tag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post1403852803262559488..comments2023-12-30T03:15:36.067+05:30Comments on अजित गुप्ता का कोना: इस बार सेकुलरवाद की चादर हैअजित गुप्ता का कोनाhttp://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-51489055054706345542017-07-19T13:20:51.545+05:302017-07-19T13:20:51.545+05:30 नशे में रहकर यही हाल होता है नशे में रहकर यही हाल होता हैसंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-51374989707730957072017-07-12T09:28:41.643+05:302017-07-12T09:28:41.643+05:30संगीता जी और ताऊ को आभार।संगीता जी और ताऊ को आभार।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-83789423627223526292017-07-11T23:04:10.647+05:302017-07-11T23:04:10.647+05:30इस बार सेकुलरवाद की चादर है।
इस चादर को ही उतारन...इस बार सेकुलरवाद की चादर है। <br /><br />इस चादर को ही उतारने की सबसे ज्यादा ज़रूरत है ....अब तो वक़्त ऐसा आ गया है की कहने की नहीं चुपचाप करने की ज़रूरत है ..संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-77082841964552715052017-07-11T15:30:18.973+05:302017-07-11T15:30:18.973+05:30आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (12-...आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (12-07-2017) को <a href="http://charchamanch.blogspot.in/" rel="nofollow"> "विश्व जनसंख्या दिवस..करोगे मुझसे दोस्ती ?" (चर्चा अंक-2664) </a> पर भी होगी।<br />--<br />सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।<br />--<br />चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।<br />जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।<br />हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।<br />सादर...!<br />डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'<br />डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5543246866765877657.post-36649551440911296462017-07-11T12:44:04.323+05:302017-07-11T12:44:04.323+05:30बहुत सटीक लिखा है आपने, भ्रम या धर्म के नशे में रह...बहुत सटीक लिखा है आपने, भ्रम या धर्म के नशे में रहकर यही हाल होता है. धर्म भी हो लेकिन कर्म यानि अपनी स्वतंत्रता और देश की रक्षा भी उतनी ही जरूरी है. आजकल अपना अस्तित्व बचाये रखने की जद्दोजहद में कुछ राजनैतिक दल अनर्गल प्रलाप करते हैं जिन पर ध्यान देने की बजाये अपने कर्म पर विश्वास रखना चाहिये.<br />रामराम<br />#हिन्दी_ब्लॉगिंग<br />ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.com