger.com/profile/10137044674020780363noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-51895506952475798722010-03-05T08:58:12.355+05:302010-03-05T08:58:12.355+05:30रचना जी
आपने मेरी बात को समझा है। मैं यही कहना चाह...रचना जी<br />आपने मेरी बात को समझा है। मैं यही कहना चाह रही हूँ कि महिलाओं में हँसी का भाव स्थाई क्यों नहीं है? मित्रता होते ही वे अपना दुखड़ा सुनाने क्यों बैठ जाती है और फिर यह दुखी भाव ही स्थाई हो जाता है। आखिर हम मित्रता करे तो किनसे? हो सकता है यह मेरे साथ ही होता हो, शायद मैं रिश्तों को दिल से अपनाती हूँ। क्या पुरुषों के साथ भी ऐसा ही होता है? मित्रता होते ही अपना दुखड़ा रोने की? कृपया आप सभी बताएं।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-9126157251838561032010-03-04T23:30:07.585+05:302010-03-04T23:30:07.585+05:30अपने गमों के लिए कंधा नहीं तलाशें। दुख की घड़ी में ...अपने गमों के लिए कंधा नहीं तलाशें। दुख की घड़ी में रो भी लें लेकिन वो स्थाई भाव नहीं बने। बस जिन्दगी में हर गम को हँसी में उड़ा दे। मैं ऐसा मित्र-मण्डल बनाना चाहती हूँ जहाँ केवल हँसी हो, बस हम हँसने के बहाने तलाश करें। कौन साथ देगा मेरा?<br />Bada nek khayal hai..itna kahungi,ki, jeevan me gam aur khushee saath,saath chalte hain...bas santulan na bigade..kshamahttps://www.blogger.com/profile/14115656986166219821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-32168979417434594642010-03-04T20:01:26.763+05:302010-03-04T20:01:26.763+05:30are kyun ghabrati hain yahan sabhi aapko hansayeng...are kyun ghabrati hain yahan sabhi aapko hansayenge .........zindagi ka falsafa yahi hona chahiye.........hanste raho muskurate raho.......aur phir vani ji ne sahi kaha wo aur adaji hain na.vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-22022608301334634922010-03-04T19:11:04.240+05:302010-03-04T19:11:04.240+05:30वाह तो गुप्ता जी आइये ना मै हमेशा सब मे हंसती हूँ ...वाह तो गुप्ता जी आइये ना मै हमेशा सब मे हंसती हूँ और कभी रोना पडे तो अकेले मे । क्यों कि मै हमेशा याद रखती हूँ सुख के सब साथी दुख मे न कोई रे प्रभू। वैसे भी अब जिन्दगी बची ही कितनी है? जो है उसे खुशी से गुजार लें ये कागज़ हैं न दुख सुनने के लिये।कम से कम आपस मे तो हँस खेल लें। कुछ हद तक रचना जी की बात भी सही है। आप छोडिये सब बातें आयें मिल कर हंसेँ । शुभकामनायें।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-79513767904191370322010-03-04T19:09:15.357+05:302010-03-04T19:09:15.357+05:30अजित जी , दुनिया में हँसते रहने वाले लोग है ही कहा...अजित जी , दुनिया में हँसते रहने वाले लोग है ही कहाँ। जिसे देखो वही रोता हुआ नज़र आता है। और रोने वाला किसी को अच्छा नहीं लगता ।<br />इसलिए हम तो खुद हँसते रहने की कोशिश करते हैं , और दूसरों को हंसाते रहने की ।<br />इसी के तहत पढ़िए मेरी होली पर लिखी हास्य रचनाएँ।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-30014442059031589412010-03-04T17:20:02.022+05:302010-03-04T17:20:02.022+05:30अजित जी आप कि पोस्ट आम हंसी मजाक इत्यादि के बारे म...अजित जी आप कि पोस्ट आम हंसी मजाक इत्यादि के बारे मे श्याद नहीं है । आप कहना चाहती हैं कि अमूमन जिन नारियों से आप इस लिये मित्रता करती कि वो हंसती हैं उनसे मित्रता होने के बाद आप को उनकी बातो मे एक रुदन सुनाई देता हैं । कारण हैं कि बहुदा जब तक हम किसी से अन्तरंग नहीं होते तब तक एक मुखोटा लगैय रहते हैं जिस मे हम एक हसमुख स्त्री दिखाई देते हैं लेकिन जहां हम अन्तरंग हुए वो मुखोटा उतर जाता हैं और हमारे अन्दर के कष्ट दिखते हैं । हो सकता हें आप कि शक्सियत मे कुछ ऐसा हो कि आप कि दोस्ते आप से अपने मन कि बात खुल कर कह सकती हो । आप ममता मयी हो सकती हैं और क्युकी उम्र मे अगर आप बड़ी हो तो आप मै आपकी दोस्ती एक माँ कि छवि भी देख सकती हैं ।<br />आप कि इस बात से सहमत हूँ कि बहुदा जिन कारणों से हम किसी से मित्रता करते हैं वो कारण बाद मे रहते ही नहीं हैं । नारी मन कि पीड़ा ज्यादा तर अनकही ही रहती हैं क्युकी किस के पास समय है किसी कि पीड़ा बांटने के लियेAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-87961379436555835522010-03-04T16:46:16.435+05:302010-03-04T16:46:16.435+05:30चार दिन कि जिन्दगी मिलती है अब चाहे हंस का गुजार द...चार दिन कि जिन्दगी मिलती है अब चाहे हंस का गुजार दो या रो कर ...हाँ मुश्किलें तो आती हैं पर रोने से वो हल नहीं होती उन्हें हंस कर झेलेंगे तो शायद दुःख का एहसास कम जरुर हो जायेगा.बहुत अच्छी पोस्ट हैshikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-60736647744767324152010-03-04T15:39:48.044+05:302010-03-04T15:39:48.044+05:30हंसी एक संक्रमण है जो दूसरों को भी हंसने पर मजबूर ...हंसी एक संक्रमण है जो दूसरों को भी हंसने पर मजबूर कर देता है, चारों तरफ मित्र ही मित्र बिखरे हुये हैं, आपको मित्र ढूंढने की जरूरत ही कहां है?<br />यह हमारे ऊपर ही है कि हम जीवन को हंसते हुये गुजारते हैं या रोते हुये<br />अगर हम हंसते हैं तो सारी दुनिया हमारे साथ हंसती है, मगर रोना अकेले ही पडता है<br />लेकिन रोना भी जरूरी है जी<br />"बारिशों के बाद सतरंगी धनक आ जायेगी,<br />थोडा रो लोगे तो चेहरे पे चमक आ जायेगी"<br /><br />कुछ लोगों की आदत होती है हर बात पे रोने की<br />रास्ते में बारिश शुरू हो गई तो उदास, ट्रेन लेट हो गई तो उदास, बस छूट गई तो उदास, मगर मेरे जैसे कुछ लोग ऐसी सभी चीजों को एन्ज्वाय करते हैं जी<br /><br />प्रणाम स्वीकार करेंअन्तर सोहिलhttps://www.blogger.com/profile/06744973625395179353noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-22254901269936742992010-03-04T15:34:01.193+05:302010-03-04T15:34:01.193+05:30लो जी, यह भी कोई बात हुई? हमारा तो ब्लागिंग करने क...लो जी, यह भी कोई बात हुई? हमारा तो ब्लागिंग करने का उद्देष्य ही यही है. लगता है आपने हमारा प्रोफ़ाईल ध्यान से नही पढा और हमारी पोस्ट तो आप पढती ही नही हैं शायद.<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-27205263156739282692010-03-04T14:36:41.837+05:302010-03-04T14:36:41.837+05:30हम हूँ ना ....हमको कोई ग़म नहीं ...सिर्फ हँसते रहन...हम हूँ ना ....हमको कोई ग़म नहीं ...सिर्फ हँसते रहने का ...<br />और हमारी सखी अदा ...हम दोनों हंसा हंसा के आपका पेट ना दुखा दे तो कहियेगा ....!!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-66891485671135238822010-03-04T14:33:19.777+05:302010-03-04T14:33:19.777+05:30आज तो आपकी पोस्ट दिल को छू गयी, आप वेफिक्र रहिए, ह...आज तो आपकी पोस्ट दिल को छू गयी, आप वेफिक्र रहिए, हसते हुए चेहरे मिलते रहेंगे आपको ।Mithilesh dubeyhttps://www.blogger.com/profile/14946039933092627903noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-23303162393111836022010-03-04T14:12:06.803+05:302010-03-04T14:12:06.803+05:30मुख पर आँचल डालकर हँसने वाली बात पर एक सुन्दर छंद ...मुख पर आँचल डालकर हँसने वाली बात पर एक सुन्दर छंद याद आ गयाः<br /><br /><b>भभूत लगावत शंकर को, अहिलोचन मध्य परौ झरि कै।<br />अहि की फुँफकार लगी शशि को, तब अंमृत बूंद गिरौ चिरि कै।<br />तेहि ठौर रहे मृगराज तुचाधर, गर्जत भे वे चले उठि कै।<br />सुरभी-सुत वाहन भाग चले, तब गौरि हँसीं मुख आँचल दै॥</b><br />(अज्ञात)<br /><br />अर्थात् (प्रातः स्नान के पश्चात्) पार्वती जी भगवान शंकर के मस्तक पर भभूत लगा रही थीं तब थोड़ा सा भभूत झड़ कर शिव जी के वक्ष पर लिपटे हुये साँप की आँखों में गिरा। (आँख में भभूत गिरने से साँप फुँफकारा और उसकी) फुँफकार शंकर जी के माथे पर स्थित चन्द्रमा को लगी (जिसके कारण चन्द्रमा काँप गया तथा उसके काँपने के कारण उसके भीतर से) अमृत की बूँद छलक कर गिरी। वहाँ पर (शंकर जी की आसनी) जो मृगछाला थी वह (अमृत बूंद के प्रताप से जीवित होकर) उठ कर गर्जना करते हुये चलने लगा। सिंह की गर्जना सुनकर गाय का पुत्र - बैल, जो शिव जी का वाहन है, भागने लगा तब गौरी जी मुँह में आँचल रख कर हँसने लगीं मानो शिव जी से प्रतिहास कर रही हों कि देखो मेरे वाहन (पार्वती का एक रूप दुर्गा का है तथा दुर्गा का वाहन सिंह है) से डर कर आपका वाहन कैसे भाग रहा है।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09998235662017055457noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-12323168699965612742010-03-04T14:05:03.142+05:302010-03-04T14:05:03.142+05:30जीवन कष्टों से भरा हुआ है। कष्ट प्राणियों को रुलात...जीवन कष्टों से भरा हुआ है। कष्ट प्राणियों को रुलाता है। ऐसे में सदैव हँसने वाले बिरले ही मिल पाते हैं।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09998235662017055457noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-12796302310388935882010-03-04T13:31:28.354+05:302010-03-04T13:31:28.354+05:30अजित जी,
जीवन तो चलते जाना है...अब आप इसे रोते हुए...अजित जी,<br />जीवन तो चलते जाना है...अब आप इसे रोते हुए बिताओ या हंसते हुए...रोने से चुनौतियां कम नहीं हो जाएंगी...हंस कर सामने से हौसला ज़रूर मिल जाएगा...<br /><br />इस मामले में मैं तो राजेश खन्ना की फिल्म आनंद को ही ज़िंदगी का सबसे बड़ा पाठ मानता हूं...अपना दुख जितना भी बड़ा क्यों न हो, दूसरों को खुशियां ही बांटो...<br /><br />उस फिल्म की आखिरी पंक्ति मेरे जेहन से मिटाए नहीं मिटती...<br /><br />आनंद मरा नहीं, आनंद कभी मरते नहीं...<br /><br />जय हिंद...Khushdeep Sehgalhttps://www.blogger.com/profile/14584664575155747243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-13416396910785858392010-03-04T13:30:58.601+05:302010-03-04T13:30:58.601+05:30मैं ऐसा मित्र-मण्डल बनाना चाहती हूँ जहाँ केवल हँस...मैं ऐसा मित्र-मण्डल बनाना चाहती हूँ जहाँ केवल हँसी हो, बस हम हँसने के बहाने तलाश करें। कौन साथ देगा मेरा? <br />यही तो मैं औरों से भी कहता रहता हूँ लेकिन कोई साथ ही नहीं देता दूर तक ...Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.com